Book of Common Prayer
अन्य निर्देश
7 संसार का अन्त पास है इसलिए तुम प्रार्थना के लिए संयम और सचेत भाव धारण करो. 8 सबसे उत्तम तो यह है कि आपस में उत्तम प्रेम रखो क्योंकि प्रेम अनगिनत पापों पर पर्दा डाल देता है. 9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि-सत्कार करो. 10 हर एक ने परमेश्वर द्वारा विशेष क्षमता प्राप्त की है इसलिए वह परमेश्वर के असीम अनुग्रह के उत्तम भण्ड़ारी के रूप में एक दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उसका प्रयोग करे. 11 यदि कोई प्रवचन करे, तो इस भाव में, मानो वह स्वयं परमेश्वर का वचन हो; यदि कोई सेवा करे, तो ऐसी सामर्थ से, जैसा परमेश्वर प्रदान करते हैं कि सभी कामों में मसीह येशु के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद हो, जिनका साम्राज्य और महिमा सदा-सर्वदा है. आमेन.
पेतरॉस का पुनस्थापन
15 भोजन के बाद मसीह येशु ने शिमोन पेतरॉस से प्रश्न किया, “योहन के पुत्र शिमोन, क्या तुम इन सबसे बढ़कर मुझसे प्रेम करते हो?”
उन्होंने उत्तर दिया, “जी हाँ, प्रभु, आप जानते हैं कि मैं आप से प्रेम करता हूँ.”
मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरे मेमनों को चराओ.”
16 मसीह येशु ने दूसरी बार उनसे पूछा, “योहन के पुत्र शिमोन, क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो?”
उन्होंने उत्तर दिया, “जी हाँ, प्रभु, आप जानते हैं मैं आप से प्रेम करता हूँ.” मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरी भेड़ों की देखभाल करो.”
17 मसीह येशु ने तीसरी बार पूछा, “योहन के पुत्र शिमोन, क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो?”
यह सुन कर पेतरॉस आहत हुए कि मसीह येशु ने उनसे तीसरी बार यह पूछा, “क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो?”
उत्तर में उन्होंने मसीह येशु से कहा, “प्रभु, आप तो मन की बात समझते हैं, आप जानते हैं कि मैं आप से प्रेम करता हूँ.”
मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरी भेड़ों को चराओ. 18 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ, जब तुम युवा थे तो अपनी कमर स्वयं कसा करते थे और अपनी इच्छानुसार जहाँ चाहे वहाँ जाया करते थे; परन्तु जब तुम बूढ़े होगे तो तुम अपने हाथ, ऊपर उठाओगे, कोई दूसरा व्यक्ति तुम्हारी कमर कसेगा और वह तुम्हें वहाँ ले जाएगा, जहाँ तुम जाना भी न चाहोगे.” 19 इस कथन के द्वारा मसीह येशु ने यह संकेत दिया था कि पेतरॉस किस प्रकार की मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेंगे. यह कहने के बाद उन्होंने पेतरॉस से कहा, “मेरे पीछे चलो.”
योहन का भविष्य
20 पेतरॉस ने मुड़ कर मसीह येशु के उस प्रिय शिष्य को पीछे आते हुए देखा अर्थात् वही, जो फ़सह के भोज के समय उनके अत्यन्त पास बैठा था और जिसने प्रश्न किया था, “वह कौन है, जो आपके साथ धोखा कर रहा है?” 21 उसे देख कर पेतरॉस ने मसीह येशु से प्रश्न किया, “प्रभु इसका क्या होगा?”
22 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक रहे तो तुम्हें इससे क्या? तुम तो मेरे पीछे चलो.” 23 इसलिए शिष्य समुदाय में यह धारणा फैल गई कि उस शिष्य की मृत्यु ही नहीं होगी. किन्तु मसीह येशु ने उनसे यह नहीं कहा था कि उनकी मृत्यु नहीं होगी. उन्होंने तो केवल यह कहा था, “यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक रहे, तो तुम्हें इससे क्या?”
24 यह वही शिष्य है, जो इन सब घटनाओं का गवाह है और जिसने यह बातें लिखी हैं. हम जानते हैं कि उसकी गवाही सच्ची है. 25 मसीह येशु ने इनके अतिरिक्त अन्य अनेक काम भी किए. यदि हर एक का वर्णन विस्तार से किया जाता तो मेरे विचार से जितनी पुस्तकें लिखी जातीं वे संसार में भी न समा पातीं.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.