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यीशु को मरना होगा

(मत्ती 27:15-26; मरकुस 15:6-15; यूहन्ना 18:39-19:16)

13 फिर पिलातुस ने प्रमुख याजकों, यहूदी नेताओं और लोगों को एक साथ बुलाया। 14 उसने उनसे कहा, “तुम इसे लोगों को भटकाने वाले एक व्यक्ति के रूप में मेरे पास लाये हो। और मैंने यहाँ अब तुम्हारे सामने ही इसकी जाँच पड़ताल की है और तुमने इस पर जो दोष लगाये हैं उनका न तो मुझे कोई आधार मिला है और 15 न ही हेरोदेस को क्योंकि उसने इसे वापस हमारे पास भेज दिया है। जैसा कि तुम देख सकते हो इसने ऐसा कुछ नहीं किया है कि यह मौत का भागी बने। 16 इसलिये मैं इसे कोड़े मरवा कर छोड़ दूँगा।” 17 [a]

18 किन्तु वे सब एक साथ चिल्लाये, “इस आदमी को ले जाओ। हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दो।” 19 (बरअब्बा को शहर में मार धाड़ और हत्या करने के जुर्म में जेल में डाला हुआ था।)

20 पिलातुस यीशु को छोड़ देना चाहता था, सो उसने उन्हें फिर समझाया। 21 पर वे नारा लगाते रहे, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो, इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

22 पिलातुस ने उनसे तीसरी बार पूछा, “किन्तु इस व्यक्ति ने क्या अपराध किया है? मुझे इसके विरोध में कुछ नहीं मिला है जो इसे मृत्यु दण्ड का भागी बनाये। इसलिये मैं कोड़े लगवाकर इसे छोड़ दूँगा।”

23 पर वे ऊँचे स्वर में नारे लगा लगा कर माँग कर रहे थे कि उसे क्रूस पर चढ़ा दिया जाये। और उनके नारों का कोलाहल इतना बढ़ गया कि 24 पिलातुस ने निर्णय दे दिया कि उनकी माँग मान ली जाये। 25 पिलातुस ने उस व्यक्ति को छोड़ दिया जिसे मार धाड़ और हत्या करने के जुर्म में जेल में डाला गया था (यह वही था जिसके छोड़ देने की वे माँग कर रहे थे) और यीशु को उनके हाथों में सौंप दिया कि वे जैसा चाहें, करे।

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Footnotes

  1. 23:17 कुछ यूनानी प्रतियों में पद 17 जोड़ा गया है: “पिलातुस को फ़सह पर्व पर हर साल जनता के लिये कोई एक बंदी को छोड़ना पड़ता था।”