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वहीं एक कोढ़ी भी था। वह यीशु के पास आया और उसके सामने झुक कर बोला, “प्रभु, यदि तू चाहे तो मुझे ठीक कर सकता है।”

इस पर यीशु ने अपना हाथ बढ़ा कर कोढ़ी को छुआ और कहा, “निश्चय ही मैं चाहता हूँ ठीक हो जा!” और तत्काल कोढ़ी का कोढ़ जाता रहा। फिर यीशु ने उससे कहा, “देख इस बारे में किसी से कुछ मत कहना। पर याजक के पास जा कर उसे अपने आप को दिखा। फिर मूसा के आदेश के अनुसार भेंट चढ़ा ताकि लोगों को तेरे ठीक होने की साक्षी मिले।”

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कोढ़ से छुटकारा

(मत्ती 8:1-4; लूका 5:12-16)

40 फिर एक कोढ़ी उसके पास आया। उसने उसके सामने झुक कर उससे विनती की और कहा, “यदि तू चाहे, तो तू मुझे ठीक कर सकता है।”

41 उसे उस पर गुस्सा आया और उसने अपना हाथ फैला कर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम अच्छे हो जाओ!”[a] 42 और उसे तत्काल कोढ़ से छुटकारा मिल गया। वह पूरी तरह शुद्ध हो गया।

43 यीशु ने उसे कड़ी चेतावनी दी और तुरन्त भेज दिया। 44 यीशु ने उससे कहा, “देख इसके बारे में तू किसी को कुछ नहीं बताना। किन्तु याजक के पास जा और उसे अपने आप को दिखा। और मूसा के नियम के अनुसार अपने ठीक होने की भेंट अर्पित कर ताकि हर किसी को तेरे ठीक होने की साक्षी मिले।” 45 परन्तु वह बाहर जाकर खुले तौर पर इस बारे में लोगों से बातचीत करके इसका प्रचार करने लगा। इससे यीशु फिर कभी नगर में खुले तौर पर नहीं जा सका। वह एकांत स्थानों में रहने लगा किन्तु लोग हर कहीं से उसके पास आते रहे।

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Footnotes

  1. 1:41 उसे … गुस्सा आया अधिकतर यूनानी प्रतियों में “उसे उस पर दया आयी” है। लेकिन यह कहना बड़ा कठिन है कि कुछ यूनानी एवं कुछ लातेनी प्रतियों में “उसे उस पर गुस्सा आया” यह क्यों है? बहुत से विद्वान अब इसे ही मूलपाठ मानते हैं।

कोढ़ी का शुद्ध किया जाना

(मत्ती 8:1-4; मरकुस 1:40-45)

12 सो ऐसा हुआ कि जब यीशु एक नगर में था तभी वहाँ कोढ़ से पूरी तरह ग्रस्त एक कोढ़ी भी था। जब उसने यीशु को देखा तो दण्डवत प्रणाम करके उससे प्रार्थना की, “प्रभु, यदि तू चाहे तो मुझे ठीक कर सकता है।”

13 इस पर यीशु ने अपना हाथ बढ़ा कर कोढ़ी को यह कहते हुए छुआ, “मैं चाहता हूँ, ठीक हो जा!” और तत्काल उसका कोढ़ जाता रहा। 14 फिर यीशु ने उसे आज्ञा दी कि वह इस विषय में किसी से कुछ न कहे। उससे कहा, “याजक के पास जा और उसे अपने आप को दिखा और मूसा के आदेश के अनुसार भेंट चढ़ा ताकि लोगों को तेरे ठीक होने का प्रमाण मिले।”

15 किन्तु यीशु के विषय में समाचार और अधिक गति से फैल रहे थे। और लोगों के दल इकट्ठे होकर उसे सुनने और अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने उसके पास आ रहे थे। 16 किन्तु यीशु प्रायः प्रार्थना करने कहीं एकान्त वन में चला जाया करता था।

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