Book of Common Prayer
17 ओ अगुवा जऊन मन कलीसिया के बने काम करथें, ओमन दू गुना आदर के लइक समझे जावंय, बिसेस करके जऊन मन परमेसर के बचन के परचार अऊ सिखोय के काम करथें। 18 काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे, “दंऊरी म चलत बइला के मुहूं ला झन बांध”[a] अऊ “बनिहार ला अपन बनी पाय के हक हवय।”[b] 19 कहूं कोनो मनखे ह कोनो अगुवा ऊपर दोस लगाथे, त बिगर दू या तीन गवाह के ओकर झन सुने कर। 20 जऊन मन पाप करथें, ओमन ला जम्मो के आघू म डांट, ताकि आने मन पाप करे बर डर्रावंय।
21 परमेसर, मसीह यीसू अऊ चुने स्वरगदूतमन ला हाजिर जानके, मेंह तोला हुकूम देवत हंव कि ए बातमन ला बिगर काकरो तरफदारी के माने कर अऊ कोनो काम म पखियपात झन कर।
22 कोनो मनखे ला परभू के सेवा खातिर चुने म जल्दबाजी करके ओकर ऊपर हांथ झन रख अऊ आने मन के पाप म भागीदार झन हो। अपन-आप ला सुध बनाय रख।
23 सिरिप पानी झन पीये कर, पर अपन पेट खातिर अऊ बार-बार बेमार पड़े के कारन, थोरकन अंगूर के मंद घलो पीये कर।
24 कुछू मनखेमन के पाप ह साफ-साफ दिख जाथे अऊ ओमन के पाप ह ओमन ले पहिले नियाय बर पहुंच जाथे; पर आने मन के पाप ह बाद म दिखथे। 25 वइसनेच बने काममन साफ-साफ दिखथें अऊ कहूं साफ नइं घलो दिखंय, त ओमन सदाकाल तक छुपे नइं रह सकंय।
सरसों के बीजा अऊ खमीर के पटंतर
(मरकुस 4:30-32; लूका 13:18-19)
31 यीसू ह ओमन ला एक अऊ पटंतर सुनाईस, “स्वरग के राज ह सरसों के एक बीजा के सहीं अय, जऊन ला लेके एक मनखे ह अपन खेत म बोईस। 32 सरसों के बीजा ह तो जम्मो बीजामन ले छोटे होथे, पर जब एह बढ़थे, त जम्मो साग-भाजी ले बड़े हो जाथे अऊ अइसने रूख बन जाथे कि अकास के चिरईमन आके एकर डालीमन म बसेरा करथें[a]।”
33 यीसू ह ओमन ला एक ठन अऊ पटंतर सुनाईस, “स्वरग के राज ह खमीर सहीं अय, जऊन ला एक माईलोगन ह लीस अऊ तीन पसेरी पिसान म तब तक मिलाईस जब तक कि ओ जम्मो पिसान ह खमीर नइं हो गीस[b]।”
34 यीसू ह मनखेमन ला ए जम्मो बात पटंतर म कहिस, अऊ बिगर पटंतर के ओह ओमन ला कुछू नइं कहत रिहिस। 35 अइसने करे के दुवारा ओह अगमजानी के दुवारा कहे गय ए बात ला पूरा करिस:
“मेंह पटंतर म गोठियाहूं।
मेंह ओ बातमन ला उजागर करहूं, जऊन ह संसार के सिरजे के समय ले गुपत म हवय।”[c]
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