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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रेरित 2:36-47

36 “इसीलिए सारा इस्राएल निश्चित रूप से यह जान ले कि इन्हीं येशु को, जिन्हें तुम लोगों ने क्रूसित किया परमेश्वर ने प्रभु और मसीह पद से सम्मानित किया.”

सबसे पहिले परिवर्तन

37 इस बात ने उनके हृदयों को छेद दिया. उन्होंने पेतरॉस और शेष प्रेरितों से जानना चाहा, “प्रियजन, अब हमारे लिए क्या करना सही है?”

38 पेतरॉस ने उत्तर दिया, “पश्चाताप कीजिए तथा आप में से हर एक मसीह येशु के नाम में पाप-क्षमा का बपतिस्मा ले—आपको दान के रूप में पवित्रात्मा 39 मिलेगी—क्योंकि यह प्रतिज्ञा आपके, आपकी सन्तान और उन सब के लिए भी है, जो अभी दूर-दूर हैं तथा परमेश्वर जिनको अपने पास बुलाने पर हैं.”

40 पेतरॉस ने अनेक तर्क प्रस्तुत करते हुए उनसे विनती की, “स्वयं को इस टेढ़ी पीढ़ी से बचाए रखिए.” 41 इसलिए जिन्होंने पेतरॉस के प्रवचन को स्वीकार किया और बपतिस्मा लिया. उस दिन लगभग तीन हज़ार व्यक्ति उनमें शामिल हो गए.

नए विश्वासियों की घनिष्ठ एकता

42 वे सभी लगातार प्रेरितों की शिक्षा के प्रति समर्पित हो, पारस्परिक संगति, प्रभु-भोज की क्रिया और प्रार्थना में लीन रहने लगे. 43 प्रेरितों द्वारा किए जा रहे अद्भुत काम तथा अद्भुत-चिह्न सभी के लिए आश्चर्य का विषय बन गए थे. 44 मसीह के सभी विश्वासी घनिष्ठ एकता में रहने लगे तथा उनकी सब वस्तुओं पर सबका एक-सा अधिकार था. 45 वे अपनी सम्पत्ति बेचकर, जिनके पास कम थी उनमें बाँटने लगे. 46 हर रोज़ वे मन्दिर के आँगन में एक मन हो नियमित रूप से इकट्ठा होते, भोजन के लिए एक-दूसरे के घर में निर्मल भाव से आनन्दपूर्वक सामूहिक रूप से भोजन करते 47 तथा परमेश्वर का गुणगान करते थे. वे सभी की प्रसन्नता के भागी थे. परमेश्वर इनमें दिन-प्रतिदिन उनको मिलाते जा रहे थे, जो उद्धार प्राप्त कर रहे थे.

योहन 14:15-31

मसीह येशु द्वारा पवित्रात्मा की प्रतिज्ञा

15 “यदि तुम्हें मुझसे प्रेम है तो तुम मेरे आदेशों का पालन करोगे. 16 मैं पिता से विनती करूँगा और वह तुम्हें एक और सहायक देंगे कि वह हमेशा तुम्हारे साथ रहें: 17 सच की आत्मा, जिन्हें संसार ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि संसार न तो उन्हें देखता है और न ही उन्हें जानता है. तुम उन्हें जानते हो क्योंकि वह तुम में वास करते हैं और वह तुम में हमेशा बने रहेंगे. 18 मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्हारे पास लौट कर आऊँगा. 19 कुछ ही समय शेष है, जब संसार मुझे नहीं देखेगा परन्तु तुम मुझे देखोगे. मैं जीवित हूँ इसलिए तुम भी जीवित रहोगे. 20 उस दिन तुम्हें यह मालूम हो जाएगा कि मैं अपने पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में. 21 वह, जो मेरे आदेशों को स्वीकार करता और उनका पालन करता है, वही है, जो मुझसे प्रेम करता है. वह, जो मुझसे प्रेम करता है, मेरे पिता का प्रियजन होगा. मैं उससे प्रेम करूँगा और स्वयं को उस पर प्रकट करूँगा.”

22 यहूदाह ने, जो कारियोतवासी नहीं थे, उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, ऐसा क्या हो गया कि आप स्वयं को तो हम पर प्रकट करेंगे किन्तु संसार पर नहीं?”

23 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि कोई व्यक्ति मुझसे प्रेम करता है तो वह मेरी शिक्षा का पालन करेगा; वह मेरे पिता का प्रियजन बनेगा और हम उसके पास आ कर उसके साथ निवास करेंगे. 24 वह, जो मुझसे प्रेम नहीं करता, मेरे वचन का पालन नहीं करता. ये वचन, जो तुम सुन रहे हो, मेरे नहीं, मेरे पिता के हैं, जो मेरे भेजनेवाले हैं.

25 “तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने ये सच तुम पर प्रकट कर दिए हैं 26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्रात्मा, जिन्हें पिता मेरे नाम में प्रेषित करेंगे, तुम्हें इन सब विषयों की शिक्षा देंगे और जो कुछ मैंने तुमसे कहा है, उसकी याद दिलाएंगे. 27 तुम्हारे लिए मैं शान्ति छोड़े जाता हूँ; मैं तुम्हें अपनी शान्ति दे रहा हूँ; वैसी नहीं, जैसी संसार देता है. अपने मन को व्याकुल और भयभीत न होने दो.

28 “मेरी बातें याद रखो: मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास लौट आऊँगा. यदि तुम मुझसे प्रेम करते तो यह जान कर आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, जो मुझसे अधिक महान हैं. 29 यह घटित होने से पहले ही मैंने तुम्हें इससे अवगत करा दिया है कि जब यह घटित हो तो तुम विश्वास करो. 30 अब मैं तुमसे अधिक कुछ नहीं कहूँगा क्योंकि संसार का राजा आ रहा है. मुझ पर उसका कोई अधिकार नहीं है. 31 संसार यह समझ ले कि मैं अपने पिता से प्रेम करता हूँ. यही कारण है कि मैं उनके सारे आदेशों का पालन करता हूँ.

“उठो, यहाँ से चलें.

Saral Hindi Bible (SHB)

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