Book of Common Prayer
अन्यों के प्रति आत्मत्याग
15 आवश्यक है कि हम, जो विश्वास में मजबूत हैं, कमज़ोरों की कमज़ोरी के प्रति धीरज का भाव रखें न कि सिर्फ अपनी प्रसन्नता का. 2 हममें से हरेक अपने पड़ोसी की भलाई तथा उन्नति के लिए उसकी प्रसन्नता का ध्यान रखे. 3 क्योंकि मसीह ने अपने आपको प्रसन्न नहीं किया जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: उनकी निन्दा, जो आपके निन्दक हैं, मुझ पर आ पड़ी है.
4 पहिले समय के सभी अभिलेख हमें शिक्षा देने के उद्धेश्य से लिखे गए कि सतत प्रयास तथा पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा हममें आशा का अनुभव हो.
5 परमेश्वर, जो धीरज और प्रोत्साहन के दाता है, तुम में मसीह येशु के अनुरूप आपस में एकता का भाव उत्पन्न करें 6 कि तुम एक मन और एक शब्द में परमेश्वर, हमारे प्रभु मसीह येशु के पिता का धन्यवाद और महिमा करो.
पारस्परिक एकता के लिए विनती
7 इसलिए एक दूसरे को स्वीकार करो—ठीक जिस प्रकार मसीह ने परमेश्वर की महिमा के लिए हमें स्वीकार किया है. 8 सुनो, परमेश्वर की सच्चाई की पुष्टि करने के लिए मसीह येशु ख़तना किए हुए लोगों के सेवक बन गए कि पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञाओं की पुष्टि हो 9 तथा अन्यजाति परमेश्वर की कृपादृष्टि के लिए उनकी महिमा करें, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है:
इसलिए मैं अन्यजातियों के बीच आपका धन्यवाद करूँगा.
10 फिर लिखा है:
अन्यजातियों! परमेश्वर की प्रजा के साथ मिल कर आनन्द करो.
11 और यह भी:
सभी अन्यजातियों! तुम प्रभु का धन्यवाद करो—सभी मनुष्य उनका धन्यवाद करें.
12 भविष्यद्वक्ता यशायाह ने भी कहा:
यिश्शै की जड़ में कोपलें होंगी तथा वह, जो उठेगा,
अन्यजातियों पर शासन करेगा.
वह सभी अन्यजातियों की आशा होगा.
13 परमेश्वर, जो आशा के स्रोत हैं, तुम्हारे विश्वास करने में तुम्हें सारे आनन्द और शान्ति से भरकर करें कि तुम पवित्रात्मा के सामर्थ्य के द्वारा आशा में बढ़ते जाओ.
आयोग पर बारह शिष्यों का भेजा जाना
(मत्ति 10:1-15; मारक 6:7-13)
9 मसीह येशु ने बारहों शिष्यों को बुला कर उन्हें प्रेतों के निकालने तथा रोग दूर करने की सामर्थ्य और अधिकार प्रदान किया 2 तथा उन्हें परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने तथा रोगियों को स्वस्थ करने के लिए भेज दिया. 3 मसीह येशु ने उन्हें निर्देश दिए, “यात्रा के लिए अपने साथ कुछ न रखना—न छड़ी, न झोला, न रोटी, न पैसा और न ही कोई बाहरी वस्त्र. 4 तुम जिस किसी घर में मेहमान हो कर रहो, नगर से विदा होने तक उसी घर के मेहमान बने रहना. 5 यदि लोग तुम्हें स्वीकार न करें तब उस नगर से बाहर जाते हुए अपने पैरों की धूलि झाड़ देना कि यह उनके विरुद्ध गवाही हो.” 6 वे चल दिए तथा सुसमाचार का प्रचार करते और रोगियों को स्वस्थ करते हुए सब जगह यात्रा करते रहे.
7 जो कुछ हो रहा था उसके विषय में हेरोदेस ने भी सुना और वह अत्यन्त घबरा गया क्योंकि कुछ लोग कह रहे थे कि बपतिस्मा देने वाले योहन मरे हुओं में से दोबारा जीवित हो गए हैं. 8 कुछ अन्य कह रहे थे कि एलियाह प्रकट हुए हैं[a] तथा कुछ अन्यों ने दावा किया कि प्राचीन काल के भविष्यद्वक्ताओं में से कोई दोबारा जीवित हो गया है 9 किन्तु हेरोदेस ने विरोध किया, “योहन का सिर तो स्वयं मैंने उड़वाया था, तब यह कौन है, जिसके विषय में मैं ये सब सुन रहा हूँ?” इसलिए हेरोदेस मसीह येशु से मिलने का प्रयास करने लगा.
लौट कर आए प्रेरितों का बखान
10 अपनी यात्रा से लौट कर प्रेरितों ने मसीह येशु के सामने अपने-अपने कामों का बखान किया. तब मसीह येशु उन्हें ले कर चुपचाप बैथसैदा नामक नगर चले गए. 11 किन्तु लोगों को इसके विषय में मालूम हो गया और वे वहाँ पहुँच गए. मसीह येशु ने सहर्ष उनका स्वागत किया और उन्हें परमेश्वर के राज्य के विषय में शिक्षा दी तथा उन रोगियों को चँगा किया, जिन्हें इसकी ज़रूरत थी.
पाँच हज़ार से अधिक लोगों को खिलाना
12 जब दिन ढलने पर आया तब बारहों प्रेरितों ने मसीह येशु के पास आ कर उन्हें सुझाव दिया, “भीड़ को विदा कर दीजिए कि वे पास के गाँवों में जा कर अपने ठहरने और भोजन की व्यवस्था कर सकें क्योंकि यह सुनसान जगह है.”
13 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हीं करो इनके भोजन की व्यवस्था!”
उन्होंने इसके उत्तर में कहा, “हमारे पास तो केवल पाँच रोटियां तथा दो मछलियां ही हैं; हाँ, यदि हम जा कर इन सबके लिए भोजन मोल ले आएँ तो यह सम्भव है.” 14 इस भीड़ में पुरुष ही लगभग पाँच हज़ार थे.
मसीह येशु ने शिष्यों को आदेश दिया, “इन्हें लगभग पचास-पचास के झुण्ड़ में बैठा दो.” 15 शिष्यों ने उन सबको भोजन के लिए बैठा दिया. 16 पाँचों रोटियां तथा दोनों मछलियां अपने हाथ में ले कर मसीह येशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि करते हुए उनके लिए परमेश्वर को धन्यवाद किया तथा उन्हें तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देते गए कि वे लोगों में इनको बाँटते जाएँ. 17 सब ने भरपेट खाया. शिष्यों ने तोड़ी हुई रोटियों तथा मछलियों के टुकड़े इकट्ठा किए, जिनसे बारह टोकरे भर गए.
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