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परमेश्वर ऐसा भोजन देता है जिससे सच्ची तृप्ति मिलती है

55 “हे प्यासे लोगों, जल के पास आओ।
    यदि तुम्हारे पास धन हीं है तो इसकी चिन्ता मत करो।
आओ, खाना लो और खाओ।
    आओ, भोजन लो।
तुम्हें इसकी कीमत देने की आवश्यकता नहीं है।
    बिना किसी कीमत के दूध और दाखमधु लो।
व्यर्थ ही अपना धन ऐसी किसीवस्तु पर क्यों बर्बाद करते हो जो सच्चा भोजन नहीं है
    ऐसी किसी वस्तु के लिये क्यों श्रम करते हो जो सचमुच में तुम्हें तृप्त नहीं करती
मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम सच्चा भोजन पाओगे।
    तुम उस भोजन का आनन्द लोगे। जिससे तुम्हारा मन तृप्त हो जायेगा।
जो कुछ मैं कहता हूँ, ध्यान से सुनो।
    मुझ पर ध्यान दो कि तुम्हारा प्राण सजीव हो।
तुम मेरे पास आओ और मैं तुम्हारे साथ एक वाचा करूँगा जो सदा—सदा के लिये बना रहेगा।
    यह वाचा वैसी ही होगी जैसी वाचा दाऊद के संग मैंने की थी।
मैंने दाऊद को वचन दिया था कि मैं उस पर सदा करूणा करूँगा
    और तुम उस वाचा के भरोसे रह सकते हो।
मैंने अपनी उस शक्ति का दाऊद को साक्षी बनाया था जो सभी राष्ट्रों के लिये थी।
    मैंने दाऊद का बहुत देशों का प्रशासक और उनका सेनापति बनाया था।”

अनेक अज्ञात देशों में अनेक अनजानी जातियाँ हैं।
    तू उन सभी जातियों को बुलायेगा, जो जातियाँ तुझ से अपरिचित हैं
किन्तु वे भागकर तेरे पास आयेंगी। ऐसा घटेगा क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा ऐसा ही चाहता है।
    ऐसा घटेगा क्योंकि वह इस्राएल का पवित्र तुझको मान देता है।
सो तुम यहोवा को खोजो।
    कहीं बहुत देर न हो जाये।
अब तुम उसको पुकार लो जब तक वह तुम्हारे पास है।
हे पापियों! अपने पापपूर्ण जीवन को त्यागो।
    तुमको चाहिये कि तुम बुरी बातें सोचना त्याग दो।
तुमको चाहिये कि तुम यहोवा के पास लौट आओ।
    जब तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम्हें सुख देगा।
उन सभी को चाहिये कि वे यहोवा की शरण में आयें क्योंकि परमेश्वर हमें क्षमा करता है।

लोग परमेश्वर को नहीं समझ पायेंगे

यहोवा कहता है, “तुम्हारे विचार वैसे नहीं, जैसे मेरे हैं।
    तुम्हारी राहें वैसी नहीं जैसी मेरी राहें हैं।
जैसे धरती से ऊँचे स्वर्ग हैं वैसे ही तुम्हारी राहों से मेरी राहें ऊँची हैं
    और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।”
ये बातें स्वयं यहोवा ने ही कहीं हैं।

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