Book of Common Prayer
17 ये सूखे कुएँ तथा आँधी द्वारा उड़ाई धुन्ध हैं, जिनके लिए घना अन्धेरा ठहराया गया है. 18 ये घमण्ड़ भरी व्यर्थ की बातों से उन लोगों को कामुकता की शारीरिक अभिलाषाओं में लुभाते हैं, जो मार्ग से भटके लोगों में से बाल-बाल बच कर निकल आए हैं. 19 ये उनसे स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा तो करते हैं, जबकि स्वयं विनाश के दास हैं. मनुष्य उसी का दास बन जाता है, जिससे वह हार जाता है. 20 यदि वे मसीह येशु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के सारे ज्ञान के द्वारा संसार की मलिनता से छूटकर निकलने के बाद दोबारा उसी में फँसकर कर उसी के अधीन हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनकी वर्तमान स्थिति पिछली स्थिति से बदतर हो चुकी है. 21 उत्तम तो यही होता कि उन्हें धार्मिकता के मार्ग का अहसास ही न हुआ होता बजाय इसके कि वह उसे जानने के बाद जो पवित्र आज्ञा उन्हें सौंपी गई थी उस से मुँह मोड़ते. 22 उनका स्वभाव इस कहावत को सच साबित करता है, “कुत्ता अपनी ही उल्टी की ओर लौटता है,” तथा “नहाई हुई सूअरिया कीचड़ में लोटने लौट जाती है.”
2 बन्दीगृह में जब योहन ने मसीह के कामों के विषय में सुना उन्होंने अपने शिष्यों को येशु से यह पूछने भेजा, 3 “क्या आप वही है, जिस की प्रतिज्ञा तथा प्रतीक्षा की हुई हैं, या हम किसी अन्य का इंतज़ार करें?”
4 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जो कुछ तुम देख और सुन रहे हो उसकी सूचना योहन को दे दो: 5 अंधे देख पा रहे हैं, लँगड़े चल रहे हैं, कोढ़ के रोगियों को शुद्ध किया जा रहा है, बहिरे सुनने लगे हैं, मरे हुए दोबारा जीवित किए जा रहे हैं तथा कंगालों को सुसमाचार सुनाया जा रहा है. 6 धन्य है वह, जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठता.”
7 जब योहन के शिष्य वहाँ से जा ही रहे थे, येशु भीड़ से योहन के विषय में कहने लगे.
“तुम जंगल में क्या देखने गए हुए थे? वायु द्वारा झुलाए हुए सरकण्डे को? 8 यदि यह नहीं तो फिर क्या देखने गए थे? कीमती वस्त्र धारण किए हुए किसी व्यक्ति को? जो ऐसे वस्त्र धारण करते हैं उनका निवास तो राजभवनों में होता है. 9 तुम क्यों गए थे? किसी भविष्यद्वक्ता से भेंट करने? हाँ! मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि यह वह हैं, जो भविष्यद्वक्ता से भी बढ़कर हैं 10 यह वह हैं जिनके विषय में लिखा गया है:
“मैं अपना दूत तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ,
जो तुम्हारे आगे-आगे जा कर तुम्हारे लिए मार्ग तैयार करेगा.
11 सच तो यह है कि आज तक जितने भी मनुष्य हुए हैं उनमें से एक भी बपतिस्मा देने वाले योहन से बढ़कर नहीं. फिर भी स्वर्ग-राज्य में छोटे से छोटा भी योहन से बढ़कर है. 12 बपतिस्मा देने वाले योहन के समय से ले कर अब तक स्वर्ग-राज्य प्रबलतापूर्वक फैल रहा है और आकांक्षी-उत्साही व्यक्ति इस पर अधिकार कर रहे हैं. 13 भविष्यद्वक्ताओं तथा व्यवस्था की भविष्यवाणी योहन तक ही थीं 14 यदि तुम इस सच में विश्वास कर सको तो सुनो: योहन ही वह एलियाह हैं जिनका दोबारा आगमन होना था. 15 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.
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