Add parallel Print Page Options

मसीह येशु पिलातॉस के न्यायालय में

(मत्ति 27:1-2; लूकॉ 22:66-71)

15 भोर होते ही प्रधान पुरोहितों, नेतागण तथा शास्त्रियों ने सारी महासभा का सत्र बुला कर विचार किया और मसीह येशु को, जो अभी भी बँधे हुए थे, ले जा कर पिलातॉस को सौंप दिया.

पिलातॉस ने मसीह येशु से पूछा, “क्या यहूदियों के राजा तुम हो?”

मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “सच्चाई वही है जो आपने कहा है.”

प्रधान याजक मसीह येशु पर अनेक आरोप लगाते रहे. इस पर पिलातॉस ने मसीह येशु से पूछा, “कोई उत्तर नहीं दोगे? देखो, ये लोग तुम पर आरोप पर आरोप लगाते चले जा रहे हैं!”

किन्तु मसीह येशु ने कोई उत्तर न दिया. यह पिलातॉस के लिए आश्चर्य का विषय था.

उत्सव के अवसर पर वह किसी एक बन्दी को, लोगों की विनती के अनुसार, छोड़ दिया करता था. कारागार में बार-अब्बास नामक एक बन्दी था. वह अन्य विद्रोहियों के साथ विद्रोह में हत्या के आरोप में बन्दी बनाया गया था. भीड़ ने पिलातॉस के पास जा कर उनकी प्रथापूर्ति की विनती की.

इस पर पिलातॉस ने उनसे पूछा, “अच्छा, तो तुम यह चाह रहे हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 अब तक पिलातॉस को यह मालूम हो चुका था कि प्रधान पुरोहितों ने मसीह येशु को जलनवश पकड़वाया था. 11 किन्तु प्रधान पुरोहितों ने भीड़ को उकसाया कि वे मसीह येशु के स्थान पर बार-अब्बास को छोड़ देने की विनती करें.

12 इस पर पिलातॉस ने उनसे पूछा, “तो फिर मैं इसका क्या करूँ, जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो?”

13 उन्होंने चिल्लाते हुए उत्तर दिया, “मृत्युदण्ड!”

14 “क्यों,” पिलातॉस ने उनसे पूछा, “क्या अपराध किया है इसने?” इस पर वे उग्र हो बलपूर्वक चिल्लाते हुए बोले, “मृत्युदण्ड!”

15 भीड़ को सन्तुष्ट करने के उद्देश्य से पिलातॉस ने उनके लिए बार-अब्बास को विमुक्त कर दिया तथा मसीह येशु को कोड़े लगवाकर क्रूस-मृत्युदण्ड के लिए उनके हाथों में सौंप दिया.

मसीह येशु के सिर पर काँटों का मुकुट

(मत्ति 27:27-31)

16 मसीह येशु को सैनिक प्राइतोरियम अर्थात् किले के भीतर आंगण में ले गए और वहाँ उन्होंने सारी रोमी सैनिक टुकड़ी इकट्ठा कर ली. 17 उन्होंने मसीह येशु को वहाँ ले जा कर बैंगनी रंग का वस्त्र पहना दिया तथा काँटों को गूँथ कर मुकुट का रूप दे उसे उनके ऊपर रख दिया 18 और उन्हें प्रणाम करके कहने लगे, “यहूदियों के राजा, आपकी जय!” 19 वे मसीह येशु के सिर पर सरकण्डा मारते जा रहे थे. इसके अतिरिक्त वे उन पर थूक रहे थे और उपहास में उनके सामने घुटने टेक कर झुक रहे थे. 20 जब वे उपहास कर चुके, उन्होंने वह बैंगनी वस्त्र उतार लिया और उनके वस्त्र उन्हें दोबारा पहना दिए और उन्हें क्रूस पर चढ़ाने के लिए ले जाने लगे.

क्रूस-मार्ग पर मसीह येशु

(मत्ति 27:32-34; लूकॉ 23:26-31; योहन 19:17)

21 मार्ग में उन्हें कुरेनायॉस नगरवासी शिमोन नामक व्यक्ति मिला, जो अलेक्ज़ान्द्रॉस तथा रूफ़ॉस का पिता था, जिसे उन्होंने मसीह येशु का क्रूस उठा कर ले चलने के लिए विवश किया.

22 वे मसीह येशु को ले कर गोलगोथा नामक स्थल पर आए, जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान. 23 उन्होंने मसीह येशु को गन्धरस मिला हुआ दाखरस देना चाहा किन्तु मसीह येशु ने उसे स्वीकार न किया. 24 तब उन्होंने मसीह येशु को क्रूस पर चढ़ा दिया. उन्होंने मसीह येशु के वस्त्र बाँटने के लिए पासा फेंका कि वस्त्र किसे मिलें.

25 यह दिन का तीसरा घण्टा था जब उन्होंने मसीह येशु को क्रूस पर चढ़ाया था. 26 उनके दोषपत्र पर लिखा था: यहूदियों का राजा. 27 मसीह येशु के साथ दो राजद्रोहियों को भी क्रूस पर चढ़ाया गया था—एक उनकी दायीं ओर, दूसरा बायीं ओर. 28 यह होने पर पवित्रशास्त्र का यह लेख पूरा हो गया: उसकी गिनती अपराधियों के साथ की गई.

29 आते-जाते यात्री उपहास-मुद्रा में सिर हिला-हिला कर मज़ाक उड़ा रहे थे, “अरे ओ मन्दिर को नाश कर तीन दिन में उसको दुबारा बनानेवाले! 30 बचा ले अपने आपको—उतर आ क्रूस से!”

31 इसी प्रकार प्रधान याजक भी शास्त्रियों के साथ मिल कर आपस में उनका उपहास कर रहे थे, “अन्यों को तो बचाता रहा, स्वयं को नहीं बचा सकता! 32 यह मसीह—यह इस्राएल का राजा, अभी क्रूस से नीचे उतरे, तो हम उस में विश्वास कर लेंगे!” मसीह येशु के साथ क्रूस पर चढ़ाए गए राजद्रोही भी उनकी ऐसी ही निन्दा कर रहे थे.

मसीह येशु की मृत्यु

(मत्ति 27:45-56; लूकॉ 23:44-49; योहन 19:28-37)

33 छठे घण्टे सारे क्षेत्र पर अन्धकार छा गया, जो नवें घण्टे तक छाया रहा. 34 नवें घण्टे मसीह येशु ने ऊँचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “एलोई, एलोई लमा सबख़थानी?” अर्थात् मेरे परमेश्वर! मेरे परमेश्वर! आपने मुझे क्यों छोड़ दिया है!

35 पास खड़े व्यक्तियों ने यह सुन कर कहा, “सुनो! सुनो! वह एलियाह को पुकार रहा है!”

36 यह सुन एक व्यक्ति ने दौड़ कर एक स्पंज को दाख के सिरके में डुबा कर उसे सरकण्डे पर रख यह कहते हुए मसीह येशु को पीने के लिए दिया, “चलो देखें, क्या एलियाह इसे क्रूस से नीचे उतारने आते हैं या नहीं.”

37 ऊँचे शब्द में पुकारने के साथ मसीह येशु ने अपने प्राण त्याग दिए.

38 मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो भागों में बांट दिया गया. 39 क्रूस के सामने खड़े रोमी सैन्य अधिकारी ने मसीह येशु को इस रीति से प्राण त्यागते देख कहा, “इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह व्यक्ति परमेश्वर का पुत्र था.”

40 कुछ महिलाएं दूर खड़ी हुई यह सब देख रही थीं. इनमें मगदालावासी मरियम, कनिष्ठ याक़ोब और योसेस की माता मरियम तथा शालोमे थीं. 41 मसीह येशु के गलील प्रवास के समय ये ही उनके पीछे चलते हुए उनकी सेवा करती रही थीं. अन्य अनेक स्त्रियाँ भी थीं, जो मसीह येशु के साथ येरूशालेम आई हुई थीं.

मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; लूकॉ 23:50-56; योहन 19:38-42)

42 यह शब्बाथ के पहले का तैयारी का दिन था. शाम हो गई थी. 43 अरिमथिया नगरवासी योसेफ़ ने, जो महासभा के प्रतिष्ठित सदस्य थे और स्वयं परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे, साहसपूर्वक पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति माँगी. 44 पिलातॉस को विश्वास नहीं हो रहा था कि मसीह येशु के प्राण निकल चुके हैं इसलिए उसने सैन्य अधिकारी को बुलाकर उससे प्रश्न किया कि क्या मसीह येशु की मृत्यु हो चुकी है? 45 सैन्य अधिकारी से आश्वस्त हो कर पिलातॉस ने योसेफ़ को मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति दे दी. 46 योसेफ़ ने एक कफ़न मोल लिया, मसीह येशु का शव उतारा, उसे कफ़न में लपेटा और चट्टान में खोदी गई एक कन्दरा-क़ब्र में रख कर क़ब्र द्वार पर एक बड़ा पत्थर लुढ़का दिया. 47 मगदालावासी मरियम तथा योसेस की माता मरियम यह देख रही थीं कि मसीह येशु के शव को कहाँ रखा गया था.

मसीह येशु का क्रूस मृत्युदण्ड

19 इसलिए पिलातॉस ने मसीह येशु को भीतर ले जा कर उन्हें कोड़े लगवाए. सैनिकों ने काँटों का एक मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर रखा और उनके ऊपर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया और वे एक-एक कर उनके सामने आ कर उनके मुख पर प्रहार करते हुए कहने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!”

पिलातॉस ने दोबारा आ कर भीड़ से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे लिए बाहर ला रहा हूँ कि तुम जान लो कि मुझे उसमें कोई दोष नहीं मिला.” तब काँटों का मुकुट व बैंगनी वस्त्र धारण किए हुए मसीह येशु को बाहर लाया गया और पिलातॉस ने लोगों से कहा, “देखो, इसे!”

जब प्रधान पुरोहितों और सेवकों ने मसीह येशु को देखा तो चिल्ला कर कहने लगे, “क्रूसदण्ड़! क्रूसदण्ड़!” पिलातॉस ने उनसे कहा, “इसे ले जाओ और तुम ही दो इसे मृत्युदण्ड क्योंकि मुझे तो इसमें कोई दोष नहीं मिला.” यहूदियों ने उत्तर दिया, “हमारा एक नियम है. उस नियम के अनुसार इस व्यक्ति को मृत्युदण्ड ही मिलना चाहिए क्योंकि यह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बताता है.”

जब पिलातॉस ने यह सुना तो वह और अधिक भयभीत हो गया. तब उसने दोबारा राजभवन में जाकर मसीह येशु से पूछा, “तुम कहाँ के हो?” किन्तु मसीह येशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया. 10 इसलिए पिलातॉस ने उनसे कहा, “तुम बोलते क्यों नहीं? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे यह अधिकार है कि मैं तुम्हें मुक्त कर दूँ और यह भी कि तुम्हें मृत्युदण्ड दूँ?”

11 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “आपका मुझ पर कोई अधिकार न होता यदि वह आपको ऊपर से न दिया गया होता. अत्यंत नीच है उसका पाप, जिसने मुझे आपके हाथ सौंपा है.” 12 परिणामस्वरूप पिलातॉस ने उन्हें मुक्त करने के यत्न किए किन्तु यहूदियों ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा, “यदि आपने इस व्यक्ति को मुक्त किया तो आप कयसर के मित्र नहीं हैं. हर एक, जो स्वयं को राजा दर्शाता है, वह कयसर का विरोधी है.”

13 ये सब सुन कर पिलातॉस मसीह येशु को बाहर लाया और न्याय आसन पर बैठ गया, जो उस स्थान पर था, जिसे इब्री भाषा में गब्बथा अर्थात् चबूतरा कहा जाता है. 14 यह फ़सह की तैयारी के दिन का छठा घण्टा था. पिलातॉस ने यहूदियों से कहा.

“यह लो, तुम्हारा राजा.”

15 इस पर वे चिल्लाने लगे, “इसे यहाँ से ले जाओ! ले जाओ इसे यहाँ से और मृत्युदण्ड दो!”

पिलातॉस ने उनसे पूछा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को मृत्युदण्ड दूँ?”

प्रधान पुरोहितों ने कहा, “कयसर के अतिरिक्त हमारा कोई राजा नहीं है.”

16 तब पिलातॉस ने क्रूस-मृत्युदण्ड के लिए मसीह येशु को उनके हाथ सौंप दिया.

क्रूस-मार्ग पर मसीह येशु

(मत्ति 27:32-37; मारक 15:21-24; लूकॉ 23:26-31)

17 वे मसीह येशु को उस स्थान को ले गए, जो इब्री भाषा में गोलगोथा कहलाता है, जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान. मसीह येशु अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए थे.

मसीह येशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ति 27:35-44; मारक 15:25-32; लूकॉ 23:32-43)

18 वहाँ उन्होंने मसीह येशु को अन्य दो व्यक्तियों के साथ उनके मध्य क्रूस पर चढ़ाया.

19 पिलातॉस ने एक पटल पर नाज़रेथ का येशु, यहूदियों का राजा लिख कर क्रूस पर लगवा दिया 20 यह अनेक यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि मसीह येशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने का स्थान नगर के समीप ही था. यह इब्री, लातीनी और यूनानी भाषाओं में लिखा था. 21 इस पर यहूदियों के प्रधान पुरोहितों ने पिलातॉस से कहा, “यहूदियों का राजा मत लिखिए परन्तु वह लिखिए, जो उसने कहा था: ‘मैं यहूदियों का राजा हूँ’.”

22 पिलातॉस ने उत्तर दिया, “अब मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया.”

23 सैनिकों ने मसीह येशु को क्रूसित करने के बाद उनके बाहरी कपड़े ले कर चार भाग किए और आपस में बांट लिए. उनके अंदर का वस्त्र जोड़ रहित ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था.

24 इसलिए सैनिकों ने विचार किया, “इसे फाड़ें नहीं परन्तु इस पर पासा फेंक कर निर्णय कर लें कि यह किसको मिलेगा.”

सैनिकों ने ठीक वही किया जैसा पवित्रशास्त्र में लिखा है:

उन्होंने मेरा बाहरी कपड़ा आपस में बांट लिया,
    और मेरे अंदर के वस्त्र के लिए पासा फेंका.

25 मसीह येशु के क्रूस के समीप उनकी माता, उनकी माता की बहन, क्लोपस की पत्नी मरियम और मगदालावासी मरियम खड़ी हुई थीं. 26 जब मसीह येशु ने अपनी माता और उस शिष्य को, जो उनका प्रियजन था, वहाँ खड़े देखा तो अपनी माता से बोले, “हे स्त्री! यह आपका पुत्र है.” 27 और उस शिष्य से बोले, “यह तुम्हारी माता है.” उस दिन से वह शिष्य मरियम का रखवाला बन गया.

मसीह येशु की मृत्यु

(मत्ति 27:45-56; मारक 15:33-41; लूकॉ 23:44-49)

28 इसके बाद मसीह येशु ने यह जानते हुए कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, पवित्रशास्त्र का लेख पूरा करने के लिए कहा, “मैं प्यासा हूँ.” 29 वहाँ दाखरस के सिरके से भरा एक बर्तन रखा था. लोगों ने उसमें स्पंज भिगो जूफ़ा पौधे की टहनी पर रखकर उनके मुख तक पहुँचाया. 30 उसे चख कर मसीह येशु ने कहा, “अब सब पूरा हो गया” और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए.

31 वह फ़सह की तैयारी का दिन था. इसलिए यहूदियों ने पिलातॉस से निवेदन किया कि उन लोगों की टाँगें तोड़ कर उन्हें क्रूस से उतार लिया जाए जिससे वे शब्बाथ पर क्रूस पर न रहें क्योंकि वह एक विशेष महत्व का शब्बाथ था. 32 इसलिए सैनिकों ने मसीह येशु के संग क्रूस पर चढ़ाए गए एक व्यक्ति की टाँगें पहले तोड़ीं और तब दूसरे की. 33 जब वे मसीह येशु के पास आए तो उन्हें मालूम हुआ कि उनके प्राण पहले ही निकल चुके थे. इसलिए उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं 34 किन्तु एक सैनिक ने उनकी पसली को भाले से बेधा और वहाँ से तुरन्त लहू व जल बह निकले. 35 वह, जिसने यह देखा, उसने गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है—वह जानता है कि वह सच ही कह रहा है, कि तुम भी विश्वास कर सको. 36 यह इसलिए हुआ कि पवित्रशास्त्र का यह लेख पूरा हो: उसकी एक भी हड्डी तोड़ी न जाएगी. 37 पवित्रशास्त्र का एक अन्य लेख भी इस प्रकार है: वे उसकी ओर देखेंगे, जिसे उन्होंने बेधा है.

मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; मारक 15:42-47; लूकॉ 23:46-50)

38 अरिमथियावासी योसेफ़ यहूदियों के भय के कारण मसीह येशु का गुप्त शिष्य था. उसने पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति चाही. पिलातॉस ने स्वीकृति दे दी और वह आकर मसीह येशु का शव ले गया. 39 तब निकोदेमॉस भी, जो पहले मसीह येशु से भेंट करने रात के समय आए थे, लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरू का मिश्रण ले कर आए. 40 इन लोगों ने मसीह येशु का शव लिया और यहूदियों की अंतिम संस्कार की रीति के अनुसार उस पर यह मिश्रण लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया. 41 मसीह येशु को क्रूसित किए जाने के स्थान के पास एक उपवन था, जिसमें एक नई क़ब्र की गुफ़ा थी. उसमें अब तक कोई शव नहीं रखा गया था. 42 इसलिए उन्होंने मसीह येशु के शव को उसी क़ब्र की गुफ़ा में रख दिया क्योंकि वह पास थी और वह यहूदियों के शब्बाथ की तैयारी का दिन भी था.