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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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रोमियों 8:28-39

उनकी ही महिमा में शामिल होने के लिए परमेश्वर की बुलाहट

28 हमें यह अहसास है कि जिन्हें परमेश्वर से प्रेम है तथा जिनकी बुलाहट परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हुई है, उनके लिये सब बाते मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती. 29 यह इसलिए कि जिनके विषय में परमेश्वर को पहले से ज्ञान था, उन्हें परमेश्वर ने अपने पुत्र मसीह येशु के स्वरूप में हो जाने के लिए पहले से ठहरा दिया था कि मसीह येशु अनेक भाइयों में पहलौठे हो जाएँ. 30 जिन्हें परमेश्वर ने पहले से ठहराया, उनको बुलाया भी है; जिनको उन्होंने बुलाया, उन्हें धर्मी घोषित भी किया; जिन्हें उन्होंने धर्मी घोषित किया, उन्हें परमेश्वर ने महिमित भी किया.

परमेश्वर के प्रेम का गीत

31 तो इस विषय में क्या कहा जा सकता है? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में हैं तो कौन हो सकता है हमारा विरोधी? 32 परमेश्वर वह हैं, जिन्होंने अपने निज पुत्र को हम सबके लिए बलिदान कर देने तक में संकोच न किया. भला वह कैसे हमें उस पुत्र के साथ सभी कुछ उदारतापूर्वक न देंगे! 33 परमेश्वर के चुने हुओं पर आरोप भला कौन लगाएगा? परमेश्वर ही हैं, जो उन्हें निर्दोष घोषित करते हैं. 34 वह कौन है, जो उन्हें अपराधी घोषित करता है? मसीह येशु वह हैं, जिन्होंने अपने प्राणों का त्याग कर दिया, इसके बाद वह मरे हुओं में से जीवित किए गए, अब परमेश्वर के दायें पक्ष में आसीन हैं तथा वही हैं, जो हमारे लिए प्रार्थना करते हैं. 35 कौन हमें मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्लेश, संकट, सताहट, अकाल, कंगाली, जोखिम या तलवार से मृत्यु? 36 ठीक जैसा पवित्रशास्त्र में लिखा है:

“आपके लिए दिन भर हमारी हत्या होती है;
    हम वध के लिए निर्धारित भेड़ों के समान समझे जाते हैं.”

37 मगर इन सब विषयों में हम उनके माध्यम से, जिन्होंने हमसे प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं. 38 क्योंकि मैं यह जानता हूँ, कि न तो मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य 39 न उँचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि हमें हमारे प्रभु मसीह येशु में परमेश्वर के प्रेम से अलग कर सकती है.

योहन 6:52-59

52 यह सुन कर यहूदी आपस में विवाद करने लगे, “यह व्यक्ति कैसे हमें अपना शरीर खाने के लिए दे सकता है?”

53 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर न खाओ और उसका लहू न पियो, तुम में जीवन नही. 54 अनन्त काल का जीवन उसी का है, जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है; अन्तिम दिन मैं उसे फिर से जीवित करूँगा. 55 मेरा शरीर ही वास्तविक भोजन और मेरा लहू ही वास्तविक पेय है. 56 जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है, वही है, जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें. 57 जैसे जीवन्त पिता परमेश्वर ने मुझे भेजा है और मैं पिता के कारण जीवित हूँ, वैसे ही वह भी, जो मुझे ग्रहण करता है, मेरे कारण जीवित रहेगा. 58 यह वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी हुई है; वैसी नहीं, जो पूर्वजों ने खाई और फिर भी उनकी मृत्यु हो गई; परन्तु वह, जो यह रोटी खाता है, हमेशा जीवित रहेगा.” 59 मसीह येशु ने ये बातें कफ़रनहूम नगर के यहूदी सभागृह में शिक्षा देते हुए बताईं.

Saral Hindi Bible (SHB)

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