Book of Common Prayer
उदार मन ले बोवव
6 ए बात ला सुरता रखव: जऊन ह थोरकन बोथे, ओह थोरकन काटही घलो, अऊ जऊन ह बहुंत बोथे, ओह बहुंते काटही घलो। 7 हर एक मनखे वइसने ही दान करय, जइसने ओह अपन मन म ठाने हवय; न अनिछा ले अऊ न ही दबाव ले, काबरकि परमेसर ह ओकर ले मया करथे जऊन ह खुसी मन ले देथे। 8 परमेसर ह तुमन ला जम्मो किसम के आसिस बहुंतायत ले देय म सामरथी अय, ताकि तुम्हर करा जरूरत के हर चीज हमेसा बहुंतायत म रहय अऊ तुमन हर एक बने काम म बहुंतायत से दे सकव। 9 जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय:
“ओह दिल खोलके गरीबमन ला दान देथे; ओकर धरमीपन ह सदाकाल तक बने रहिथे।”[a]
10 जऊन परमेसर ह बोवइया ला बीजा अऊ खाय बर रोटी देथे, ओह तुमन ला घलो बीजा अऊ खाय बर रोटी दिही अऊ तुम्हर बीजा के भंडार ला बढ़ाही अऊ तुम्हर धरमीपन के काम ला बगराही। 11 तुमन ला हर किसम ले धनवान बनाय जाही, ताकि तुमन हर समय उदार बनव अऊ हमर जरिये तुमन जऊन उदारता ले देथव, ओकरे कारन बहुंते झन परमेसर ला धनबाद दिहीं।
12 तुम्हर ए सेवा के कारन, परमेसर के मनखेमन के सिरिप जरूरत ही पूरा नइं होवत हवय, पर कतेक किसम ले बहुंतायत ले परमेसर के धनबाद घलो होवत हवय। 13 ए सेवा के दुवारा तुमन अपन-आप ला साबित कर चुके हवव, एकरसेति मनखेमन परमेसर के महिमा करहीं, काबरकि तुमन मसीह के सुघर संदेस ला गरहन करके ओकर मुताबिक चलत हवव अऊ दिल खोलके तुमन ओमन ला अऊ आने जम्मो झन ला दान देवत हवव। 14 ओमन तुम्हर बर पराथना करथें अऊ ओमन के मन ह तुमन म लगे रहिथे, काबरकि परमेसर के अनुग्रह तुम्हर ऊपर बहुंतायत ले होय हवय। 15 परमेसर के धनबाद होवय ओकर ओ दान खातिर, जेकर बयान नइं करे जा सकय।
यीसू अऊ बालजबूल
(मत्ती 12:22-32; लूका 11:14-23; 12:10)
20 जब यीसू ह घर म आईस, त फेर अइसने भीड़ जुर गीस कि ओह अऊ ओकर चेलामन खाना तक नइं खा सकिन। 21 जब ओकर परिवार के मन ए सुनिन, त ओला घर ले जाय बर आईन, काबरकि ओमन कहत रिहिन कि ओकर चित ह ठीक नइं ए।
22 अऊ कानून के गुरू, जऊन मन यरूसलेम ले आय रिहिन, अइसने कहंय कि ओम सैतान हवय अऊ ओह परेत आतमामन के सरदार (बालजबूल) के मदद ले परेत आतमामन ला निकारथे।
23 यीसू ह ओमन ला लकठा म बलाके पटंतर म कहिस, “सैतान ह सैतान ला कइसने निकार सकथे? 24 कहूं कोनो राज म फूट पड़ जावय, त ओ राज ह बने नइं रह सकय। 25 वइसनेच कहूं कोनो घर म फूट पड़ जावय, त ओ घर ह बने नइं रह सकय। 26 कहूं सैतान ह अपनेच बिरोध म होके अपनेच म फूट डारही, त ओह कइसने बने रह सकथे? ओकर बिनास हो जाही। 27 कोनो मनखे कोनो बलवान मनखे के घर म घुसर के ओकर घर ला लूट नइं सकय, जब तक कि ओह पहिली ओ बलवान मनखे ला नइं बांध लिही, तभे ओह ओकर घर ला लूट सकथे। 28 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मनखेमन के जम्मो पाप अऊ निन्दा करई ह माफ करे जाही, 29 पर जऊन ह पबितर आतमा के बिरोध म निन्दा करथे, ओला कभू माफ नइं करे जावय; ओह अनंत पाप के दोसी ठहरही।” 30 यीसू ह ए जम्मो बात एकर खातिर कहिस काबरकि ओमन ए कहत रिहिन कि ओम परेत आतमा हवय।
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