Book of Common Prayer
1 प्राचीन की ओर से प्रिय गायॉस को, जिससे मुझे वास्तव में प्रेम है.
2 प्रियजन, मेरी कामना है कि जिस प्रकार तुम अपनी आत्मा में उन्नत हो, ठीक वैसे ही अन्य क्षेत्रों में भी उन्नत होते जाओ और स्वस्थ रहो.
3 मुझसे भेंट करने आए साथी विश्वासियों द्वारा सच्चाई में तुम्हारी स्थिरता का विवरण अर्थात् सत्य में तुम्हारे स्वभाव के विषय में सुन कर मुझे बहुत ही खुशी हुई. 4 मेरे लिए इससे बढ़कर और कोई आनन्द नहीं कि मैं यह सुनूँ कि मेरे बालकों का स्वभाव सच्चाई के अनुसार है.
5 प्रियजन, जो कुछ तुम साथी विश्वासियों, विशेष रूप से परदेशी साथी विश्वासियों की भलाई में कर रहे हो, तुम्हारी सच्चाई का सबूत है. 6 वे कलीसिया के सामने तुम्हारे प्रेम के गवाह हैं. सही यह है कि तुम उन्हें इसी भाव में विदा करो, जो परमेश्वर को ग्रहण योग्य हो, 7 क्योंकि उन्होंने अन्यजातियों से बिना कोई सहायता स्वीकार किए प्रभु के लिए काम प्रारम्भ किया था. 8 इसलिए सही है कि हम ऐसे व्यक्तियों का सत्कार करें कि हम उस सत्य के सहकर्मी हो जाएँ.
दिओत्रिफ़ेस के विषय में चिन्ता
9 मैंने कलीसिया को पत्र लिखा था परन्तु दिओत्रिफ़ेस, जो उनमें हमेशा ही अगुवा बनना चाहता है, हमारी नहीं मानता. 10 इसी कारण जब मैं वहाँ आऊँगा तो तुम्हारे सामने उसके द्वारा किए गए सभी कामों को स्पष्ट कर दूँगा अर्थात् सारे बुरे-बुरे शब्दों का प्रयोग करते हुए हम पर लगाए गए आरोपों का. इतना ही नहीं, वह न तो स्वयं उपदेशकों को स्वीकार करता है और न ही कलीसिया के सदस्यों को ऐसा करने देता है, जो ऐसा करने के इच्छुक हैं. वस्तुत: उन्हें वह कलीसिया से बाहर कर देता है.
11 प्रियजन, बुराई का नहीं परन्तु भलाई का अनुसरण करो क्योंकि भला करने वाला परमेश्वर का है; जो बुराई करने वाला है उसने परमेश्वर को नहीं देखा. 12 सभी देमेत्रियॉस की प्रशंसा करते हैं. स्वयं सच उसका गवाह है. हम भी उसके गवाह हैं और तुम यह जानते हो कि हमारी गवाही सच है.
उपसंहार
13 हालांकि लिखने योग्य अनेक विषय हैं किन्तु मैं स्याही और लेखनी इस्तेमाल नहीं करना चाहता. 14 मेरी आशा है कि मैं तुमसे बहुत जल्द भेंट कर आमने-सामने आपस में बातचीत करूँगा.
15 तुम्हें शान्ति मिले. तुम्हें मित्रों का नमस्कार. व्यक्तिगत रूप से हर एक मित्र को नमस्कार करना.
येशु परमेश्वर के चुने हुए सेवक
(मारक 3:7-12)
15 येशु को इसका अहसास था इसलिए वह वहाँ से चले गए. अनेक थे, जो उनके साथ उनके पीछे-पीछे चल रहे थे. येशु ने उनमें से सभी रोगियों को स्वस्थ कर दिया 16 और उन्हें चेतावनी दी कि इस विषय में वे किसी से वर्णन न करें कि वह कौन हैं. 17 यह भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
18 यही है मेरा चुना हुआ सेवक,
मेरा प्रियपात्र,
जिसमें मेरे प्राण को पूरा सन्तोष है.
मैं उसे अपने आत्मा से भरा करूँगा
और वह अन्यजाति में न्याय की घोषणा करेगा.
19 वह न तो विवाद करेगा,
न ऊँचे शब्द में कुछ कहेगा और
न ही गलियों में कोई उसका शब्द सुन सकेगा.
20 वह तब तक कुचले गए सरकण्डे को
तोड़ कर न फेंकेगा और न बुझते हुए दीपक को बुझाएगा,
जब तक वह न्याय को विजय तक न पहुँचा दे.
21 उसकी प्रतिष्ठा में अन्यजातियों के लिए आशा होगी.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.