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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रेरित 18:1-11

कोरिन्थॉस नगर में कलीसिया की नींव

18 इसके बाद पौलॉस अथेनॉन नगर से कोरिन्थॉस नगर चले गए. वहाँ उनकी भेंट अकुलॉस नामक एक यहूदी से हुई. वह जन्मत: पोन्तॉस नगर का निवासी था. कुछ ही समय पूर्व वह अपनी पत्नी प्रिस्का के साथ इतालिया से पलायन कर आया था क्योंकि राजा क्लॉदियॉस ने रोम से सारे यहूदियों के निकल जाने की आज्ञा दी थी. पौलॉस उनसे भेंट करने गए. पौलॉस और अकुलॉस का व्यवसाय एक ही था इसलिए पौलॉस उन्हीं के साथ रहकर काम करने लगे—वे दोनों ही तम्बू बनाने वाले थे. हर एक शब्बाथ पर पौलॉस यहूदी आराधनालय में प्रवचन देते और यहूदियों तथा यूनानियों की शंका दूर करते थे.

जब मकेदोनिया से सीलास और तिमोथियॉस वहाँ आए तो पौलॉस मात्र वचन की शिक्षा देने के प्रति समर्पित हो गए और यहूदियों के सामने यह साबित करने लगे कि येशु ही वह मसीह हैं. उनकी ओर से प्रतिरोध और निन्दा की स्थिति में पौलॉस अपने वस्त्र झटक कर कह दिया करते थे, “अपने विनाश के लिए तुम स्वयं दोषी हो—मैं निर्दोष हूँ. अब मैं अन्यजातियों के मध्य जा रहा हूँ.”

पौलॉस यहूदी आराधनालय से निकल कर तीतॉस युस्तस के घर पर चले गए. वह परमेश्वर भक्त व्यक्ति था. उसका घर यहूदी आराधनालय के पास ही था. यहूदी आराधनालय के प्रभारी क्रिस्पॉस ने सपरिवार प्रभु में विश्वास किया. अनेक कोरिन्थवासी वचन सुन विश्वास कर बपतिस्मा लेते जा रहे थे.

प्रभु ने पौलॉस से रात में दर्शन में कहा, “अब भयभीत न होना. वचन का प्रचार करते जाओ. मौन न रहो. 10 मैं तुम्हारे साथ हूँ. कोई तुम पर आक्रमण करके तुम्हें हानि नहीं पहुँचा सकता क्योंकि इस नगर में मेरे अनेक भक्त हैं.” 11 इसलिए पौलॉस वहाँ एक वर्ष छः मास तक रहे और परमेश्वर के वचन की शिक्षा देते रहे.

मारक 8:11-21

11 फ़रीसियों ने आ कर उनसे विवाद प्रारम्भ कर दिया. उन्होंने यह परखने के लिए कि मसीह येशु परमेश्वर-पुत्र हैं, चमत्कार चिह्न की माँग की. 12 मसीह येशु ने अपने अन्दर में गहरी पीड़ा में कराहते हुए उन्हें उत्तर दिया, “यह पीढ़ी चमत्कार चिह्न क्यों चाहती है? सच तो यह है कि इस पीढ़ी को कोई भी चमत्कार चिह्न नहीं दिया जाएगा.” 13 उन्हें छोड़ कर मसीह येशु नाव पर सवार हो दूसरी ओर चले गए.

गलत शिक्षा के प्रति चेतावनी

(मत्ति 16:5-12)

14 शिष्य अपने साथ भोजन रखना भूल गए थे—उनके पास नाव में मात्र एक रोटी थी. 15 मसीह येशु ने शिष्यों को चेतावनी देते हुए कहा, “फ़रीसियों के ख़मीर से तथा हेरोदेस के ख़मीर से सावधान रहना.”

16 इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “वह यह इसलिए कह रहे हैं कि हमने अपने साथ रोटियां नहीं रखीं.”

17 उनकी स्थिति समझते हुए मसीह येशु ने उनसे कहा, “रोटी के न होने के विषय में वाद-विवाद क्यों किए जा रहे हो? क्या अब भी तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा? क्या तुम्हारा हृदय कठोर हो गया है? 18 आँखें होते हुए भी तुम्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा और कानों के होते हुए भी तुम कुछ सुन नहीं पा रहे? तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहा! 19 जब मैंने पाँच हज़ार व्यक्तियों के लिए पाँच रोटियां परोसीं तुमने रोटी से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?”

“बारह,” उन्होंने उत्तर दिया.

20 “जब मैंने चार हज़ार के लिए सात रोटियां परोसीं तब तुमने रोटी से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?”

“सात,” उन्होंने उत्तर दिया.

21 तब मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या अब भी तुम्हारी समझ में नहीं आया?”

Saral Hindi Bible (SHB)

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