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17 सन्ध्या होने पर मसीह येशु अपने बारहों शिष्यों के साथ वहाँ आए. 18 जब वह भोजन पर बैठे हुए थे मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सत्य प्रकट कर रहा हूँ: तुममें से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मेरे साथ धोखा करेगा.”

19 अत्यन्त दुःखी हो वे उनसे एक-एक कर यह पूछने लगे, “निस्सन्देह वह मैं तो नहीं हूँ?”

20 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “है तो वह बारहों में से एक—वही, जो मेरे साथ कटोरे में रोटी डुबो रहा है. 21 मनुष्य के पुत्र को तो, जैसा कि उसके विषय में पवित्रशास्त्र में लिखा है, जाना ही है; किन्तु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो मनुष्य के पुत्र के साथ धोखा करेगा. उस व्यक्ति के लिए सही तो यही होता कि उसका जन्म ही न होता.”

22 भोजन के लिए बैठे हुए मसीह येशु ने रोटी ले कर उसके लिए आभार धन्यवाद करते हुए उसे तोड़ा और उनमें बाँटते हुए कहा, “लो, यह मेरा शरीर है.”

23 इसके बाद मसीह येशु ने प्याला उठाया, उसके लिए धन्यवाद दिया, शिष्यों को दिया और सब ने उसमें से पिया.

24 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यह वायदे का मेरा लहू है, जो अनेकों के लिए उण्डेला गया है. 25 मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: दाख के इस रस को मैं अब से उस समय तक नहीं पिऊँगा जब तक मैं अपने पिता के राज्य में तुम्हारे साथ नया रस न पिऊँ.”

26 एक भक्ति गीत गाने के बाद वे ज़ैतून पर्वत पर चले गए.

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