Book of Common Prayer
आपस में प्रेम करो
11 तुमने आरम्भ ही से यह सन्देश सुना है कि हम में आपस में प्रेम हो; 12 हम काइन जैसे न हों, जो उस दुष्ट से था और जिसने अपने भाई की हत्या कर दी. उसने अपने भाई की हत्या किसलिए की? इसलिए कि उसके काम बुरे तथा उसके भाई के काम धार्मिकता के थे. 13 यदि संसार तुमसे घृणा करता है, तो, प्रियजन, चकित न हो. 14 हम जानते हैं कि हम मृत्यु के अधिकार से निकल कर जीवन में प्रवेश कर चुके हैं, क्योंकि हम में आपस में प्रेम है; वह, जिसमें प्रेम नहीं, मृत्यु के अधिकार में ही है. 15 हर एक, जो साथी विश्वासी से घृणा करता है, हत्यारा है. तुम्हें यह मालूम है कि किसी भी हत्यारे में अनन्त जीवन मौजूद नहीं रहता.
16 प्रेम क्या है यह हमने इस प्रकार जाना: मसीह येशु ने हमारे लिए प्राणों का त्याग कर दिया. इसलिए हमारा भी एक-दूसरे के लिए अपने प्राणों का त्याग करना सही है. 17 जो कोई संसार की संपत्ति के होते हुए भी साथी विश्वासी की ज़रूरत की अनदेखी करता है, तो कैसे कहा जा सकता है कि उसमें परमेश्वर का प्रेम मौजूद है?
प्रेम करने की विधि
18 प्रियजन, हमारे प्रेम की अभिव्यक्ति वचन व मौखिक नहीं परन्तु कामों और सच्चाई में हो.
जंगल में शैतान द्वारा मसीह येशु की परीक्षा
(मत्ति 4:1-11; मारक 1:12, 13)
4 पवित्रात्मा से भरकर मसीह येशु यरदन नदी से लौटे और आत्मा उन्हें जंगल में ले गया, 2 जहाँ चालीस दिन तक शैतान उन्हें परीक्षा में डालने का प्रयास करता रहा. इस अवधि में वह पूरी तरह बिना भोजन के रहे, इसके बाद उन्हें भूख लगी.
3 शैतान ने उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो इस पत्थर को आज्ञा दो कि यह रोटी बन जाए.”
4 मसीह येशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है: मनुष्य मात्र रोटी से ही जीवित नहीं रहेगा.”
5 इसके बाद शैतान ने उन्हें ऊँचे पहाड़ पर ले जा कर क्षण मात्र में सारे विश्व के सभी राज्यों की झलक दिखाई 6 और उनसे कहा, “इन सबका सारा अधिकार और वैभव मैं तुम्हें दूँगा क्योंकि ये सब मुझे सौंपे गए हैं इसलिए ये सब मैं अपनी इच्छा से किसी को भी दे सकता हूँ. 7 यदि तुम मात्र मेरी आराधना करो तो ये सब तुम्हारा हो जाएगा.”
8 मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “लिखा है: तुम केवल प्रभु, अपने परमेश्वर की ही वन्दना करना तथा मात्र उन्हीं की सेवा करना.”
9 इसके बाद शैतान ने उन्हें येरूशालेम ले जा कर मन्दिर की चोटी पर खड़ा कर दिया और उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो यहाँ से कूद जाओ, 10 क्योंकि लिखा है:
“‘वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी सुरक्षा के सम्बन्ध
में आज्ञा देंगे तथा;
11 वे तुम्हें हाथों-हाथ उठा लेंगे;
कि तुम्हारे पांव को पत्थर से चोट न लगे.’”
12 इसके उत्तर में मसीह येशु ने उससे कहा, “यह भी तो लिखा है: तुम प्रभु अपने परमेश्वर को न परखना.”
13 जब शैतान मसीह येशु को परीक्षा में डालने के सभी प्रयास कर चुका, वह उन्हें किसी सटीक अवसर तक के लिए छोड़ कर चला गया.
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