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शुद्धता सम्बन्धी नियम

यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं इस्राएल के लोगों को, उनके डेरे बीमारियों व रोगों से मुक्त रखने का आदेश देता हूँ। इस्राएल के लोगों से कहो कि हर उस व्यक्ति को जो बुरे चर्म रोगों, शरीर से निकलने वाले स्रावों या किसी शव को छूने के कारण अशुद्ध हो गये हैं, उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो, चाहे वे पुरुष हों चाहे स्त्री। उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो ताकि वे जिस डेरे में मेरा निवास है उसे वे अशुद्ध न कर दें। मैं तुम्हारे डेरे में तुम लोगों के बीच रह रहा हूँ।”

अतः इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर का आदेश माना। उन्होंने उन लोगों को डेरे के बाहर भेज दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

अपराध के लिए अर्थ—दण्ड

यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों को यह बताओः जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का कुछ बुरा करता है तो वस्तुतः वह यहोवा के विरूद्ध पाप करता है। वह व्यक्ति अपराधी है। इसलिए वह व्यक्ति लोगों को अपने किए गए पाप को बताए। तब यह व्यक्ति अपने बुरे किए गए काम का पूरा भुगतान करे। वह भुगतान में पाँचवाँ हिस्सा जोड़े और उसका भुगतान उसे करे जिसका बुरा उसने किया है। किन्तु जिस व्यक्ति का उसने बुरा किया है, वह मर भी सकता है और सम्भव है उस मृतक का कोई नजदीकी सम्बन्धी न हो जिसे भुगतान किया जाए। उस स्थिति में, बुरा करने वाला व्यक्ति यहोवा को भुगतान करेगा। वह व्यक्ति पूरा भूतगन याजक को करेगा। याजक को क्षमादान रुपी मेढ़े की बली देनी चाहिए। बुरा करने वाले व्यक्ति के पापों को ढकने के लिए इस मेढ़े की बलि दी जानी चाहिए किन्तु याजक बाकी बचे भुगतान को अपने पास रख सकता है।

“यदि इस्राएल का कोई व्यक्ति यहोवा को विशेष भेंट देता है तो वह याजक जो उसे स्वीकार करता है उसे अपने पास रख सकता है। यह उसकी है। 10 किसी व्यक्ति को ये विशेष भेंट देनी नहीं पड़ेगी। किन्तु यदि वह उनको देता है तो वह याजक की होगी।”

शंकालु पति

11 तब यहोवा ने मूसा से कहाः 12 “इस्राएल के लोगों से यह कहो, किसी व्यक्ति की पत्नी पतिव्रता नहीं भी हो सकती है। 13 उस का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक सम्बन्ध हो सकता है और वह इसे अपने पति से छिपा सकती है। कोई ऐसा व्यक्ति भी नहीं होता जो कहे कि उसने यह पाप किया। उसका पति उसे कभी जान भी नहीं सकता जो बुराई उसने की है और वह स्त्री भी अपने पति से अपने पाप के बारे में नहीं कहेगी। 14 किन्तु पति शंका करना आरम्भ कर सकता है कि उसकी पत्नी ने उसके विरुद्ध पाप किया है। वह उसके प्रति ईर्ष्या रख सकता है। चाहे वह सच्ची हो चाहे नहीं। 15 यदि ऐसा होता है तो वह अपनी पत्नी को याजक के पास ले जाए। पति एक भेंट भी ले जाएगा। यह भेंट 1/10 एपा[a] जौं का आटा होगा। यह उसे जौं के आटे पर तेल या सुगन्धित नहीं डालनी चाहिये। यह जौं का आटा यहोवा को अन्नबलि है। यह इसलिए दिया जाता कि पति ईर्ष्यालु है। यह भेंट यही संकेत करेगी कि उसे विस्वास है कि उसकी पत्नी पतिव्रता नहीं है।

16 “याजक स्त्री को यहोवा के सामने ले जाएगा और स्त्री यहोवा के सामने खड़ी होगी। 17 तब याजक कुछ विशेष पानी लेगा और उसे मिट्टी के घड़े में डालेगा। याजक पवित्र तम्बू के फर्श से कुछ मिट्टी पानी में डालेगा। 18 याजक स्त्री को यहोवा के सामने खड़ा रहने के लिए विवश करेगा। तब वह उसके बाल खोलेगा और उसके हाथ में अन्नबलि देगा। यह जौ का आटा होगा जिसे उसके पति ने ईर्ष्या के कारण उसे दिया था। उसी समय वह विशेष कड़वे जल वाले मिट्टी के घड़े को पकड़े रहेगा। यह विशेष कड़वा जल ही है जो स्त्री को परेशानी पैदा करता है।

19 “तब याजक स्त्री से कहेगा कि उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे सत्य बोलने का वचन देना चाहिए। याजक उससे कहेगाः यदि तुम दूसरे व्यक्ति के साथ नहीं सोई हो, और तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है, जबकि तुम्हारा विवाह उसके साथ हुआ है, तो यह कड़वा जल तुमको हानि नहीं पहुँचाएगा। 20 किन्तु यदि तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप किया है, यदि तुम किसी अन्य पुरुष के साथ सोई हो तो तुम शुद्ध नहीं हो। क्यों क्योंकि जो तुम्हारे साथ सोया है तुम्हारा पति नहीं है और उसने तुम्हें अशुद्ध बनाया है। 21 इसलिए जब तुम इस विशेष जल को पीओगी तो तुम्हें बहुत परेशानी होगी। तुम्हारा पेट फूल जाएगा[b] और तुम कोई बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकोगी। यदि तुम गर्भवती हो, तो तुम्हारा बच्चा मर जाएगा। तब तुम्हारे लोग तुम्हे छोड़ देंगे और वे तुम्हारे बारे में बुरी बातें कहेंगे।

“तब याजक को स्त्री से यहोवा को विशेष वचन देने के लिए कहना चाहिए। स्त्री को स्वीकार करना चाहिए कि ये बुरी बातें उसे होंगी, यदि वह झूठ बोलेगी। 22 याजक को कहना चाहिए, तुम इस जल को लोगी जो तुम्हारे शरीर में परेशानी उत्पन्न करेगा। यदि तुमने पाप किया है तो तुम बच्चों को जन्म नहीं दे सकोगी और यदि तुम्हारा कोई बच्चा गर्भ में है तो वह जन्म लेने के पहले मर जाएगा। तब स्त्री को कहना चाहिएः मैं वह स्वीकार करती हूँ जो आप कहते हैं।

23 “याजक को इन चेतावनियों को चर्म—पत्र पर लिखनी चाहिए। फिर उसे इस लिखावट को पानी में धो देना चाहिए। 24 तब स्त्री उस पानी को पीएगी जो कड़वा है। वह पानी उसमें जाएगा और यदि वह अपराधी है, तो उसे बहुत परेशानी उत्पन्न करेगा।

25 “तब याजक उस अन्नबलि को उससे लेगा। (ईर्ष्या के लिए भेंट) और उसे यहोवा के सामने उठाएगा और उसे वेदी तक ले जाएगा। 26 तब याजक अपनी उंजली में अन्न भरेगा और उसे वेदी पर रखेगा। तब वह उसे जलाएगा। उसके बाद, वह स्त्री से पानी पीने को कहेगा। 27 यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप किया होगा, तो पानी उसे परेशान करेगा। पानी उसके शरीर में जाएगा और उसे बहुत कष्ट देगा और कोई बच्चा जो उसके गर्भ में होगा, पैदा होने से पहले मर जाएगा और वह कभी बच्चे को जन्म नहीं दे सकेगी। सभी लोग उसके विरुद्ध हो जायेंगे। 28 किन्तु यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है तो वह पवित्र है, फिर याजक घोषणा करेगा कि वह अपराधी नहीं है और बच्चों को जन्म देने के योग्य हो जाएगी।

29 “इस प्रकार यह ईर्ष्या के विषय में नियम है। तुम्हें यही करना चाहिए यदि कोई विवाहित स्त्री अपने पति के विरूद्ध पाप करती है। 30 या यदि कोई व्यक्ति ईर्ष्या करता है और अपनी पत्नी के सम्बन्ध में शंका करता है कि उसने उसके विरुद्ध पाप किया है तो व्यक्ति को यही करना चाहिए। याजक को कहना चाहिए कि वह स्त्री यहोवा के सामने खड़ी हो। तब याजक इन सभी कार्यों को करेगा। यही नियम है। 31 पति कोई बुरा करने का अपराधी नहीं होगा। किन्तु स्त्री कष्ट उठाएगी, यदी उसने पाप किया है।”

Footnotes

  1. 5:15 1/10 एपा शाब्दिक, “आठ प्याला।”
  2. 5:21 पेट फूल जाएगा शाब्दिक, “तुम्हारा गर्भपात होगा।”

यीशु द्वारा विनाश की भविष्यवाणी

(मत्ती 24:1-44; लूका 21:5-33)

13 जब वह मन्दिर से जा रहा था, उसके एक शिष्य ने उससे कहा, “गुरु, देख! ये पत्थर और भवन कितने अनोखे हैं।”

इस पर यीशु ने उनसे कहा, “तू इन विशाल भवनों को देख रहा है? यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक-एक पत्थर ढहा दिया जायेगा।”

जब वह जैतून के पहाड़ पर मन्दिर के सामने बैठा था तो उससे पतरस, याकूब यूहन्न और अन्द्रियास ने अकेले में पूछा, “हमें बता, यह सब कुछ कब घटेगा? जब ये सब कुछ पूरा होने को होगा तो उस समय कैसे संकेत होंगे?”

इस पर यीशु कहने लगा, “सावधान! कोई तुम्हें छलने न पाये। मेरे नाम से बहुत से लोग आयेंगे और दावा करेंगे ‘मैं वही हूँ।’ वे बहुतों को छलेंगे। जब तुम युद्धों या युद्धों की अफवाहों के बारे में सुनो तो घबराना मत। ऐसा तो होगा ही किन्तु अभी अंत नहीं है। एक जाति दूसरी जाति के विरोध में और एक राज्य दूसरे राज्य के विरोध में खड़े होंगे। बहुत से स्थानों पर भूचाल आयेंगे और अकाल पड़ेंगे। वे पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा।

“अपने बारे में सचेत रहो। वे लोग तुम्हें न्यायालयों के हवाले कर देंगे और फिर तुम्हें उनके आराधनालयों में पीटा जाएगा और मेरे कारण तुम्हें शासकों और राजाओं के आगे खड़ा होना होगा ताकि उन्हें कोई प्रमाण मिल सके। 10 किन्तु यह आवश्यक है कि पहले सब किसी को सुसमाचार सुना दिया जाये। 11 और जब कभी वे तुम्हें पकड़ कर तुम पर मुकद्दमा चलायें तो पहले से ही यह चिन्ता मत करने लगना कि तुम्हें क्या कहना है। उस समय जो कुछ तुम्हें बताया जाये, वही बोलना क्योंकि ये तुम नहीं हो जो बोल रहे हो, बल्कि बोलने वाला तो पवित्र आत्मा है।

12 “भाई, भाई को धोखे से पकड़वा कर मरवा डालेगा। पिता, पुत्र को धोखे से पकड़वायेगा और बाल बच्चे अपने माता-पिता के विरोध में खड़े होकर उन्हें मरवायेंगे। 13 मेरे कारण सब लोग तुमसे घृणा करेंगे। किन्तु जो अंत तक धीरज धरेगा, उसका उद्धार होगा।

14 “जब तुम ‘भयानक विनाशकारी वस्तुओं को,’ जहाँ वे नहीं होनी चाहियें, वहाँ खड़े देखो” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है।) “तब जो लोग यहूदिया में हों, उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये और 15 जो लोग अपने घर की छत पर हों, वे घर में भीतर जा कर कुछ भी लाने के लिये नीचे न उतरें। 16 और जो बाहर मैदान में हों, वह पीछे मुड़ कर अपना वस्त्र तक न लें।

17 “उन स्त्रियों के लिये जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत भयानक होंगे। 18 प्रार्थना करो कि यह सब कुछ सर्दियों में न हो। 19 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने इस सृष्टि को रचा है, आज तक न कभी आयी है और न कभी आयेगी। 20 और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटा न दिया होता तो कोई भी नहीं बचता। किन्तु उन चुने हुए व्यक्तियों के कारण जिन्हें उसने चुना है, उसने उस समय को कम किया है।

21 “उन दिनों यदि कोई तुमसे कहे, ‘देखो, यह रहा मसीह!’ या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। 22 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यवक्ता दिखाई पड़ने लगेंगे और वे ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दर्शाएगे और अद्भुत काम करेंगे कि हो सके तो चुने हुओं को भी चक्कर में डाल दें। 23 इसीलिए तुम सावधान रहना। मैंने समय से पहले ही तुम्हें सब कुछ बता दिया है।

24 “उन दिनों यातना के उस काल के बाद,

‘सूरज काला पड़ जायेगा,
    चाँद से उसकी चाँदनी नहीं छिटकेगी।
25 आकाश से तारे गिरने लगेंगे
    और आकाश में महाशक्तियाँ झकझोर दी जायेंगी।’[a]

26 “तब लोग मनुष्य के पुत्र को महाशक्ति और महिमा के साथ बादलों में प्रकट होते देखेंगे। 27 फिर वह अपने दूतों को भेज कर चारों दिशाओं, पृथ्वी के एक छोर से आकाश के दूसरे छोर तक सब कहीं से अपने चुने हुए लोगों को इकट्ठा करेगा।

28 “अंजीर के पेड़ से शिक्षा लो कि जब उसकी टहनियाँ कोमल हो जाती हैं और उस पर कोंपलें फूटने लगती हैं तो तुम जान जाते हो कि ग्रीष्म ऋतु आने को है। 29 ऐसे ही जब तुम यह सब कुछ घटित होते देखो तो समझ जाना कि वह समय[b] निकट आ पहुँचा है, बल्कि ठीक द्वार तक। 30 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि निश्चित रूप से इन लोगों के जीते जी ही ये सब बातें घटेंगी। 31 धरती और आकाश नष्ट हो जायेंगे किन्तु मेरा वचन कभी न टलेगा।

32 “उस दिन या उस घड़ी के बारे में किसी को कुछ पता नहीं, न स्वर्ग में दूतों को और न अभी मनुष्य के पुत्र को, केवल परम पिता परमेश्वर जानता है। 33 सावधान! जागते रहो! क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आ जायेगा।

34 “वह ऐसे ही है जैसे कोई व्यक्ति किसी यात्रा पर जाते हुए सेवकों के ऊपर अपना घर छोड़ जाये और हर एक को उसका अपना अपना काम दे जाये। तथा चौकीदार को यह आज्ञा दे कि वह जागता रहे। 35 इसलिए तुम भी जागते रहो क्योंकि घर का स्वामी न जाने कब आ जाये। साँझ गये, आधी रात, मुर्गे की बाँग देने के समय या फिर दिन निकले। 36 यदि वह अचानक आ जाये तो ऐसा करो जिससे वह तुम्हें सोते न पाये। 37 जो मैं तुमसे कहता हूँ, वही सबसे कहता हूँ ‘जागते रहो!’”

Footnotes

  1. 13:24-25 देख सकते यशायाह 13:10; 34:4।
  2. 13:29 वह समय यहाँ यीशु जिस समय की चर्चा कर रहा है, वह समय है जब कोई बहुत महत्वपूर्ण घटना घटेगी। देखें लूका 21:31 जहाँ यीशु ने कहा है कि वही परमेश्वर के राज्य के आने का समय हैं।