Book of Common Prayer
22 मेंह सहर म कोनो मंदिर नइं देखेंव, काबरकि सर्वसक्तिमान परभू परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला एकर मंदिर अंय। 23 अऊ सहर ला सूरज या चंदा के अंजोर के जरूरत नइं रिहिस, काबरकि परमेसर के महिमा ओला अंजोर देवत रिहिस अऊ मेढ़ा-पीला ओकर दीया रिहिस। 24 संसार के मनखेमन ओकर अंजोर म रेंगही अऊ संसार के राजामन ओम अपन सोभा लानहीं। 25 ओ सहर के कपाटमन कभू बंद नइं होही, अऊ उहां कभू रात नइं होही। 26 जम्मो देस के महिमा अऊ आदर ओम लाने जाही। 27 कोनो असुध चीज कभू ओ सहर म घुसरे नइं पाही अऊ न ही ओ मनखे, जऊन ह लज्जा के काम करथे या धोखा देवइया काम करथे; पर सिरिप ओमन घुसरे पाहीं, जेमन के नांव मेढ़ा-पीला के जिनगी के किताब म लिखाय हवय।
जिनगी देवइया पानी के नदिया
22 तब स्वरगदूत ह मोला जिनगी देवइया पानी के नदिया ला देखाईस, जेकर पानी ह इसफटिक के सहीं साफ रिहिस। ओ नदिया ह परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला के सिंघासन ले सहर के गली के बीचों-बीच बोहावत रिहिस। 2 नदिया के दूनों तीर म जिनगी के रूख रिहिस, जऊन म एक साल म बारह किसम के फर धरय – याने कि हर एक महिना ओम फर धरय अऊ ओ रूख के पान ले देस-देस के मनखेमन के बेमारी के इलाज होवत रिहिस। 3 उहां कोनो किसम के सराप नइं होही। ओ सहर म परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला के सिंघासन होही, अऊ ओकर सेवकमन ओकर अराधना करहीं। 4 ओमन ओकर चेहरा ला देखहीं अऊ ओकर नांव ह ओमन के माथा म लिखाय होही। 5 उहां कभू रात नइं होही। ओमन ला दीया या सूरज के अंजोर के जरूरत नइं पड़ही, काबरकि परभू परमेसर ह ओमन के अंजोर होही, अऊ ओमन सदाकाल तक राज करहीं।
स्वरग के राज म सबले बड़े कोन ए
(मरकुस 9:33-37; लूका 9:46-48)
18 ओ समय चेलामन यीसू करा आईन अऊ पुछिन, “स्वरग के राज म सबले बड़े कोन ए?” 2 यीसू ह एक छोटे लइका ला बलाईस अऊ ओला ओमन के बीच म ठाढ़ करके कहिस, 3 “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक तुमन नइं बदलव अऊ लइकामन सहीं नइं बनव, तब तक तुमन स्वरग के राज म जाय नइं सकव। 4 एकरसेति जऊन ह अपन-आप ला ए लइका के सहीं नम्र करथे, ओह स्वरग के राज म सबले बड़े अय। 5 अऊ जऊन ह मोर नांव म अइसने छोटे लइका ला गरहन करथे, ओह मोला गरहन करथे।
6 पर जऊन ह मोर ऊपर बिसवास करइया ए छोटे मन ले कोनो ला पाप म गिराथे, त ओकर बर बने होतिस कि ओकर टोंटा म चकिया के एक बड़े पथरा ला बांधे जातिस अऊ ओला गहिरा समुंदर म डुबो दिये जातिस। 7 संसार ला ओ चीजमन बर धिक्कार अय, जऊन मन मनखेमन ला पाप म गिराथें। अइसने चीजमन के अवई जरूरी अय। पर धिक्कार अय ओ मनखे ला, जेकर दुवारा ए चीजमन आथें। 8 यदि तुम्हर हांथ या तुम्हर गोड़ ह तुम्हर पाप म गिरे के कारन बनथे, त ओला काटके फटिक दव। तुम्हर बर एह बने अय कि तुमन लूलवा या खोरवा होके, जिनगी म परवेस करव, एकर बनिसपत कि दूनों हांथ या दूनों गोड़ के रहत, तुमन ला सदाकाल के आगी म डार दिये जावय। 9 अऊ यदि तुम्हर आंखी ह तुम्हर पाप म गिरे के कारन बनथे, त ओला निकारके फटिक दव। तुम्हर बर एह बने अय कि तुमन एक आंखी के कनवां होके जिनगी म परवेस करव, एकर बनिसपत कि दूनों आंखी के रहत तुमन ला नरक के आगी म डार दिये जावय।”
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