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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 तिमोथियॉस 4

झूठे शिक्षक

पवित्रात्मा का स्पष्ट कथन यह है कि अन्त के समय में कुछ व्यक्ति विश्वास का त्याग कर देंगे और वे धूर्त आत्माओं तथा दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाएँगे. यह उन झूठे मनुष्यों के दिखावे की शिक्षाओं के कारण होगा, जिनके विवेक में मानो जलते हुए लोहे से मुहर लगा दी गई हों. ये वे हैं, जो विवाह करने से रोकते हैं, भोजन पदार्थों को भी त्यागने की माँग करते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों और सच्चाई को जानने वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए इसलिए बनाया है कि धन्यवाद के साथ मिलजुल कर खाया जाएँ. परमेश्वर की बनाई हुई हर एक वस्तु अच्छी है, कोई भी वस्तु अस्वीकार करने योग्य नहीं—यदि उसे धन्यवाद के साथ स्वीकार किया जाए, क्योंकि वह परमेश्वर के वचन तथा प्रार्थना द्वारा शुद्ध की जाती है.

विश्वासियों को इन बातों का अहसास कराने के द्वारा तुम स्वयं को मसीह येशु का आदर्श सेवक साबित करोगे, जिसका पोषण निरन्तर विश्वास के वचन तथा अच्छे उपदेशों की बातों के द्वारा होता है, जिसका तुम पालन करते आए हो. सांसारिक तथा काल्पनिक कथाओं से दूर रहो, इसके विपरीत तुम अपने आप को परमेश्वर की भक्ति के लिए अनुशासित कर लो. शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर-भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.

यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है: 10 हम उसी के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करते हैं क्योंकि हमने अपनी आशा जीवित परमेश्वर पर लगाई है, जो सब मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं, विशेषकर उनके, जो विश्वास करते हैं.

11 तुम्हारे आदेशों और शिक्षाओं के विषय ये ही हों. 12 तुलना में कम आयु के कारण कोई तुम्हें तुच्छ न समझे परन्तु बातचीत, स्वभाव, प्रेम, विश्वास तथा पवित्रता में मसीह के विश्वासियों का आदर्श बनो. 13 मेरे वहाँ पहुँचने तक पवित्रशास्त्र के सार्वजनिक रीति से पढ़ने, उपदेश तथा शिक्षा पाने में लीन रहो. 14 अंदर बसे हुए पवित्रात्मा द्वारा दी गई क्षमता की उपेक्षा न करो, जो तुम्हें भविष्यवाणी के द्वारा उस समय प्रदान की गई, जब कलीसिया के पुरनियों ने तुम पर हाथ रखे.

15 इन निर्देशों पर विशेष ध्यान दो, इनमें लीन हो जाओ कि तुम्हारी उन्नति सब पर प्रकट हो जाए. 16 अपना और सिद्धान्त-शिक्षा का पूरी शक्ति से ध्यान रखो. इसमें लगातार चौकस रहो क्योंकि तुम ऐसा करने के द्वारा दोनों का उद्धार निश्चित करोगे—स्वयं अपना तथा अपने सुननेवालों का.

मत्तियाह 13:24-30

जंगली बीज का दृष्टान्त

24 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टान्त प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य की तुलना उस व्यक्ति से की जा सकती है, जिसने अपने खेत में उत्तम बीज का रोपण किया. 25 जब उसके सेवक सो रहे थे, उसका शत्रु आया और गेहूं के बीज के मध्य जंगली बीज रोप कर चला गया. 26 जब गेहूं के अंकुर फूटे और बालें आईं तब जंगली बीज के पौधे भी दिखाई दिए. 27 इस पर सेवकों ने आ कर अपने स्वामी से पूछा, ‘स्वामी, आपने तो अपने खेत में उत्तम बीज रोपे थे! तो फिर ये जंगली पौधे कहाँ से आ गए?’

28 “स्वामी ने उत्तर दिया, ‘यह काम शत्रु का है.’

“तब सेवकों ने उससे पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम इन्हें उखाड़ फेंकें?’

29 “उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली पौधे उखाड़ते हुए तुम गेहूं भी उखाड़ डालो. 30 गेहूं तथा जंगली पौधों को कटनी तक साथ-साथ बढ़ने दो. उस समय मैं मज़दूरों को आज्ञा दूँगा, जंगली पौधे इकट्ठा कर उनकी पूलियाँ बान्ध दो कि उन्हें जला दिया जाए किन्तु गेहूं मेरे खलिहान में इकट्ठा कर दो.’”

Saral Hindi Bible (SHB)

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