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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 17:1-14

कुख्यात व्यभिचारिणी तथा हिंसक पशु

17 तब कटोरे लिए हुए सात स्वर्गदूतों में से एक ने आकर मुझसे कहा, “यहाँ आओ, मैं तुम्हें उस कुख्यात व्यभिचारिणी के लिए तय किए गए दण्ड दिखाउँ. यह व्यभिचारिणी बहुत से पानी पर बैठी हुई है. इसके साथ पृथ्वी के राजा वेश्यागामी में लीन थे तथा जिसके वेश्यागामी का दाखरस से पृथ्वी पर रहने वाले मतवाले थे.”

वह स्वर्गदूत मुझे मेरी आत्मा में ध्यानमग्न कर एक जंगल में ले गया. वहाँ मैंने एक स्त्री को लाल रंग के एक हिंसक जानवर पर बैठे देखा, जो परमेश्वर की निन्दा के शब्द से ढ़का सा था और इसके सात सिर तथा दस सींग थे. वह स्त्री बैंगनी और लाल रंग के वस्त्र तथा सोने, रत्नों तथा मोतियों के आभूषण धारण किए हुए थी. उसके हाथ में सोने का प्याला था, जो अश्लीलता तथा स्वयं उसकी वेश्यागामी की गंदगी से भरा हुआ था. उसके माथे पर एक नाम, एक रहस्य लिखा था:

भव्य महानगरी बाबेल

पृथ्वी पर व्यभिचारिणियों की माता

और सारी अश्लीलताओं की जननी.

मैंने देखा कि वह स्त्री पवित्र लोगों तथा मसीह येशु के साक्ष्यों का लहू पीकर मतवाली थी.

उसे देख मैं बहुत ही हैरान रह गया. किन्तु स्वर्गदूत ने मुझसे कहा: “क्यों हो रहे हो हैरान? मैं तुम्हें इस स्त्री तथा इस हिंसक जानवर का रहस्य बताऊँगा, जिसके सात सिर और दस सींग हैं, जिस पर यह स्त्री बैठी हुई है. वह हिंसक जानवर, जिसे तुमने देखा था, पहले जीवित था किन्तु अब नहीं. अब वह अथाह गड्ढे से निकल कर आने पर है—किन्तु स्वयं अपने विनाश के लिए. पृथ्वी के वे सभी वासी, जिनके नाम सृष्टि के प्रारम्भ से जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं हैं, जब यह देखेंगे कि यह हिंसक पशु पहले था, अब नहीं है किन्तु दोबारा आएगा, आश्चर्यचकित हो जाएँगे.

“इसे समझने के लिए आवश्यक है सूक्ष्म ज्ञान: वे सात सिर सात पर्वत हैं, जिन पर वह स्त्री बैठी है. वे सात राजा भी हैं. 10 इनमें से पाँच का पतन हो चुका है, एक जीवित है और एक अब तक नहीं आया. जब वह आएगा, वह थोड़े समय के लिए ही आएगा. 11 वह हिंसक पशु, जो था और जो नहीं है स्वयं आठवाँ राजा है किन्तु वह है इन सातों में से ही एक, जिसका विनाश तय है.

12 “वे दस सींग, जो तुमने देखे हैं, दस राजा हैं, जिन्हें अब तक राज्य प्राप्त नहीं हुआ किन्तु उन्हें एक घण्टे के लिए उस हिंसक पशु के साथ राजसत्ता दी जाएगी. 13 ये राजा अपना अधिकार व सत्ता उस पशु को सौंपने के लिए एकमत हैं; 14 ये मेमने के विरुद्ध युद्ध छेड़ेंगे किन्तु मेमना उन्हें हराएगा क्योंकि सर्वप्रधान प्रभु और सर्वप्रधान राजा वही है. मेमने के साथ उसके बुलाए हुए, चुने हुए तथा विश्वासपात्र होंगे.”

मत्तियाह 14:22-36

येशु का जल-सतह पर चलना

(मारक 6:45-52; योहन 6:16-21)

22 इसके बाद येशु ने शिष्यों को तुरन्त ही नाव में सवार होने के लिए इस उद्देश्य से विवश किया कि शिष्य उनके पूर्व ही दूसरी ओर पहुँच जाएँ, जबकि वह स्वयं भीड़ को विदा करने लगे. 23 भीड़ को विदा करने के बाद वह अकेले पर्वत पर चले गए कि वहाँ जा कर वह एकान्त में प्रार्थना करें. यह रात का समय था और वह वहाँ अकेले थे. 24 विपरीत दिशा में हवा तथा लहरों के थपेड़े खा कर नाव तट से बहुत दूर निकल चुकी थी.

25 रात के अन्तिम प्रहर में येशु जल-सतह पर चलते हुए उनकी ओर आए. 26 उन्हें जल-सतह पर चलते देख शिष्य घबरा कर कहने लगे, “प्रेत है यह!” और वे भयभीत हो चिल्लाने लगे.

27 इस पर येशु ने उनसे कहा, “डरो मत. साहस रखो! मैं हूँ!”

28 पेतरॉस ने उनसे कहा, “प्रभु! यदि आप ही हैं तो मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं जल पर चलते हुए आपके पास आ जाऊँ.”

29 “आओ!” येशु ने आज्ञा दी.

पेतरॉस नाव से उतर कर जल पर चलते हुए येशु की ओर बढ़ने लगे 30 किन्तु जब उनका ध्यान हवा की गति की ओर गया तो वह भयभीत हो गए और जल में डूबने लगे. वह चिल्लाए, “प्रभु! मुझे बचाइए!”

31 येशु ने तुरन्त हाथ बढ़ा कर उन्हें थाम लिया और कहा, “अरे, अल्प विश्वासी! तुमने सन्देह क्यों किया?”

32 तब वे दोनों नाव में चढ़ गए और वायु थम गई. 33 नाव में सवार शिष्यों ने यह कहते हुए येशु की वन्दना की, “सचमुच आप ही परमेश्वर-पुत्र हैं.”

34 झील पार कर वे गन्नेसरत प्रदेश में आ गए. 35 वहाँ के निवासियों ने उन्हें पहचान लिया और आसपास के स्थानों में सन्देश भेज दिया. लोग बीमार व्यक्तियों को उनके पास लाने लगे. 36 वे येशु से विनती करने लगे, कि वह उन्हें मात्र अपने वस्त्र का छोर ही छू लेने दें. अनेकों ने उनका वस्त्र छुआ और स्वस्थ हो गए.

Saral Hindi Bible (SHB)

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