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मोर आपन लोग गीधन स घेरा भवा,
    मरत भवा जनावर बन गवा अहइँ।
उ सबइ पंछी ओह पइ मँडरात अहइँ।
    जंगली जनावरो आवा।
    अगवा बढ़ा, खाइ क कछू पावा।

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