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14 तब यिर्मयाह ने तोपेत को छोड़ा जहाँ यहोवा ने उपदेश देने को कहा था। यिर्मयाह यहोवा के मन्दिर को गया और उसके आँगन में खड़ा हुआ। यिर्मयाह ने सभी लोगों से कहा, 15 “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘मैंने कहा है कि मैं यरूशलेम और उसके चारों ओर के गाँवों पर अनेक विपत्तियाँ ढाऊँगा। मैं इन्हें शीघ्र घटित कराऊँगा। क्यों क्योंकि लोग बहुत हठी हैं वे मेरी सुनने और मेरी आज्ञा का पालन करने से इन्कार करते हैं।’”

यिर्मयाह और पशहूर

20 पशहूर नामक एक व्यक्ति याजक था। वह यहोवा के मन्दिर में उच्चतम अधिकारी था। पशहूर इम्मेर नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन में उन बातों का उपदेश करते सुना। इसलिये उसने यिर्मयाह नबी को पिटवा दिया और उसने यिर्मयाह के हाथ और पैरों को विशाल काष्ठ के लट्ठों के बीच बन्द कर दिया। यह मन्दिर के ऊपरी बिन्यामीन द्वार पर था। अगले दिन पशहूर ने यिर्मयाह को काष्ठ के लट्ठों के बीच से निकाला। तब यिर्मयाह ने पशहूर से कहा, “यहोवा का दिया तुम्हारा नाम पशहूर नहीं है। अब यहोवा की ओर से तुम्हारा नाम सर्वत्र आतंक है। यही तुम्हारा नाम है, क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं शीघ्र ही तुमको अपने आपके लिये आतंक बनाऊँगा। मैं शीघ्र ही तुम्हें तुम्हारे सभी मित्रों के लिये आतंक बनाऊँगा। तुम शत्रुओं द्वारा अपने मित्रों को तलवार के घाट उतारते देखोगे। मैं यहूदा के सभी लोगों को बाबुल के राजा को दे दूँगा। वह यहूदा के लोगों को बाबुल देश को ले जाएगा और उसकी सेना यहूदा के लोगों को अपनी तलवार के घाट उतारेगी। यहूदा के लोगों ने चीज़ों को बनाने में कठिन परिश्रम किया और धनी हो गए। किन्तु मैं वे सारी चीज़ें उनके शत्रुओं को दे दूँगा। यरूशलेम के राजा के पास बहुत से धन भण्डार हैं। किन्तु मैं उन सभी धन भण्डारों को शत्रु को दें दूँगा। शत्रु उन चीज़ों को लेगा और उन्हें बाबुल देश को ले जाएगा। और पशहूर तुम और तुम्हारे घर में रहने वाले सभी लोग यहाँ से ले जाए जाओगे। तुमको जाने को और बाबुल देश में रहने को विवश किया जायेगा। तुम बाबुल में मरोगे और तुम उस विदेश में दफनाए जाओगे। तुमने अपने मित्रों को झूठा उपदेश दिया। तुमने कहा कि ये घटनायें नहीं घटेंगीं। किन्तु तुम्हारे सभी मित्र भी मरेंगे और बाबुल में दफनाए जायेंगे।’”

यिर्मयाह की पाँचवीं शिकायत

हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया
    और मैं निश्चय ही मूर्ख बनाया गया।
तू मुझसे अधिक शक्तिशाली है अत: तू विजयी हुआ।
    मैं मजाक बन कर रह गया हूँ।
लोग मुझ पर हँसते हैं
    और सारा दिन मेरा मजाक उड़ाते हैं।
जब भी मैं बोलता हूँ, चीख पड़ता हूँ।
    मैं लगातार हिंसा और तबाही के बारे में चिल्ला रहा हूँ।
मैं लोगों को उस सन्देश के बारे में बताता हूँ
    जिसे मैंने यहोवा से प्राप्त किया।
किन्तु लोग केवल मेरा अपमान करते हैं
    और मेरा मजाक उड़ाते हैं।
कभी—कभी मैं अपने से कहता हूँ:
    “मैं यहोवा के बारे में भूल जाऊँगा।
मैं अब आगे यहोवा के नाम पर नहीं बोलूँगा।”
    किन्तु यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो यहोवा का सन्देश
मेरे भीतर भड़कती ज्वाला सी हो जाती है।
    मुझे ऐसा लगता है कि यह अन्दर तक मेरी हड्डियों को जला रही है।
मैं अपने भीतर यहोवा के सन्देश को रोकने के प्रयत्न में थक जाता हूँ
    और अन्तत: मैं इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाता।
10 मैं अनेक लोगों को दबी जुबान अपने विरुद्ध बातें करता सुनता हूँ।
    सर्वत्र मैं वह सब सुनता हूँ जो मुझे भयभीत करते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
    चलो हम अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करें।
लोग केवल इस प्रतीक्षा में हैं कि मैं कोई गलती करूँ।
    वे कह रहे हैं, “आओ हम झूठ बोलें
और कहें कि उसने कुछ बुरे काम किए हैं।
    सम्भव है हम यिर्मयाह को धोखा दे सकें।
तब वह हमारे साथ होगा। अन्तत: हम उससे छुटकारा पायेंगे।
    तब हम उसे दबोच लेंगे और उससे अपना बदला ले लेंगे।”
11 किन्तु यहोवा मेरे साथ है।
    यहोवा एक दृढ़ सैनिक सा है।
अत: जो लोग मेरा पीछा करते हैं, मुँह की खायेंगे।
    वे लोग मुझे पराजित नहीं कर सकेंगे।
वे लोग असफल होंगे। वे निराश होंगे।
    वे लोग लज्जित होंगे और लोग उस लज्जा को कभी नहीं भूलेंगे।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा तू अच्छे लोगों की परीक्षा लेता है।
    तू व्यक्ति के दिल और दिमाग को गहराई से देखता है।
मैंने उन व्यक्तियों के विरुद्ध तूझे अनेकों तर्क दिये हैं।
    अत: मुझे यह देखना है कि तू उन्हें वह दण्ड देता है
    कि नहीं जिनके वे पात्र हैं।
13 यहोवा के लिये गाओ!
    यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा दीनों के जीवन की रक्षा करता है!
    वह उन्हें दुष्ट लोगों की शक्ति से बचाता है!

यिर्मयाह की छठी शिकायत

14 उस दिन को धिक्कार है जिस दिन मेरा जन्म हुआ।
    उस दिन को बधाई न दो जिस दिन मैं माँ की कोख में आया।
15 उस व्यक्ति को अभिशाप दो जिसने मेरे पिता को यह सूचना दी कि मेरा जन्म हुआ है।
    उसने कहा था, “तुम्हारा लड़का हुआ है, वह एक लड़का है।”
    उसने मेरे पिता को बहुत प्रसन्न किया था जब उसने उनसे यह कहा था।
16 उस व्यक्ति को वैसा ही होने दो जैसे वे नगर जिन्हें यहोवा ने नष्ट किया।
    यहोवा ने उन नगरों पर कुछ भी दया नहीं की।
उस व्यक्ति को सवेरे युद्ध का उद्घोष सुनने दो,
    और दोपहर को युद्ध की चीख सुनने दो।
17 तूने मुझे माँ के पेट में ही, क्यों न मार डाला
    तब मेरी माँ की कोख कब्र बन जाती,
    और मैं कभी जन्म नहीं ले सका होता।
18 मुझे माँ के पेट से बाहर क्यों आना पड़ा
    जो कुछ मैंने पाया है वह परेशानी और दु:ख है
    और मेरे जीवन का अन्त लज्जाजनक होगा।

राजा सिदकिय्याह के निवेदन को परमेश्वर अस्वीकार करता है

21 यह यहोवा का वह सन्देश है जो यिर्मयाह को मिला। यह सन्देश तब आया जब यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने पशहूर नामक एक व्यक्ति तथा सपन्याह नामक एक याजक को यिर्मयाह के पास भेजा। पशहूर मल्किय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। सपन्याह मासेयाह नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर और सपन्याह यिर्मयाह के लिये एक सन्देश लेकर आए। पशहूर और सपन्याह ने यिर्मयाह से कहा, “यहोवा से हम लोगों के लिए प्रार्थना करो। यहोवा से पूछो कि क्या होगा हम जानना चाहते हैं क्योंकि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर हम लोगों पर आक्रमण कर रहा है। सम्भव है यहोवा हम लोगों के लिये वैसे ही महान कार्य करे जैसा उसने बीते समय में किया। सम्भव है कि यहोवा नबूकदनेस्सर को आक्रमण करने से रोक दे या उसे चले जाने दे।”

तब यिर्मयाह ने पशहूर और सपन्याह को उत्तर दिया। उसने कहा, “राजा सिदकिय्याह से कहो, ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जो कहता है, यह वह है: तुम्हारे हाथों में युद्ध के अस्त्र शस्त्र हैं। तुम उन अस्त्र शस्त्रों का उपयोग अपनी सुरक्षा के लिये बाबुल के राजा और कसदियों के विरुद्ध कर रहे हो। किन्तु मैं उन अस्त्रों को व्यर्थ कर दूँगा।

“‘बाबुल की सेना नगर के चारों ओर दीवार के बाहर है। वह सेना नगर के चारों ओर है। शीघ्र ही मैं उस सेना को यरूशलेम में ले आऊँगा। मैं स्वयं यहूदा तुम लोगों के विरुद्ध लड़ूँगा। मैं अपने शक्तिशाली हाथों से तुम्हारे विरुद्ध लड़ूँगा। मैं तुम पर बहुत अधिक क्रोधित हूँ, अत: मैं अपनी शक्तिशाली भुजाओं से तुम्हारे विरुद्ध लड़ूँगा। मैं तुम्हारे विरुद्ध घोर युद्ध करुँगा और दिखाऊँगा कि मैं कितना क्रोधित हूँ। मैं यरूशलेम में रहने वाले लोगों को मार डालूँगा। मैं लोगों और जानवरों को मार डालूँगा। वे उस भयंकर बीमारी से मरेंगे जो पूरे नगर में फैल जाएगी। जब यह हो जायेगा तब उसके बाद,’” यह सन्देश यहोवा का है, “‘मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दूँगा। मैं सिदकिय्याह के अधिकारियों को भी नबूकदनेस्सर को दूँगा। यरूशलेम के कुछ लोग भयंकर बीमारी से नहीं मरेंगे। कुछ लोग तलवार के घाट नहीं उतारे जाएंगे। उनमें से कुछ भूखों नहीं मरेंगे किन्तु मैं उन लोगों को नबूकदनेस्सर को दूँगा। मैं यहूदा के शत्रु को विजयी बनाऊँगा। नबूकदनेस्सर की सेना यहूदा के लोगों को मार डालना चाहती है। इसलिये यहूदा और यरूशलेम के लोग तलवार के घाट उतार दिए जाएंगे। नबूकदनेस्सर कोई दया नहीं दिखायेगा। वह उन लोगों के लिए अफसोस नहीं करेगा।’

“यरूशलेम के लोगों से ये बातें भी कहो। यहोवा ये बातें कहता है, ‘समझ लो कि मैं तुम्हें जीने और मरने में से एक को चुनने दूँगा। कोई भी व्यक्ति जो यरूशलेम में ठहरेगा, मरेगा। वह व्यक्ति तलवार, भूख या भयंकर बीमारी से मरेगा किन्तु जो व्यक्ति यरूशलेम के बाहर जायेगा और बाबुल की सेना को आत्म समर्पण करेगा, जीवित रहेगा। उस सेना ने नगर को घेर लिया है। अत: कोई व्यक्ति नगर में भोजन नहीं ला सकता। किन्तु जो कोई नगर को छोड़ देगा, वह अपने जीवन को बचा लेगा। 10 मैंने यरूशलेम नगर पर विपत्ति ढाने का निश्चय कर लिया है। मैं नगर की सहायता नहीं करुँगा। यह सन्देश यहोवा का है। मैं यरूशलेम के नगर को बाबुल के राजा को दूँगा। वह इसे आग से जलायेगा।’”

11 “यहूदा के राज परिवार से यह कहो, ‘यहोवा के सन्देश को सुनो। 12 दाऊद के परिवार यहोवा यह कहता है:

“‘तुम्हें प्रतिदिन लोगों का निष्पक्ष न्याय करना चाहिए।
    अपराधियों से उनके शिकारों की रक्षा करो।
यदि तुम ऐसा नहीं करते तो मैं बहुत क्रोधित होऊँगा।
    मेरा क्रोध ऐसे आग की तरह होगा जिसे कोई व्यक्ति बुझा नहीं सकता।
    यह घटित होगा क्योंकि तुमने बुरे काम किये हैं।’

13 “यरूशलेम, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
    तुम पर्वत की चोटी पर बैठी हो।
    तुम इस घाटी के ऊपर एक रानी की तरह बैठी हो।
यरूशलेम के लोगों, तुम कहते हो,
    ‘कोई भी हम पर आक्रमण नहीं कर सकता।
    कोई भी हमारे दृढ़ नगर में घुस नहीं सकता।’”
किन्तु यहोवा के यहाँ से उस सन्देश को सुनो:

14 “तुम वह दण्ड पाओगे जिसके पात्र तुम हो।
    मैं तुम्हारे वनों में आग लगाऊँगा।
    वह आग तुम्हारे चारों ओर की हर एक चीज़ जला देगी।”

बुरे राजाओं के विरुद्ध न्याय

22 यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह राजा के महल को जाओ। यहूदा के राजा के पास जाओ और वहाँ उसे इस सन्देश का उपदेश दो। ‘यहूदा के राजा, यहोवा के यहाँ से सन्देश सुनो। तुम दाऊद के सिंहासन से शासन करते हो, अत: सुनो। राजा, तुम्हें और तुम्हारे अधिकारियों को यह अच्छी तरह सुनना चाहिये। यरूशलेम के द्वारों से आने वाले सभी लोगों को यहोवा का सन्देश को सुनना चाहिये। यहोवा कहता है: वे काम करो जो अच्छे और न्यायपूर्ण हों। उस व्यक्ति की रक्षा जिसकी चोरी की गई हो उस व्यक्ति से करो जिसने चोरी की है। विदेशी अनाथ बच्चों और विधवाओं को मत मारो। यदि तुम इन आदेशों का पालन करते हो तो जो घटित होगा वह यह है: जो राजा दाऊद के सिंहासन पर बैठेंगे, वे यरूशलेम नगर में नगर द्वारों से आते रहेंगे। वे राजा नगर द्वारों से अपने अधिकारियों सहित आएंगे। वे राजा, उनके उत्तराधिकारी और उनके लोग रथों और घोड़ों पर चढ़कर आएंगे। किन्तु यदि तुम इन आदेशों का पालन नहीं करोगे तो यहोवा यह कहता है: मैं अर्थात् यहोवा प्रतिज्ञा करता हूँ कि राजा का महल ध्वस्त कर दिया जायेगा यह चट्टानों का एक ढेर रह जायेगा।’”

यहोवा उन महलों के बारे में यह कहता है जिनमें यहूदा के राजा रहते हैं:

“गिलाद वन की तरह यह महल ऊँचा है।
    यह लबानोन पर्वत के समान ऊँचा है।
किन्तु मैं इसे सचमुच मरुभूमि सा बनाऊँगा।
    यह महल उस नगर की तरह सूना होगा जिसमें कोई व्यक्ति न रहता हो।
मैं लोगों को महल को नष्ट करने भेजूँगा।
    हर एक व्यक्ति के पास वे औजार होंगे जिनसे वह इस महल को नष्ट करेगा।
वे लोग तुम्हारी देवदार की मजबूत और सुन्दर कड़ियों को काट डालेंगे।
    वे लोग उन कड़ियों को आग में फेंक देंगे।”

“अनेक राष्ट्रों से लोग इस नगर से गुजरेंगे। वे एक दूसरे से पूछेंगे, ‘यहोवा ने यरूशलेम के साथ ऐसा भयंकर काम क्यों किया यरूशलेम कितना महान नगर था।’ उस प्रश्न का उत्तर यह होगा, ‘परमेश्वर ने यरूशलेम को नष्ट किया, क्योंकि यहूदा के लोगों ने यहोवा अपने परमेश्वर के साथ की गई वाचा को मानना छोड़ दिया। उन लोगों ने अन्य देवताओं की पूजा और सेवाएँ की।’”

राजा यहोशाहाज (शल्लूम) के विरुद्ध न्याय

10 उस राजा के लिये मत रोओ जो मर गया।
    उसके लिये मत रोओ।
किन्तु उस राजा के लिये फूट—फूट कर रोओ
    जो यहाँ से जा रहा है।
उसके लिये रोओ, क्योंकि वह फिर कभी वापस नहीं आएगा।
    शल्लूम (यहोशाहाज) अपनी जन्मभूमि को फिर कभी नहीं देखेगा।

11 यहोवा योशिय्याह के पुत्र शल्लूम (यहोशाहाज) के बारे में जो कहता है, वह यह है (शल्लूम अपने पिता योशिय्याह की मृत्यु के बाद यहूदा का राजा हुआ।) “शल्लूम (यहोशाहाज) यरूशलेम से दूर चला गया। वह फिर यरूशलेम को वापस नहीं लौटेगा। 12 शल्लूम (यहोशाहाज) वहीं मरेगा जहाँ उसे मिस्री ले जाएँगे। वह इस भूमि को फिर नहीं देखेगा।”

राजा यहोयाकीम के विरुद्ध न्याय

13 राजा यहोयाकीम के लिये यह बहुत बुरा होगा।
    वह बुरे कर्म कर रहा है अत: वह अपना महल बना लेगा।
वह लोगों को ठग रहा है, अत: वह ऊपर कमरे बना सकता है।
    वह अपने लोगों से बेगार ले रहा है।
    वह उनके काम की मजदूरी नहीं दे रहा है।

14 यहोयाकीम कहता है, “मैं अपने लिये एक विशाल महल बनाऊँगा।
    मैं दूसरी मंजिल पर विशाल कमरे बनाऊँगा।”
अत: वह विशाल खिड़कियों वाला महल बना रहा है।
    वह देवदार के फलकों को दीवारों पर मढ़ रहा है और इन पर लाल रंग चढ़ा रहा है।

15 “यहोयाकीम, अपने घर में देवदार की अधिक लकड़ी का उपयोग तुम्हें महान सम्राट नहीं बनाता।
    तुम्हारा पिता योशिय्याह भोजन पान पाकर ही सन्तुष्ट था।
उसने वह किया जो ठीक और न्यायपूर्ण था।
    योशिय्याह ने वह किया,
    अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ।
16 योशिय्याह ने दीन—हीन लोगों को सहायता दी।
    योशिय्याह ने वह किया, अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ।
यहोयाकीम ‘परमेश्वर को जानने’ का अर्थ क्या होता है मुझको जानने का अर्थ,
    ठीक रहना और न्यायपूर्ण होना है।”
यह सन्देश यहोवा का है।

17 “यहोयाकीम, तुम्हारी आँखें केवल तुम्हारे अपने लाभ को देखती हैं,
    तुम सदैव अपने लिये अधिक से अधिक पाने की सोचते हो।
तुम निरपराध लोगों को मारने के लिये इच्छुक रहते हो।
    तुम अन्य लोगों की चीज़ों की चोरी करने के इच्छुक रहते हो।”
18 अत: योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम से यहोवा जो कहता है, वह यह है:
    “यहूदा के लोग यहोयाकीम के लिये रोएंगे नहीं।
वे आपस में यह नहीं कहेंगे,
    ‘हे मेरे भाई, मैं यहोयाकीम के बारे में इतना दु:खी हूँ।
    हे मेरी बहन, मैं यहोयाकीम के लिए रोएंगे नहीं।’
वे उसके बारे में नहीं कहेंगे,
    ‘हे स्वामी, हम इतने दु:खी हैं।
    हे राजा, हम इतने दु:खी हैं।’
19 यरूशलेम के लोग यहोयाकीम को एक मरे गधे की तरह दफनायेंगे।
    वे उसके शव को केवल दूर घसीट ले जाएंगे और वे उसके शव को यरूशलेम के द्वार के बाहर फेंक देंगे।

20 “यहूदा, लबानोन के पर्वतों पर जाओ और चिल्लाओ।
    बाशान के पर्वतों में अपना रोना सुनाई पड़ने दो।
अबारीम के पर्वतों में जाकर चिल्लाओ।
    क्यों क्योंकि तुम्हारे सभी “प्रेमी” नष्ट कर दिये जाएंगे।

21 “हे यहूदा, तुमने अपने को सुरक्षित समझा,
    किन्तु मैंने तुम्हें चेतावनी दी।
मैंने तुम्हें चेतावनी दी,
    परन्तु तुमने सुनने से इन्कार किया
तुमने यह तब से किया जब तुम युवती थी
और यहूदा जब से तुम युवती थी,
    तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।
22 हे यहूदा, मेरा दण्ड आँधी की तरह आएगा
    और यह तुम्हारे सभी गडेरियों (प्रमुखों) को उड़ा ले जाएगा।
तुमने सोचा था कि अन्य कुछ राष्ट्र तुम्हारी सहायता करेंगे।
    किन्तु वे राष्ट्र भी पराजित होंगे।
तब तुम सचमुच निराश होओगी।
    तुमने जो सब बुरे काम किये, उनके लिये लज्जित होओगी।

23 “हे राजा, तुम देवदार से बने अपने महल में ऊँचे पर्वत पर रहते हो।
    तुम उसी तरह रह रहे हो, जैसा कि पहले लबानोन में रहे हो, जहाँ से यह लकड़ी लाई गई हैं।
तुम समझते हो कि उँचे पर्वत पर अपने विशाल महल में तुम सुरक्षित हो।
    किन्तु तुम सचमुच तब कराह उठोगे जब तुम्हें तुम्हारा दण्ड मिलेगा।
तुम प्रसव करती स्त्री की तरह पीड़ित होगे।”