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यीशु को लेकर माता-पिता का मिस्र जाना

13 जब वे चले गये तो यूसुफ को सपने में प्रभु के एक दूत ने प्रकट होकर कहा, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर चुपके से मिस्र चला जा और मैं जब तक तुझ से न कहूँ, वहीं ठहरना। क्योंकि हेरोदेस इस बालक को मरवा डालने के लिए ढूँढेगा।”

14 सो यूसुफ खड़ा हुआ तथा बालक और उसकी माता को लेकर रात में ही मिस्र के लिए चल पड़ा। 15 फिर हेरोदेस के मरने तक वह वहीं ठहरा रहा। यह इसलिये हुआ कि प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा जो कहा था, पूरा हो सके: “मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बाहर आने को कहा।”(A)

बैतलहम के सभी बालकों का हेरोदेस के द्वारा मरवाया जाना

16 हेरोदेस ने जब यह देखा कि सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों ने उसके साथ चाल चली है, तो वह आग बबूला हो उठा। उसने आज्ञा दी कि बैतलहम और उसके आसपास में दो वर्ष के या उससे छोटे सभी बालकों की हत्या कर दी जाये। (सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों के बताये समय को आधार बना कर) 17 तब भविष्यवक्ता यिर्मयाह द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हुआ:

18 “रामाह में दुःख भरा एक शब्द सुना गया,
    शब्द रोने का, गहरे विलाप का था।
राहेल अपने शिशुओं के लिए रोती थी
    चाहती नहीं थी कोई उसे धीरज बँधाए, क्योंकि उसके तो सभी बालक मर चुके थे।”(B)

यीशु को लेकर यूसुफ और मरियम का मिस्र लौटना

19 फिर हेरोदेस की मृत्यु के बाद मिस्र में यूसुफ के सपने में प्रभु का एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ 20 और उससे बोला, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर इस्राएल की धरती पर चला जा क्योंकि वे जो बालक को मार डालना चाहते थे, मर चुके हैं।”

21 तब यूसुफ खड़ा हुआ और बालक तथा उसकी माता को लेकर इस्राएल जा पहुँचा। 22 किन्तु जब यूसुफ ने यह सुना कि यहूदिया पर अपने पिता हेरोदेस के स्थान पर अरखिलाउस राज कर रहा है तो वह वहाँ जाने से डर गया किन्तु सपने में परमेश्वर से आदेश पाकर वह गलील प्रदेश के लिए 23 चल पड़ा और वहाँ नासरत नाम के नगर में घर बना कर रहने लगा ताकि भविष्यवक्ताओं द्वारा कहा गया वचन पूरा हो: वह नासरी[a] कहलायेगा।

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Footnotes

  1. 2:23 नासरी एक व्यक्ति जो नासरत का रहने वाला हो। नासरत का अर्थ संभवत: “शाखा।” देखें यश 11:1