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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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कोलोस्सॉय 2:8-23

यह ध्यान रहे कि कोई भी तुम्हें तत्व ज्ञान तथा खोखले छल के माध्यम से अपने वश में न कर ले, जो मनुष्य की परम्परा तथा संसार की आदि शिक्षा पर आधारित है—न कि मसीह के अनुसार.

सिर्फ मसीह ही मनुष्यों और स्वर्गदूतों के शिरोमणि हैं

परमेश्वरत्व की सारी परिपूर्णता उनके शरीर में वास करती है. 10 तुमने उन्हीं में, जो प्रधानता तथा अधिकार में सबसे ऊपर हैं, सारी परिपूर्णता प्राप्त की है. 11 मसीह द्वारा किए गए ख़तना के द्वारा, जब तुम्हारा सारा पाप का स्वभाव उतार दिया गया, तुम्हारा ऐसा ख़तना किया गया, जिसे हाथ से नहीं बनाया गया; 12 जब तुम बपतिस्मा में उनके साथ गाड़े गए तथा उसी में उनके साथ उस विश्वास के द्वारा जिलाए भी गए, जो परमेश्वर के सामर्थ में है, जिन्होंने मसीह को मरे हुओं में से जीवित किया.

13 तुम जब अपने अपराधों और अपनी शारीरिक खतनाहीनता में मरे हुए थे, उन्होंने हमारे सभी अपराधों को क्षमा करते हुए तुम्हें उनके साथ जीवित कर दिया. 14 उन्होंने हमारे कर्ज़ के प्रमाण-पत्र को, जिसमें हमारे विरुद्ध लिखा गया अध्यादेश था, मिटाकर क्रूस पर कीलों से जड़ कर सामने से हटा दिया 15 और परमेश्वर ने प्रधानों तथा अधिकारियों को निहत्था कर उन्हें अपनी विजय-यात्रा में खुल्लम-खुल्ला तमाशे का पात्र बना दिया.

संसार की रीतियों को मिटा देना

16 इसलिए तुम्हारे खान-पान या उत्सव, नए चाँद या शब्बाथ को लेकर कोई तुम्हारा फैसला न करने पाए. 17 ये सब होनेवाली घटनाओं की छाया मात्र हैं. मूल वस्तुएं तो मसीह की हैं. 18 कोई भी, जो विनम्रता के दिखावे और स्वर्गदूतों की उपासना में लीन है, तुम्हें तुम्हारे पुरस्कार से दूर न करने पाए. ऐसा व्यक्ति अपने देखे हुए ईश्वरीय दर्शनों का वर्णन विस्तार से करता है तथा खोखली सांसारिक समझ से फूला रहता है. 19 यह व्यक्ति उस सिर को दृढ़तापूर्वक थामे नहीं रहता जिससे सारा शरीर जोड़ों और सांस लेनेवाले अंगों द्वारा पोषित तथा सम्बद्ध रहता और परमेश्वर द्वारा किए गए विकास से बढ़ता जाता है.

20 जब तुम सांसारिक तत्व-ज्ञान के प्रति मसीह के साथ मर चुके हो तो अब तुम्हारी जीवनशैली ऐसी क्यों है, जो संसार के इन नियमों के अधीन है: 21 “इसे मत छुओ! इसे मत चखो! इसे व्यवहार में मत लाओ!” 22 लगातार उपयोग के कारण इन वस्तुओं का नाश होना इनका स्वभाव है क्योंकि इनका आधार सिर्फ मनुष्य की आज्ञाएँ तथा शिक्षाएं हैं. 23 अपनी ही सुविधा के अनुसार गढ़ी गई आराधना विधि, विनम्रता के दिखावे तथा शरीर को कष्ट देने के भाव से ज़रूर दिखाई दे सकती है किन्तु शारीरिक वासनाओं के दमन के लिए ये सब हमेशा विफल सिद्ध होते हैं.

लूकॉ 6:39-49

39 मसीह येशु ने उन्हें इस दृष्टान्त के द्वारा भी शिक्षा दी.

“क्या कोई अंधा दूसरे अंधे का मार्गदर्शन कर सकता है? क्या वे दोनों ही गड्ढे में न गिरेंगे? 40 विद्यार्थी अपने शिक्षक से बढ़कर नहीं है परन्तु हर एक, जिसने शिक्षा पूरी कर ली है, वह अपने शिक्षक के समान होगा.

41 “तुम अपने भाई के आँख में उस बुरादे के तिनके को क्यों देख रहे हो जबकि अपने आँख में पड़े लट्ठे का तुम्हें ज्ञान ही नहीं? 42 तुम अपने भाई से यह कैसे कह सकते हो, ‘भाई आओ, मैं तुम्हारी आँख में से बुरादे का तिनका निकाल दूँ’ जबकि स्वयं तुमको अपनी आँख में पड़ा लट्ठा दिखाई नहीं देता? अरे पाखण्डी! पहले अपनी आँख में से लट्ठा तो निकाल! तभी तुझे अपने भाई की आँख में से बुरादे का तिनका निकालने के लिए साफ़ दृष्टि मिल सकेगी.”

फलदायी जीवन के विषय में शिक्षा

(मत्ति 7:15-20)

43 “कोई भी अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं लाता और न बुरा पेड़ अच्छा फल. 44 हर एक पेड़ उसके अपने फलों के द्वारा पहचाना जाता है. कंटीले वृक्षों में से लोग अंजीर या कंटीली झाड़ियों में से अंगूर इकट्ठा नहीं किया करते. 45 भला व्यक्ति अपने हृदय में एकत्रित भलाई में से भलाई ही प्रस्तुत करता है, वैसे ही बुरा मनुष्य अपने हृदय में एकत्रित बुरे विचारों में से बुराई ही निकालता है क्योंकि उसका मुख उसके हृदय के अंदर की वस्तुओं में से ही निकालता है.”

दो भवन-निर्माण

(मत्ति 7:21-29)

46 “तुम लोग मुझे, प्रभु-प्रभु कह कर क्यों पुकारते हो जबकि मेरी आज्ञाओं का पालन ही नहीं करते? 47 मैं तुम्हें बताऊँगा कि वह व्यक्ति किस प्रकार का है, जो मेरे पास आता है, मेरे सन्देश को सुनता तथा उसका पालन करता है: 48 वह उस घर बनानेवाले के जैसा है, जिसने गहरी खुदाई करके चट्टान पर नींव डाली. मूसलाधार बारिश के तेज बहाव ने उस घर पर ठोकरें मारी किन्तु उसे हिला न पाया क्योंकि वह घर मजबूत था. 49 वह व्यक्ति, जो मेरे सन्देश को सुनता है किन्तु उसका पालन नहीं करता, उस व्यक्ति के समान है, जिसने भूमि पर बिना नींव के घर बनाया और जिस क्षण उस पर तेज बहाव ने ठोकरें मारी, वह ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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