Book of Common Prayer
11 जऊन ह मनखेमन ला पबितर करथे अऊ जऊन मन पबितर करे जाथें; ए दूनों एक ही परिवार के अंय। एकरसेति, यीसू ह ओमन ला अपन भाई कहे ले नइं लजावय। 12 ओह कहिथे,
“हे परमेसर, मेंह अपन भाईमन ला तोर बारे म बताहूं;
सभा के आघू म तोर परसंसा के गीत गाहूं।”[a]
13 ओह फेर कहिथे,
“मेंह ओकर ऊपर अपन भरोसा रखहूं।”
अऊ ओह फेर कहिथे,
“इहां मेंह लइकामन संग हवंव, जऊन मन ला परमेसर मोला दे हवय।”[b]
14 जब लइकामन मांस अऊ लहू के बने हवंय, त यीसू ह खुद ओमन के सहीं बनिस अऊ ओमन के मनखे सुभाव म भागी होईस, ताकि अपन मिरतू के दुवारा, ओह सैतान के नास करय, जेकर करा मिरतू के सक्ति हवय – 15 अऊ ओह ओमन ला छोंड़ावय, जऊन मन अपन मिरतू के डर के कारन जिनगी भर गुलामी म रिहिन। 16 काबरकि ए बात ह पक्का ए कि ओह स्वरगदूतमन के नइं, पर अब्राहम के संतानमन के मदद करथे। 17 एकरसेति, ओला हर किसम ले अपन भाईमन सहीं बने बर पड़िस, ताकि ओह परमेसर के सेवा म, एक दयालु अऊ बिसवास लइक महा पुरोहित बनय अऊ ओह मनखेमन के पाप के समाधान (पछताप) करय। 18 काबरकि जब ओकर परिछा करे गीस, त ओह खुद दुःख उठाईस, एकरसेति ओह ओमन के मदद कर सकथे, जऊन मन परिछा म पड़थें।
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