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दुराचारी स्त्री को क्षमा

53 फिर वे सब वहाँ से अपने-अपने घर चले गये।

और यीशु जैतून पर्वत पर चला गया। अलख सवेरे वह फिर मन्दिर में गया। सभी लोग उसके पास आये। यीशु बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा।

तभी यहूदी धर्मशास्त्री और फ़रीसी लोग व्यभिचार के अपराध में एक स्त्री को वहाँ पकड़ लाये। और उसे लोगों के सामने खड़ा कर दिया। और यीशु से बोले, “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते रंगे हाथों पकड़ी गयी है। मूसा का विधान हमें आज्ञा देता है कि ऐसी स्त्री को पत्थर मारना चाहियें। अब बता तेरा क्या कहना है?”

यीशु को जाँचने के लिये यह पूछ रहे थे ताकि उन्हें कोई ऐसा बहाना मिल जाये जिससे उसके विरुद्ध कोई अभियोग लगाया जा सके। किन्तु यीशु नीचे झुका और अपनी उँगली से धरती पर लिखने लगा। क्योंकि वे पूछते ही जा रहे थे इसलिये यीशु सीधा तन कर खड़ा हो गया और उनसे बोला, “तुम में से जो पापी नहीं है वही सबसे पहले इस औरत को पत्थर मारे।” और वह फिर झुककर धरती पर लिखने लगा।

जब लोगों ने यह सुना तो सबसे पहले बूढ़े लोग और फिर और भी एक-एक करके वहाँ से खिसकने लगे और इस तरह वहाँ अकेला यीशु ही रह गया। यीशु के सामने वह स्त्री अब भी खड़ी थी। 10 यीशु खड़ा हुआ और उस स्त्री से बोला, “हे स्त्री, वे सब कहाँ गये? क्या तुम्हें किसी ने दोषी नहीं ठहराया?”

11 स्त्री बोली, “हे, महोदय! किसी ने नहीं।”

यीशु ने कहा, “मैं भी तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा। जाओ और अब फिर कभी पाप मत करना।”[a]

Footnotes

  1. 8:11 कुछ प्राचीन यूनानी प्रतियों में यूहन्ना 7:53-8:11 तक के पद नहीं हैं। लेकिन कुछ प्रतियों में यह भाग दूसरी जगह पर है।