Book of Common Prayer
साऊल ह यीसू ला परभू स्वीकार करथे
9 साऊल अब तक परभू के चेलामन ला डराय-धमकाय अऊ ओमन ला मार डारे के धुन म रहय। ओह महा पुरोहित करा गीस, 2 अऊ दमिस्क के सभा घरमन के नांव म ए खातिर चिट्ठी मांगिस कि आदमी या माईलोगन जऊन ला घलो, ओह मसीह के बिसवास म पावय, त ओला बंदी बनाके यरूसलेम म ले आवय। 3 जब ओह चलते-चलत दमिस्क के लकठा म हबरिस, त अचानक अकास म ले ओकर चारों कोति एक अंजोर चमकिस। 4 ओह भुइयां म गिर पड़िस अऊ ए अवाज सुनिस, “हे साऊल! हे साऊल! तेंह मोला काबर सतावत हस।”
5 साऊल ह पुछिस, “हे परभू! तेंह कोन अस?”
ओह कहिस, “मेंह यीसू अंव, जऊन ला तेंह सतावत हस। 6 पर अब उठ अऊ सहर म जा। जऊन काम तोला करना हवय, ओला उहां तोला बताय जाही।”
7 जऊन मनखेमन ओकर संग म रिहिन, ओमन ह हक्का-बक्का हो गीन, काबरकि ओमन अवाज ला तो सुनिन, पर कोनो ला नइं देखिन। 8 साऊल भुइयां ले उठिस, फेर जब ओह अपन आंखी ला खोलिस, त ओला कुछू दिखाई नइं दीस। एकर खातिर ओकर संगीमन ओकर हांथ ला धरके दमिस्क सहर ले गीन। 9 ओह तीन दिन तक नइं देखे सकिस अऊ ओह न कुछू खाईस न पीईस।
यीसू ला कुरुस म चघाय जाथे
(मत्ती 27:32-44; मरकुस 15:21-32; यूहन्ना 19:17-27)
26 जब ओमन यीसू ला ले जावत रिहिन, त डहार म, ओमन ला सिमोन नांव के एक झन मनखे मिलिस, जऊन ह कुरेन के रहइया रिहिस अऊ गांव ले सहर आवत रिहिस। ओमन ओला पकड़िन अऊ कुरुस ला ओकर ऊपर लाद दीन, ताकि ओह ओला उठाके यीसू के पाछू-पाछू चलय। 27 मनखेमन के एक बहुंत बड़े भीड़ यीसू के पाछू-पाछू चलत रहय; ओम कुछू माईलोगन घलो रहंय, जऊन मन यीसू बर रोवत अऊ बिलाप करत रहंय। 28 यीसू ह ओमन कोति मुहूं करके कहिस, “हे यरूसलेम के बेटीमन, मोर बर झन रोवव, पर अपन-आप अऊ अपन लइकामन बर रोवव। 29 काबरकि ओ समय ह आवत हवय, जब मनखेमन कहिहीं, ‘धइन एं ओ बांझ माईलोगनमन, जऊन मन कभू लइका नइं जनमाईन अऊ अपन छाती से कभू गोरस नइं पीयाईन।’
30 तब ओमन पहाड़मन ले कहिहीं,
‘हमर ऊपर गिर जावव’, अऊ पठारमन ले कहिहीं, ‘हमन ला ढांप लेवव।’[a]
31 जब मनखेमन हरिहर रूख के संग अइसने करथें, तब सूखा रूख के संग का कुछू नइं करहीं?”
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