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येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मारक 15:42-47; लूकॉ 23:50-56; योहन 19:38-42)

57 जब सन्ध्या हुई तब अरिमथिया नामक नगर के एक सम्पन्न व्यक्ति, जिनका नाम योसेफ़ था, वहाँ आए. वह स्वयं येशु के चेले बन गए थे. 58 उन्होंने पिलातॉस के पास जा कर येशु के शव को ले जाने की आज्ञा माँगी. पिलातॉस ने उन्हें शव ले जाने की आज्ञा दे दी. 59 योसेफ़ ने शव को एक स्वच्छ चादर में लपेटा 60 और उसे नई कन्दरा-क़ब्र में रख दिया, जो योसेफ़ ने स्वयं अपने लिए चट्टान में खुदवाई थी. उन्होंने क़ब्र के द्वार पर एक विशाल पत्थर लुढ़का दिया और तब वह अपने घर चले गए. 61 मगदालावासी मरियम तथा अन्य मरियम, दोनों ही कन्दरा-क़ब्र के सामने बैठी रहीं.

येशु की क़ब्र पर प्रहरियों की नियुक्ति

62 दूसरे दिन, जो तैयारी के दिन के बाद का दिन था, प्रधान याजक तथा फ़रीसी पिलातॉस के यहाँ इकट्ठा हुए और पिलातॉस को सूचित किया, 63 “महोदय, हमको यह याद है कि जब यह छली जीवित था, उसने कहा था, ‘तीन दिन बाद मैं जीवित हो जाऊँगा’; 64 इसलिए तीसरे दिन तक के लिए कन्दरा-क़ब्र पर कड़ी सुरक्षा की आज्ञा दे दीजिए, अन्यथा सम्भव है उसके शिष्य आ कर शव चुरा ले जाएँ और लोगों में यह प्रचार कर दें, ‘वह मरे हुओं में से जीवित हो गया है’; तब तो यह छल पहले से कहीं अधिक हानिकर सिद्ध होगा.”

65 पिलातॉस ने उनसे कहा, “प्रहरी तो आपके पास हैं न! आप जैसा उचित समझें करें.” 66 अतः उन्होंने जा कर प्रहरी नियुक्त कर तथा पत्थर पर मोहर लगा कर क़ब्र को पूरी तरह सुरक्षित बना दिया.

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मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; लूकॉ 23:50-56; योहन 19:38-42)

42 यह शब्बाथ के पहले का तैयारी का दिन था. शाम हो गई थी. 43 अरिमथिया नगरवासी योसेफ़ ने, जो महासभा के प्रतिष्ठित सदस्य थे और स्वयं परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे, साहसपूर्वक पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति माँगी. 44 पिलातॉस को विश्वास नहीं हो रहा था कि मसीह येशु के प्राण निकल चुके हैं इसलिए उसने सैन्य अधिकारी को बुलाकर उससे प्रश्न किया कि क्या मसीह येशु की मृत्यु हो चुकी है? 45 सैन्य अधिकारी से आश्वस्त हो कर पिलातॉस ने योसेफ़ को मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति दे दी. 46 योसेफ़ ने एक कफ़न मोल लिया, मसीह येशु का शव उतारा, उसे कफ़न में लपेटा और चट्टान में खोदी गई एक कन्दरा-क़ब्र में रख कर क़ब्र द्वार पर एक बड़ा पत्थर लुढ़का दिया. 47 मगदालावासी मरियम तथा योसेस की माता मरियम यह देख रही थीं कि मसीह येशु के शव को कहाँ रखा गया था.

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मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; मारक 15:42-47; योहन 19:28-42)

50 योसेफ़ नामक एक व्यक्ति थे. वह महासभा के सदस्य, सज्जन तथा धर्मी थे. 51 वह न तो यहूदी अगुवों की योजना से और न ही उसके कामों से सहमत थे. योसेफ़ यहूदियों के एक नगर अरिमथिया के निवासी थे और वह परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे. 52 योसेफ़ ने पिलातॉस के पास जा कर विनती की कि मसीह येशु का शव उन्हें दे दिया जाए. 53 उन्होंने शव को क्रूस से उतार कर मलमल के वस्त्र में लपेटा और चट्टान में खोद कर बनाई गई एक क़ब्र की गुफ़ा में रख दिया. इस क़ब्र में अब तक कोई भी शव रखा नहीं गया था. 54 यह शब्बाथ की तैयारी का दिन था. शब्बाथ प्रारम्भ होने पर ही था.

55 गलील प्रदेश से आई हुई स्त्रियाँ भी उनके साथ वहाँ गईं. उन्होंने उस क़ब्र को देखा तथा यह भी कि शव को वहाँ कैसे रखा गया था. 56 तब वे सब घर लौट गए और उन्होंने अंत्येष्टि के लिए उबटन-लेप तैयार किए. व्यवस्था के अनुसार उन्होंने शब्बाथ पर विश्राम किया; किन्तु सप्ताह के पहिले दिन पौ फटते ही वे तैयार किए गए उबटन-लेपों को ले कर क़ब्र की गुफ़ा पर आईं.

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मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; मारक 15:42-47; लूकॉ 23:46-50)

38 अरिमथियावासी योसेफ़ यहूदियों के भय के कारण मसीह येशु का गुप्त शिष्य था. उसने पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति चाही. पिलातॉस ने स्वीकृति दे दी और वह आकर मसीह येशु का शव ले गया. 39 तब निकोदेमॉस भी, जो पहले मसीह येशु से भेंट करने रात के समय आए थे, लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरू का मिश्रण ले कर आए. 40 इन लोगों ने मसीह येशु का शव लिया और यहूदियों की अंतिम संस्कार की रीति के अनुसार उस पर यह मिश्रण लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया. 41 मसीह येशु को क्रूसित किए जाने के स्थान के पास एक उपवन था, जिसमें एक नई क़ब्र की गुफ़ा थी. उसमें अब तक कोई शव नहीं रखा गया था. 42 इसलिए उन्होंने मसीह येशु के शव को उसी क़ब्र की गुफ़ा में रख दिया क्योंकि वह पास थी और वह यहूदियों के शब्बाथ की तैयारी का दिन भी था.

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