Book of Common Prayer
अगुवा अऊ जवान मनखे मन
5 तुमन म जऊन मन अगुवा अंय, ओमन ला मेंह एक संगी अगुवा के रूप म, अऊ मसीह के दुःख उठाय के एक गवाह के रूप म अऊ परगट होवइया महिमा म सामिल होवइया के रूप म बिनती करत हंव: 2 परमेसर के ओ झुंड के, जऊन ह तुम्हर अधीन हवय, पास्टर के रूप म सेवा करत ओ झुंड के चरवाहा बनव। एह दबाव ले नइं, पर जइसने परमेसर तुमन ले चाहथे, अपन ईछा ले करव; पईसा के लालच म नइं, पर सेवा-भाव ले करव। 3 जऊन मनखेमन तुमन ला सऊंपे गे हवंय, ओमन ऊपर हुकूम झन चलावव, पर झुंड खातिर एक नमूना बनव। 4 अऊ जब मुखिया चरवाहा परगट होही, त तुमन महिमा के ओ मुकुट पाहू, जऊन ह अपन चमक कभू नइं खोवय।
5 हे जवानमन, तुमन घलो ओही किसम ले सियानमन के अधीन रहव। एक-दूसर के संग नमरता ले बरताव करव, काबरकि,
“परमेसर ह घमंडी मनखे के बिरोध करथे,
पर नम्र मनखे ला अनुग्रह देथे।”[a]
6 एकरसेति, परमेसर के सामरथी हांथ के तरी अपन-आप ला नम्र करव, ताकि ओह तुमन ला उचित समय म ऊपर करय। 7 अपन जम्मो चिंता ला ओकर ऊपर छोंड़ देवव, काबरकि ओह तुम्हर खियाल रखथे। 8 तुमन संयमी अऊ सचेत रहव। काबरकि तुम्हर बईरी सैतान ह एक गरजत सिंह के सहीं एती-ओती गिंजरथे अऊ ए फिराक म रहिथे कि कोनो ला चीरके खावय। 9 बिसवास म मजबूत होके ओकर मुकाबला करव, काबरकि तुमन जानत हव कि तुम्हर संगी बिसवासीमन, जम्मो संसार म एही किसम के दुःख भोगत हवंय।
10 अऊ तुम्हर थोरकन समय तक दुःख भोगे के बाद, जम्मो अनुग्रह के परमेसर, जऊन ह तुमन ला मसीह म अपन सदाकाल के महिमा बर बलाय हवय, ओह खुद तुमन ला संभालही, अऊ तुमन ला, बलवान, मजबूत अऊ स्थिर करही। 11 ओकर सामरथ जुग-जुग ले बने रहय। आमीन।
रूख अऊ ओकर फर
(लूका 6:43-44, 46; 13:25-27)
15 “लबरा अगमजानीमन ले सचेत रहव। ओमन भेड़ के भेस म तुम्हर करा आथें, पर भीतर ले ओमन ह भयंकर भेड़िया अंय। 16 ओमन के काम के दुवारा ओमन ला तुमन चिन डारहू। का मनखेमन कंटिली झाड़ी ले अंगूर या ऊंटकटारा झाड़ी ले अंजीर के फर टोरथें? 17 ओही किसम ले बने रूख ह बने फर देथे, अऊ खराप रूख ह खराप फर देथे। 18 बने रूख ह खराप फर नइं दे सकय अऊ न ही खराप रूख बने फर दे सकथे। 19 हर ओ रूख जऊन ह बने फर नइं देवय, काटे अऊ आगी म झोंके जाथे। 20 ए किसम ले, ओमन के फर के दुवारा, तुमन ओमन ला चिन डारहू।
21 जऊन मन मोला, ‘हे परभू! हे परभू!’ कहिथें, ओमन म ले जम्मो झन स्वरग के राज म नइं जा सकंय, पर जऊन ह स्वरग म रहइया मोर ददा के ईछा ला पूरा करथे, सिरिप ओहीच ह स्वरग के राज म जाही। 22 नियाय के दिन म कतको मनखेमन मोला कहिहीं, ‘हे परभू! हे परभू! का हमन ह तोर नांव म अगमबानी नइं करेन? का हमन तोर नांव म परेत आतमामन ला नइं निकारेन? अऊ तोर नांव म कतको अचरज के काम नइं करेन?’ 23 तब मेंह ओमन ला साफ-साफ बता दूहूं, ‘मेंह तुमन ला कभू नइं जानेंव। हे कुकरमीमन हो, मोर ले दूरिहा हटव।’ ”
घर बनवइया दू झन मनखे: बुद्धिमान अऊ मुरुख
(लूका 6:47-49)
24 “एकरसेति, जऊन ह मोर ए गोठमन ला सुनथे अऊ ओकर पालन करथे, ओह ओ बुद्धिमान मनखे सहीं अय, जऊन ह चट्टान ऊपर अपन घर बनाईस। 25 पानी बरसिस, नदीमन म पूरा आईस, गरेर चलिस, अऊ ओ घर ले टकराईस, तभो ले ओ घर ह नइं गिरिस, काबरकि ओकर नींव ह चट्टान ऊपर डारे गे रिहिस। 26 पर जऊन ह मोर ए गोठमन ला सुनथे अऊ ओकर पालन नइं करय, ओह ओ मुरुख मनखे सहीं अय, जऊन ह बालू ऊपर अपन घर बनाईस। 27 पानी बरसिस, नदीमन म पूरा आईस, गरेर चलिस अऊ ओ घर ले टकराईस अऊ ओ घर ह भरभरा के गिर गीस।”
28 जब यीसू ह ए बातमन ला कह चुकिस, त मनखेमन के भीड़ ह ओकर उपदेस ला सुनके चकित हो गीस। 29 काबरकि यीसू ह ओमन के कानून के गुरूमन सहीं नइं, पर अधिकार के संग ओमन ला उपदेस देवत रिहिस।
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