Book of Common Prayer
10 यह सही ही था कि परमेश्वर, जिनके लिए तथा जिनके द्वारा हर एक वस्तु का अस्तित्व है, अनेक सन्तानों को महिमा में प्रवेश कराने के द्वारा उनके उद्धारकर्ता को दुःख उठाने के द्वारा सिद्ध बनाएँ. 11 जो पवित्र करते हैं तथा वे सभी, जो पवित्र किए जा रहे हैं, दोनों एक ही पिता की सन्तान हैं. यही कारण है कि वह उन्हें भाई कहते हुए लज्जित नहीं होते. 12 वह कहते हैं:
“मैं अपने भाइयों के सामने आपके नाम की घोषणा करूँगा,
सभा के सामने मैं आपकी वन्दना गाऊँगा.”
13 और दोबारा
“मैं उनमें भरोसा करूँगा और दोबारा
मैं और वे, जिन्हें सन्तान के रूप में परमेश्वर ने मुझे सौंपा है, यहाँ हैं.”
14 इसलिए कि सन्तान लहू और माँस की होती है, मसीह येशु भी लहू और माँस के हो गए कि मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात् शैतान को, जिसमें मृत्यु का सामर्थ्य था, बलहीन कर दें 15 और वह उन सभी को स्वतन्त्र कर दें, जो मृत्यु-भय के कारण जीवन भर दासत्व के अधीन होकर रह गए थे. 16 यह तो सुनिश्चित है कि वह स्वर्गदूतों की नहीं परन्तु अब्राहाम के वंशजों की सहायता करते हैं. 17 इसलिए हर एक पक्ष में मसीह येशु का मनुष्य के समान बन जाना ज़रूरी था कि सबके पापों के लिए वह प्रायश्चित-बलि[a] होने के लिए परमेश्वर के सामने कृपालु और विश्वासयोग्य महापुरोहित बन जाएँ. 18 स्वयं उन्होंने अपनी परख के अवसर पर दुःख उठाया, इसलिए वह अब उन्हें सहायता प्रदान करने में सक्षम हैं, जिन्हें परीक्षा में डाल कर परखा जा रहा है.
मसीह येशु का जन्म
18 मसीह येशु का जन्म इस प्रकार हुआ: उनकी माता मरियम का विवाह योसेफ़ से तय हो चुका था किन्तु इससे पहले कि उनमें सहवास होता, यह मालूम हुआ कि मरियम गर्भवती हैं—यह गर्भ पवित्रात्मा द्वारा था. 19 उनके पति योसेफ़ एक धर्मी पुरुष थे. वे नहीं चाहते थे कि मरियम को किसी प्रकार से लज्जित होना पड़े. इसलिए उन्होंने किसी पर प्रकट किए बिना मरियम को त्याग देने का निर्णय किया.
20 किन्तु जब उन्होंने यह निश्चय कर लिया, प्रभु के एक स्वर्गदूत ने स्वप्न में प्रकट हो उनसे कहा, “योसेफ़, दाविद के वंशज! मरियम को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारने में डरो मत; क्योंकि, जो उनके गर्भ में हैं, वह पवित्रात्मा से हैं. 21 वह एक पुत्र को जन्म देंगी. तुम उनका नाम येशु[a] रखना क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार देंगे.”
22 यह सब इसलिए घटित हुआ कि भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा गया प्रभु का यह वचन पूरा हो जाए: 23 एक कुँवारी कन्या गर्भधारण करेगी, पुत्र को जन्म देगी और उसे इम्मानुएल नाम से पुकारेगी. इम्मानुएल का अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ.
24 जागने पर योसेफ़ ने वैसा ही किया जैसा स्वर्गदूत ने उन्हें आज्ञा दी थी—उन्होंने मरियम को पत्नी के रूप में स्वीकार किया, 25 किन्तु पुत्र-जन्म तक उनका कौमार्य[b] सुरक्षित रखा और उन्होंने पुत्र का नाम येशु रखा.
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