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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 18:9-20

पृथ्वी पर बाबेल के लिए विलाप

“तब पृथ्वी के राजा, जो उसके साथ वेश्यागामी में लीन रहे, जिन्होंने उसके साथ भोगविलास किया, उस ज्वाला का धुआँ देखेंगे, जिसमें वह स्वाहा की गई और वे उसके लिए रोएंगे तथा विलाप करेंगे.

10 “उसकी यातना की याद कर डर के मारे दूर खड़े हुए वे कहेंगे:

“‘धिक्कार! धिक्कार, हे महानगरी, सामर्थी महानगरी बाबेल!
    धिक्कार है तुझ पर!
    घण्टे भर में ही तेरे दण्ड का समय आ पहुँचा है!’

11 “पृथ्वी के व्यापारी उस पर रोते हुए विलाप करेंगे क्योंकि उनकी वस्तुएं अब कोई नहीं खरीदता: 12 सोने, चांदी, कीमती रत्न, मोती, उत्तम मलमल, बैंगनी तथा लाल रेशम, सब प्रकार की सुगन्धित लकड़ी तथा हाथी-दाँत की वस्तुएं, कीमती लकड़ी की वस्तुएं, काँसे, लोहे तथा संगमरमर से बनी हुई वस्तुएं, 13 दालचीनी, मसाले, धूप, मुर्र, लोबान, दाखरस, ज़ैतून का तेल, मैदा, गेहूं, पशुधन, भेड़ें, घोड़े तथा चौपहिया वाहन; दासों तथा मनुष्यों का कोई खरीददार नहीं रहा.

14 “जिस संतुष्टि की तुमने इच्छा की थी, वह अब रही ही नहीं. विलासिता और ऐश्वर्य की सभी वस्तुएं तुम्हें छोड़ कर चली गईं. वे अब तुम्हें कभी न मिल सकेंगी. 15 इन वस्तुओं के व्यापारी, जो उस नगरी के कारण धनवान हो गए, अब उसकी यातना के कारण भयभीत हो दूर खड़े हो रोएंगे और विलाप करते हुए कहेंगे:

16 “‘धिक्कार है! धिक्कार है! हे, महानगरी,
    जो उत्तम मलमल के बैंगनी तथा लाल वस्त्र धारण करती थी और स्वर्ण,
    कीमती रत्नों तथा मोतियों से दमकती थी!
17 क्षण मात्र में ही उजड़ गया तेरा वैभव!’

“हर एक जलयान स्वामी, हर एक नाविक, हर एक यात्री तथा हर एक, जो अपनी जीविका समुद्र से कमाता है, दूर ही खड़ा रहा. 18 उसे भस्म करती हुई ज्वाला का धुआँ देख वे पुकार उठे, ‘है कहीं इस भव्य महानगरी जैसा कोई अन्य नगर?’ 19 अपने सिर पर धूल डाल, रोते-चिल्लाते, विलाप करते हुए वे कहने लगे:

“‘धिक्कार है! धिक्कार है, तुझ पर भव्य महानगरी,
    जिसकी सम्पत्ति के कारण सभी जलयान
    स्वामी धनी हो गए,
अब तू घण्टे भर में उजाड़ हो गई है!’

20 “आनन्दित हो हे स्वर्ग!
    आनन्दित, हो पवित्र लोग!
    प्रेरित तथा भविष्यद्वक्ता!
क्योंकि परमेश्वर ने उसे तुम्हारे साथ
    किये दुर्व्यवहार के लिए दण्डित किया है.”

मत्तियाह 15:21-28

कनानवासी स्त्री का सराहनीय विश्वास

(मारक 7:24-30)

21 तब येशु वहाँ से निकल कर त्सोर और त्सीदोन प्रदेश में एकान्तवास करने लगे. 22 वहाँ एक कनानवासी स्त्री आई और पुकार-पुकार कर कहने लगी, “प्रभु! मुझ पर दया कीजिए. दाविद की सन्तान! मेरी पुत्री में एक क्रूर प्रेत समाया हुआ है.”

23 किन्तु येशु ने उसकी ओर लेशमात्र भी ध्यान नहीं दिया. शिष्य आ कर उनसे विनती करने लगे, “प्रभु! उसे विदा कर दीजिए. वह चिल्लाती हुई हमारे पीछे लगी है.”

24 येशु ने उससे कहा, “मुझे मात्र इस्राएल वंश के लिए, जिसकी स्थिति खोई हुई भेड़ों समान है, संसार में भेजा गया है.”

25 किन्तु उस स्त्री ने येशु के पास आ झुकते हुए उनसे विनती की, “प्रभु! मेरी सहायता कीजिए!”

26 येशु ने उसे उत्तर दिया, “बालकों को परोसा भोजन उनसे ले कर कुत्तों को दे देना अच्छा नहीं है!”

27 उस स्त्री ने उत्तर दिया, “सच है, प्रभु, किन्तु यह भी तो सच है कि स्वामी की मेज़ से गिरे चूर-चार से कुत्ते अपना पेट भर लेते हैं.” 28 येशु कह उठे, “सराहनीय है तुम्हारा विश्वास! वैसा ही हो, जैसा तुम चाहती हो.” उसी क्षण उसकी पुत्री स्वस्थ हो गई.

Saral Hindi Bible (SHB)

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