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यीशु पर इत्र का छिड़काव

(मरकुस 14:3-9; यूहन्ना 12:1-8)

यीशु जब बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर पर था तभी एक स्त्री सफेद चिकने, स्फटिक के पात्र में बहुत कीमती इत्र भर कर लायी और उसे उसके सिर पर उँडेल दिया। उस समय वह पटरे पर झुका बैठा था।

जब उसके शिष्यों ने यह देखा तो वे क्रोध में भर कर बोले, “इत्र की ऐसी बर्बादी क्यों की गयी? यह इत्र अच्छे दामों में बेचा जा सकता था और फिर उस धन को दीन दुखियों में बाँटा जा सकता था।”

10 यीशु जान गया कि वे क्या कह रहे हैं। सो उनसे बोला, “तुम इस स्त्री को क्यों तंग कर रहे हो? उसने तो मेरे लिए एक सुन्दर काम किया है 11 क्योंकि दीन दुःखी तो सदा तुम्हारे पास रहेंगे पर मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूँगा। 12 उसने मेरे शरीर पर यह सुगंधित इत्र छिड़क कर मेरे गाड़े जाने की तैयारी की है। 13 मैं तुमसे सच कहता हूँ समस्त संसार में जहाँ कहीं भी सुसमाचार का प्रचार-प्रसार किया जायेगा, वहीं इसकी याद में, जो कुछ इसने किया है, उसकी चर्चा होगी।”

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यीशु पर इत्र उँडेलना

(मत्ती 26:6-13; यूहन्ना 12:1-8)

जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा था, तभी एक स्त्री सफेद चिकने स्फटिक के एक पात्र में शुद्ध बाल छड़ का इत्र लिये आयी। उसने उस पात्र को तोड़ा और इत्र को यीशु के सिर पर उँडेल दिया।

इससे वहाँ कुछ लोग बिगड़ कर आपस में कहने लगे, “इत्र की ऐसी बर्बादी क्यों की गयी है? यह इत्र तीन सौ दीनारी से भी अधिक में बेचा जा सकता था। और फिर उस धन को कंगालों में बाँटा जा सकता था।” उन्होंने उसकी कड़ी आलोचना की।

तब यीशु ने कहा, “उसे क्यों तंग करते हो? छोड़ो उसे। उसने तो मेरे लिये एक मनोहर काम किया है। क्योंकि कंगाल तो सदा तुम्हारे पास रहेंगे सो तुम जब चाहो उनकी सहायता कर सकते हो, पर मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूँगा। इस स्त्री ने वही किया जो वह कर सकती थी। उसने समय से पहले ही गाड़े जाने के लिये मेरे शरीर पर सुगन्ध छिड़क कर उसे तैयार किया है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ: सारे संसार में जहाँ कहीं भी सुसमाचार का प्रचार-प्रसार किया जायेगा, वहीं इसकी याद में जो कुछ इस ने किया है, उसकी चर्चा होगी।”

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55 यहूदियों का फ़सह पर्व आने को था। बहुत से लोग अपने गाँवों से यरूशलेम चले गये थे ताकि वे फ़सह पर्व से पहले अपने को पवित्र कर लें। 56 वे यीशु को खोज रहे थे। इसलिये जब वे मन्दिर में खड़े थे तो उन्होंने आपस में एक दूसरे से पूछना शुरू किया, “तुम क्या सोचते हो, क्या निश्चय ही वह इस पर्व में नहीं आयेगा।” 57 फिर महायाजकों और फरीसियों ने यह आदेश दिया कि यदि किसी को पता चले कि यीशु कहाँ है तो वह इसकी सूचना दे ताकि वे उसे बंदी बना सकें।

यीशु बैतनिय्याह में अपने मित्रों के साथ

(मत्ती 26:6-13; मरकुस 14:3-9)

12 फ़सह पर्व से छह दिन पहले यीशु बैतनिय्याह को रवाना हो गया। वहीं लाज़र रहता था जिसे यीशु ने मृतकों में से जीवित किया था। वहाँ यीशु के लिये उन्होंने भोजन तैयार किया। मारथा ने उसे परोसा। यीशु के साथ भोजन के लिये जो बैठे थे लाज़र भी उनमें एक था। मरियम ने जटामाँसी से तैयार किया हुआ कोई आधा लीटर बहुमूल्य इत्र यीशु के पैरों पर लगाया और फिर अपने केशों से उसके चरणों को पोंछा। सारा घर सुगंध से महक उठा।

उसके शिष्यों में से एक यहूदा इस्करियोती ने, जो उसे धोखा देने वाला था कहा, “इस इत्र को तीन सौ चाँदी के सिक्कों में बेचकर धन गरीबों को क्यों नहीं दे दिया गया?” उसने यह बात इसलिये नहीं कही थी कि उसे गरीबों की बहुत चिन्ता थी बल्कि वह तो स्वयं एक चोर था। और रूपयों की थैली उसी के पास रहती थी। उसमें जो डाला जाता उसे वह चुरा लेता था।

तब यीशु ने कहा, “रहने दो। उसे रोको मत। उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में यह सब किया है। गरीब लोग सदा तुम्हारे पास रहेंगे पर मैं सदा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।”

लाज़र के विरूद्ध षड़यन्त्र

फ़सह पर्व पर आयी यहूदियों की भारी भीड़ को जब यह पता चला कि यीशु वहीं बैतनिय्याह में है तो वह उससे मिलने आयी। न केवल उससे बल्कि वह उस लाज़र को देखने के लिये भी आयी थी जिसे यीशु ने मरने के बाद फिर जीवित कर दिया था। 10 इसलिये महायाजकों ने लाज़र को भी मारने की योजना बनायी। 11 क्योंकि उसी के कारण बहुत से यहूदी अपने नेताओं को छोड़कर यीशु में विश्वास करने लगे थे।