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यीशु दूसरे यहूदी धर्म-नेताओं से भिन्न है

(मरकुस 2:18-22; लूका 5:33-39)

14 फिर बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के शिष्य यीशु के पास गये और उससे पूछा, “हम और फ़रीसी बार-बार उपवास क्यों करते हैं और तेरे अनुयायी क्यों नहीं करते?”

15 फिर यीशु ने उन्हें बताया, “क्या दूल्हे के साथी, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे जब दूल्हा उन से छीन लिया जायेगा। फिर उस समय वे दुःखी होंगे और उपवास करेंगे।

16 “बिना सिकुड़े नये कपड़े का पैबंद पुरानी पोशाक पर कोई नहीं लगाता क्योंकि यह पैबंद पोशाक को और अधिक फाड़ देगा और कपड़े की खींच और बढ़ जायेगी। 17 नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरा जाता नहीं तो मशकें फट जाती हैं और दाखरस बहकर बिखर जाता है। और मशकें भी नष्ट हो जाती हैं। इसलिये लोग नया दाखरस, नयी मशकों में भरते हैं जिससे दाखरस और मशक दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।”

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उपवास पर यीशु का मत

(मत्ती 9:14-17; मरकुस 2:18-22)

33 उन्होंने यीशु से कहा, “यूहन्ना के शिष्य प्राय: उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। और ऐसा ही फरीसियों के अनुयायी भी करते हैं किन्तु तेरे अनुयायी तो हर समय खाते पीते रहते हैं।”

34 यीशु ने उनसे पूछा, “क्या दूल्हे के अतिथि जब तक दूल्हा उनके साथ है, उपवास करते हैं? 35 किन्तु वे दिन भी आयेंगे जब दूल्हा उनसे छीन लिया जायेगा। फिर उन दिनों में वे भी उपवास करेंगे।”

36 उसने उनसे एक दृष्टांत कथा और कही, “कोई भी किसी नयी पोशाक से कोई टुकड़ा फाड़ कर उसे पुरानी पोशाक पर नहीं लगाता और यदि कोई ऐसा करता है तो उसकी नयी पोशाक तो फटेगी ही, साथ ही वह नया पैबन्द भी पुरानी पोशाक के साथ मेल नहीं खायेगा। 37 कोई भी पुरानी मशकों में नयी दाखरस नहीं भरता और यदि भरता है तो नयी दाखरस पुरानी मशकों को फाड़ देगी। वह बिखर जायेगा और मशकें नष्ट हो जायेंगी। 38 लोग हमेशा नया दाखरस नयी मशकों में भरते है। 39 पुराना दाखरस पी कर कोई भी नये की चाहत नहीं करता क्योंकि वह कहता है, ‘पुराना ही उत्तम है।’”

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