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मृत लड़की को जीवन दान और रोगी स्त्री को चंगा करना

(मरकुस 5:21-43; लूका 8:40-56)

18 यीशु उन लोगों को जब ये बातें बता ही रहा था, तभी यहूदी आराधनालय का एक मुखिया उसके पास आया और उसके सामने झुक कर विनती करते हुए बोला, “अभी-अभी मेरी बेटी मर गयी है। तू चल कर यदि उस पर अपना हाथ रख दे तो वह फिर से जी उठेगी।”

19 इस पर यीशु खड़ा हो कर अपने शिष्यों समेत उसके साथ चल दिया।

20 वहीं एक ऐसी स्त्री थी जिसे बारह साल से बहुत अधिक रक्त बह रहा था। वह पीछे से यीशु के निकट आयी और उसके वस्त्र की कन्नी छू ली। 21 वह मन में सोच रही थी, “यदि मैं तनिक भी इसका वस्त्र छू पाऊँ, तो ठीक हो जाऊँगी।”

22 मुड़कर उसे देखते हुए यीशु ने कहा, “बेटी, हिम्मत रख। तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा कर दिया है।” और वह स्त्री तुरंत उसी क्षण ठीक हो गयी।

23 उधर यीशु जब यहूदी धर्म-सभा के मुखिया के घर पहुँचा तो उसने देखा कि शोक धुन बजाते हुए बाँसुरी वादक और वहाँ इकट्ठे हुए लोग लड़की की मृत्यु पर शोक कर रहे हैं। 24 तब यीशु ने लोगों से कहा, “यहाँ से बाहर जाओ। लड़की मरी नहीं है, वह तो सो रही है।” इस पर लोग उसकी हँसी उड़ाने लगे। 25 फिर जब भीड़ के लोगों को बाहर भेज दिया गया तो यीशु ने लड़की के कमरे में जा कर उसका हाथ पकड़ा और वह उठ बैठी। 26 इसका समाचार उस सारे क्षेत्र में फैल गया।

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