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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 22:14-21

14 “धन्य हैं वे, जिन्होंने अपने वस्त्र धो लिए हैं कि वे द्वार से नगर में प्रवेश कर सकें और जीवन के पेड़ का फल प्राप्त कर सकें. 15 कुत्ते, टोन्हे, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक तथा झूठ के समर्थक या वे, जो झूठ गढ़ते हैं, बाहर ही रह जाएँगे.

16 “मैं, येशु, मैंने कलीसियाओं के हित में अपने स्वर्गदूत को इस घटनाक्रम के प्रकाशन के लिए तुम सबके पास गवाह के रूप में भेजा है. मैं ही दाविद का वंशमूल और वंशज हूँ, और भोर का चमकता हुआ तारा.”

17 आत्मा तथा वधू, दोनों ही की विनती है, “आइए!” जो सुन रहा है, वह भी कहे, “आइए!” वह, जो प्यासा है, आए; कोई भी, जो अभिलाषी है, जीवन का जल मुफ़्त में पिए.

उपसंहार

18 मैं हर एक को, जो इस अभिलेख की भविष्यवाणी को सुनता है, चेतावनी देता हूँ: यदि कोई इसमें कुछ भी जोड़ता है, तो परमेश्वर उसकी विपत्तियों को, जिनका वर्णन इस अभिलेख में है, बढ़ा देंगे. 19 यदि कोई भविष्यवाणी के इस अभिलेख में से कुछ भी निकालता है तो परमेश्वर जीवन के पेड़ तथा पवित्र नगर में से, जिनका वर्णन इस अभिलेख में है, उसके भाग से उसे दूर कर देंगे.

20 वह, जो इस घटनाक्रम के प्रत्यक्षदर्शी हैं, कहते हैं, “निश्चित ही मैं शीघ्र आने पर हूँ.”

आमेन! आइए, प्रभु येशु!

21 प्रभु येशु का अनुग्रह सब पर बना रहे. आमेन.

मत्तियाह 18:21-35

क्षमा की सीमा

21 तब पेतरॉस ने येशु के पास आ कर उनसे प्रश्न किया, “प्रभु! कितनी बार मेरा भाई मेरे विरुद्ध अपराध करे और मैं उसे क्षमा करूँ—सात बार?” 22 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तो तुमसे यह तो नहीं कहूँगा सात बार तक परन्तु सत्तर के सात गुणा तक.

23 “इसलिए स्वर्ग-राज्य की तुलना उस राजा से की जा सकती है, जिसने अपने दासों से हिसाब-किताब लेना चाहा. 24 जब उसने प्रारम्भ किया तब उसके सामने वह दास प्रस्तुत किया गया, जो उसके लाखों तालन्तों का कर्ज़दार था, किन्तु 25 यह मालूम होने पर कि उसके पास कर्ज़ चुकाने का कोई साधन नहीं है, स्वामी ने आज्ञा दी कि उसे उसकी पत्नी, बालकों तथा सारे सम्पत्ति सहित बेच दिया जाए कि कर्ज़ चुकाया जा सके.

26 “इस पर वह दास अपने स्वामी के सामने भूमि पर दण्डवत् हो उससे विनती करने लगा, ‘कृपया थोड़ा धीरज रखें, मैं सब कुछ चुका दूँगा.’ 27 उसके स्वामी ने दया से भरकर उसे मुक्त करके उसका सारा कर्ज़ क्षमा कर दिया.

28 “उस मुक्त हुए दास ने बाहर जाते ही उस दास को जा पकड़ा जिसने उससे सौ दीनार कर्ज़ लिए थे. उसने उसे पकड़ कर उसका गला घोंटते हुए कहा, ‘मुझसे जो कर्ज़ लिया है, उसे लौटा दे!’

29 “वह दास इस दास के पाँवों पर गिर पड़ा और विनती करने लगा, ‘थोड़ा धीरज रखो. मैं सब लौटा दूँगा.’

30 “किन्तु उस दास ने उसकी विनती पर ज़रा भी ध्यान न दिया और उसे ले जा कर कारागार में डाल दिया कि जब तक वह कर्ज़ न लौटाए, वहीं रहे. 31 इसलिए जब अन्य दासों ने यह सब देखा, वे अत्यन्त उदास हो गए और आ कर स्वामी को इसकी सूचना दी.

32 “तब स्वामी ने उस दास को बुलवा कर उस से कहा, ‘अरे दुष्ट! मैंने तो तेरा सारा ही कर्ज़ क्षमा कर दिया क्योंकि तूने मुझसे इसके लिए विनती की थी. 33 क्या यह सही न था कि तू भी अपने साथी पर कृपा करता जिस प्रकार मैंने तुझ पर कृपा की?’ 34 क्रुद्ध स्वामी ने उस दास को यातना देने के लिए चुने हुए अधिकारियों के हाथ में सौंप दिया कि जब तक वह सारा कर्ज़ चुका न दे, वहीं रहे.

35 “मेरे स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे साथ यही करेंगे यदि तुम में से हर एक अपने भाई को हृदय से क्षमा नहीं करता.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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