Book of Common Prayer
पौलुस अऊ लबरा प्रेरित
11 मोला आसा हवय कि तुमन मोर थोरकन मूर्खता ला सह लूहू, अऊ हां तुमन एला सहत घलो हवव। 2 मेंह तुम्हर बर ईसवरीय धुन रखथंव। मेंह तुम्हर ले सिरिप एकेच घरवाला के वायदा करे हवंव, जऊन ह मसीह अय, ताकि मेंह तुमन ला एक पबितर कुवांरी के रूप म ओला दे सकंव। 3 पर मेंह डरत हवंव कि मसीह म तुम्हर जऊन ईमानदारी अऊ सुध भक्ति हवय, तुमन ओकर ले भटक झन जावव, जइसने हवा ह सांप के छल-कपट ले धोखा खाय रिहिस। 4 काबरकि यदि कोनो तुम्हर करा आथे अऊ आने यीसू के परचार करथे, जेकर परचार हमन नइं करे हवन या फेर जऊन आतमा तुमन ला पहिली मिले हवय, ओला छोंड़के कोनो अऊ आतमा के बारे म गोठियाथे या फेर कोनो अऊ किसम के सुघर संदेस सुनाथे, जऊन ला तुमन नइं सुने रहेव, त तुमन ओला असानी से मान लेथव। 5 पर मेंह अपन-आप ला ओ बड़े प्रेरितमन ले कोनो बात म कम नइं समझंव। 6 मेंह गोठियाय म अनाड़ी अंव, पर मोर करा गियान हवय। हर किसम ले, हमन ए बात ला तुम्हर आघू म साफ कर दे हवन।
7 का मेंह कोनो पाप करेंव कि तुमन ला परमेसर के सुघर संदेस ला बिगर कोनो दाम लिये सुनांय, अऊ अपन-आप ला दीन-हीन करेंव ताकि तुमन ऊपर उठाय जावव। 8 तुम्हर बीच म सेवा करे बर, मेंह आने कलीसियामन ले मदद लेंव, ताकि तुम्हर सेवा कर सकंव। 9 जब मेंह तुम्हर संग रहेंव अऊ मोला कोनो चीज के जरूरत होईस, त मेंह काकरो ऊपर बोझ नइं बनेंव, काबरकि जऊन भाईमन मकिदुनिया ले आईन, ओमन मोर जरूरत के चीज ला पूरा करिन। मेंह अब तक तुम्हर ऊपर कोनो बोझ नइं बने हवंव, अऊ भविस्य म घलो, मेंह तुम्हर ऊपर कोनो किसम ले बोझ नइं बनंव। 10 जब तक मसीह के सच्चई मोर म हवय, तब तक अखया छेत्र म कोनो मोर ए घमंड करई ला नइं रोकय। 11 काबर? का एकरसेति कि मेंह तुम्हर ले मया नइं करंव? परमेसर ह जानत हवय कि मेंह तुम्हर ले मया करथंव। 12 जऊन काम मेंह करत हवंव, ओला मेंह करतेच रहिहूं, ताकि ओ लबरा प्रेरितमन के घमंड करे अऊ ए कहे ला लबरा साबित करंव कि ओमन घलो ओहीच किसम के काम करथें, जइसने हमन करथन।
13 काबरकि अइसने मनखेमन लबरा प्रेरित, छल-कपट ले काम करइया अऊ मसीह के प्रेरित के सहीं ढोंग करइया अंय। 14 अऊ एह कोनो अचम्भो करे के बात नो हय, काबरकि सैतान ह खुद ज्योतिमय स्वरगदूत सहीं रूप धरथे। 15 एकरसेति यदि ओकर सेवकमन घलो धरमीपन के सेवक सहीं रूप धरंय, त कोनो बड़े बात नो हय, पर ओमन के अंत ह ओमन के काम के मुताबिक होही।
पौलुस अपन दुःख तकलीफ ऊपर घमंड करथे
16 मेंह फेर कहत हंव, कोनो मोला मुरुख झन समझय। पर यदि तुमन मोला मुरुख समझथव, त मोला एक मुरुख के रूप म ही गरहन करव, ताकि मेंह घलो थोरकन घमंड कर सकंव। 17 घमंड के ए बात म, मेंह एक मुरुख मनखे के सहीं गोठियावत हंव, मेंह वइसने नइं गोठियावत हवंव, जइसने परभू ह गोठियाही। 18 जब कतको झन संसारिक बात के घमंड करथें, त मेंह घलो घमंड करहूं। 19 तुमन खुसी ले मुरुखमन के सह लेथव, काबरकि तुमन बहुंत समझदार अव। 20 अऊ त अऊ, कहूं कोनो तुमन ला गुलाम बना लेथे, या तुमन ला ठगथे या तुम्हर ले फायदा उठाथे या तुम्हर आघू म अपन-आप ला बड़े बनाथे या फेर तुम्हर गाल म थपरा मारथे, तभो ले तुमन ओकर सह लेथव। 21 मोला ए कहत सरम आथे कि हमन ओ जम्मो काम म बहुंत कमजोर रहेंन। पर यदि कोनो मनखे कोनो बात म घमंड करे के हिम्मत करथे, त मेंह एक मुरुख मनखे के सहीं कहत हंव कि मेंह घलो ओ बात म घमंड करे के हिम्मत कर सकथंव।
उपास
16 “जब तुमन उपास करथव, त तुमन अपन चेहरा ला उदास झन बनावव, जइसने कि ढोंगीमन करथें; ओमन अपन चेहरा ला ओरमाय रहिथें, ताकि मनखेमन देखंय कि ओमन उपास करत हवंय। मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओमन अपन जम्मो इनाम पा चुकिन। 17 पर जब तुमन उपास करथव, त अपन मुड़ म तेल चुपरव अऊ मुहूं ला धोवव, 18 ताकि मनखेमन ए झन जानंय कि तुमन उपास करत हवव, पर सिरिप तुम्हर ददा परमेसर ह जानय, जऊन ह नइं दिखय। अऊ तुम्हर ददा, जऊन ह हर गुपत के काम ला देखथे, तुमन ला इनाम दिही।”
स्वरग म धन
(लूका 12:33-34)
19 “अपन खातिर ए धरती म धन जमा झन करव, जिहां कीरा अऊ मुर्चा एला नास करथें, अऊ चोरमन सेंध मारके चुरा लेथें। 20 पर अपन खातिर स्वरग म धन जमा करव, जिहां कीरा अऊ मुर्चा एला नास नइं कर सकंय, अऊ न ही चोरमन सेंध मारके चोरी कर सकंय। 21 काबरकि जिहां तुम्हर धन हवय, उहां तुम्हर मन घलो लगे रहिही।
22 आंखी ह देहें के दीया अय। यदि तुम्हर आंखीमन बने हवंय, त तुम्हर जम्मो देहें ह अंजोर ले भर जाही। 23 पर यदि तुम्हर आंखीमन खराप हवंय, त तुम्हर जम्मो देहें ह अंधियार ले भर जाही। एकरसेति, ओ अंजोर जऊन ह तुमन म हवय, यदि अंधियार हो जाथे, त ओह कतेक भयंकर अंधियार होही।[a]
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