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40 यीशु फिर यर्दन नदी के पार उस स्थान पर चला गया जहाँ पहले यूहन्ना बपतिस्मा दिया करता था। यीशु वहाँ ठहरा, 41 बहुत से लोग उसके पास आये और कहने लगे, “यूहन्ना ने कोई आश्चर्यकर्म नहीं किये पर इस व्यक्ति के बारे में यूहन्ना ने जो कुछ कहा था सब सच निकला।” 42 फिर वहाँ बहुत से लोग यीशु में विश्वासी हो गये।

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सँकरा द्वार

(मत्ती 7:13-14, 21-23)

22 यीशु जब नगरों और गाँवों से होता हुआ उपदेश देता यरूशलेम जा रहा था। 23 तभी उससे किसी ने पूछा, “प्रभु, क्या थोड़े से ही व्यक्तियों का उद्धार होगा?”

उसने उससे कहा, 24 “सँकरे द्वार से प्रवेश करने को हर सम्भव प्रयत्न करो, क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूँ कि भीतर जाने का प्रयत्न बहुत से करेंगे पर जा नहीं पायेंगे। 25 जब एक बार घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर देता है, तो तुम बाहर ही खड़े दरवाजा खटखटाते कहोगे, ‘हे स्वामी, हमारे लिये दरवाज़ा खोल दे!’ किन्तु वह तुम्हें उत्तर देगा, ‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो?’ 26 तब तुम कहने लागोगे, ‘हमने तेरे साथ खाया, तेरे साथ पिया, तूने हमारी गलियों में हमें शिक्षा दी।’ 27 पर वह तुमसे कहेगा, ‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो? अरे कुकर्मियों! मेरे पास से भाग जाओ।’

28 “तुम इब्राहीम, इसहाक, याकूब तथा अन्य सभी नबियों को परमेश्वर के राज्य में देखोगे किन्तु तुम्हें बाहर धकेल दिया जायेगा तो वहाँ बस रोना और दाँत पीसना ही होगा। 29 फिर पूर्व और पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से लोग परमेश्वर के राज्य में आकर भोजन की चौकी पर अपना स्थान ग्रहण करेंगे। 30 ध्यान रहे कि वहाँ जो अंतिम हैं, पहले हो जायेंगे और जो पहले हैं, वे अंतिम हो जायेंगे।”

यीशु की मृत्यु यरूशलेम में

(मत्ती 23:37-39)

31 उसी समय यीशु के पास कुछ फ़रीसी आये और उससे कहा, “हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है, इसलिये यहाँ से कहीं और चला जा।”

32 तब उसने उनसे कहा, “जाओ और उस लोमड़[a] से कहो, ‘सुन मैं लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालूँगा, मैं आज भी चंगा करूँगा और कल भी। फिर तीसरे दिन मैं अपना काम पूरा करूँगा।’ 33 फिर भी मुझे आज, कल और परसों चलते ही रहना होगा। क्योंकि किसी नबी के लिये यह उचित नहीं होगा कि वह यरूशलेम से बाहर प्राण त्यागे।

34 “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम! तू नबियों की हत्या करता है और परमेश्वर ने जिन्हें तेरे पास भेजा है, उन पर पत्थर बरसाता है। मैंने कितनी ही बार तेरे लोगों को वैसे ही परस्पर इकट्ठा करना चाहा है जैसे एक मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे समेट लेती है। पर तूने नहीं चाहा। 35 देख तेरे लिये तेरा घर परमेश्वर द्वारा बिसराया हुआ पड़ा है। मैं तुझे बताता हूँ तू मुझे उस समय तक फिर नहीं देखेगा जब तक वह समय न आ जाये जब तू कहेगा, ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम पर आ रहा है।’”

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Footnotes

  1. 13:32 लोमड़ लोमड़ चालाक होता है, इसलिए यीशु ने यहाँ हेरोदेस को लोमड़ के रूप में सम्बोधित करके उसे धूर्त कहना चाहा है।