Book of Common Prayer
स्त्री तथा परों वाला साँप
12 तब स्वर्ग में एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया: एक स्त्री, सूर्य जिसका वस्त्र, चन्द्रमा जिसके चरणों के नीचे तथा जिसके सिर पर बारह तारों का एक मुकुट था, 2 गर्भवती थी तथा पीड़ा में चिल्ला रही थी क्योंकि उसका प्रसव प्रारम्भ हो गया था. 3 उसी समय स्वर्ग में एक और दृश्य दिखाई दिया: लाल रंग का एक विशालकाय परों वाला साँप, जिसके सात सिर तथा दस सींग थे. हर एक सिर पर एक-एक मुकुट था. 4 उसने आकाश के एक तिहाई तारों को अपनी पूँछ से समेट कर पृथ्वी पर फेंक दिया और तब वह परों वाला साँप उस स्त्री के सामने, जो शिशु को जन्म देने को थी, खड़ा हो गया कि शिशु के जन्म लेते ही वह उसे निगल जाए. 5 उस स्त्री ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका सभी राष्ट्रों पर लोहे के राजदण्ड से राज्य करना तय था. इस शिशु को तुरन्त ही परमेश्वर तथा उनके सिंहासन के पास पहुँचा दिया गया 6 किन्तु वह स्त्री जंगल की ओर भाग गई, जहाँ परमेश्वर द्वारा उसके लिए एक स्थान तैयार किया गया था कि वहाँ 1,260 दिन तक उसकी देखभाल और भरण-पोषण किया जा सके.
यहूदी अगुवों के पाखण्ड की उल्लाहना
37 जब मसीह येशु अपना प्रवचन समाप्त कर चुके, एक फ़रीसी ने उन्हें भोजन के लिए आमन्त्रित किया. मसीह येशु उसके साथ गए तथा भोजन के लिए बैठ गए. 38 उस फ़रीसी को यह देख आश्चर्य हुआ कि भोजन के पूर्व मसीह येशु ने हाथ नहीं धोए.
39 प्रभु मसीह येशु ने इस पर उससे कहा, “तुम फ़रीसी प्याले और थाली को बाहर से तो साफ़ करते हो किन्तु तुम्हारे हृदय लोभ और दुष्टता से भरे हुए हैं. 40 निर्बुद्धियों! जिसने बाहरी भाग बनाया है, क्या उसी ने अन्दरूनी भाग नहीं बनाया? 41 तुम में जो अन्दर बसा हुआ है, उसे दान में दे दो, तब तुम और तुम्हारे संस्कार शुद्ध हो पाएँगे.
42 “धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम परमेश्वर को अपने पुदीना, ब्राम्ही तथा अन्य हर एक साग पात का दसवां अंश तो देते हो किन्तु मनुष्यों के प्रति न्याय और परमेश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो. ये ही वे चीज़ें हैं, जिनको पूरा करना आवश्यक है—अन्यों की उपेक्षा किए बिना.
43 “धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम्हें सभागृहों में प्रधान आसन तथा नगर चौक में लोगों द्वारा सम्मान भरा नमस्कार पसन्द है.
44 “धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी हुई क़ब्रों के समान हो जिन पर लोग अनजाने ही चलते-फिरते हैं.”
45 एक वकील ने मसीह येशु से कहा, “गुरुवर! ऐसा कह कर आप हमारा भी अपमान कर रहे हैं.”
46 मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “धिक्कार है तुम पर भी, वकीलों! क्योंकि तुम लोगों पर नियमों का ऐसा बोझ लाद देते हो, जिसको उठाना कठिन होता है, जबकि तुम स्वयं उनकी सहायता के लिए अपनी उँगली से छूते तक नहीं.
47 “धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम भविष्यद्वक्ताओं के लिए स्मारक बनाते हो, जबकि तुम्हारे अपने पूर्वजों ने ही उन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी. 48 इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कुकर्मों के गवाह हो और इसका पूरी तरह समर्थन करते हो—क्योंकि ये ही थे, जिन्होंने भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी और अब तुम उन्हीं के स्मारक बनाते हो. 49 इसीलिए परमेश्वर की बुद्धि का भी यह कहना है: ‘मैं उनके पास भविष्यद्वक्ता और प्रेरित भेजूँगा. वे उनमें से कुछ की हत्या कर देंगे तथा कुछ को उत्पीड़ित करेंगे 50 कि सृष्टि की स्थापना से ले कर आज तक सारे भविष्यद्वक्ताओं के लहू बहने का हिसाब इसी पीढ़ी से लिया जाए; 51 हाबिल से ले कर ज़कर्याह तक, जिनकी हत्या वेदी तथा मन्दिर के मध्य की गई थी. हाँ, मेरा विश्वास करो: इसका हिसाब इसी पीढ़ी से लिया जाएगा.’”
52 “धिक्कार है तुम पर, वकीलों! तुमने ज्ञान की कुंजी तो ले ली हैं, किन्तु तुमने ही इसमें प्रवेश नहीं किया, और जो इसमें प्रवेश कर रहे थे, उनका भी मार्ग बंद कर दिया है.”
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