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नबूकदनेस्सर का स्वप्न

नबूकदनेस्सर ने अपने शासन के दूसरे वर्ष के मध्य एक सपना देखा। उसके सपने ने उसे व्याकुल कर दिया। जैसे तैसे बहुत देर बाद उसे नींद आई। सो राजा ने अपने समझदार लोगों को अपने पास बुलाया। वे लोग जादू—टोना किया करते थे, और तारों को देखा करते थे। सपनों का फल बताने के लिये वे ऐसा किया करते थे। वे ऐसा इसलिये करते थे कि जो कुछ भविष्य में घटने वाला है, वे उसे जान जायें। राजा उन लोगों से यह चाहता था कि वे, उसके बारे में उसे बतायें जो सपना उसने देखा है। सो वे भीतर आये और आकर राजा के आगे खड़े हो गये।

तब राजा ने उन लोगों से कहा, “मैंने एक सपना देखा है जिसमें मैं व्याकुल हूँ। मैं यह जानना चाहता हूँ कि उस सपने का अर्थ क्या है।”

इस पर उन कसदियों ने राजा से उत्तर देते हुए कहा। वे अरामी भाषा में बोल रहे थे। “राजा चिरंजीव रहे। हम तेरे दास हैं। तू अपना स्वप्न हमें बता। फिर हम तुझे उसका अर्थ बतायेंगे।”

इस पर राजा नबूकदनेस्सर ने उन लोगों से कहा, “नहीं! वह सपना क्या था, यह भी तुम्हें ही बताना है और उस सपने का अर्थ क्या है, यह भी तुम्हें ही बताना है और यदि तुम ऐसा नहीं कर पाये तो मैं तुम्हारे टुकड़े—टुकड़े कर डालने की आज्ञा दे दूँगा। मैं तुम्हारे घरों को तोड़ कर मलबे के ढ़ेर और राख में बदल डालने की आज्ञा भी दे दूँगा और यदि तुम मुझे मेरा सपना बता देते हो और उसकी व्याख्या कर देते हो तो मैं तुम्हें अनेक उपहार, बहुत से प्रतिफल और महान आदर प्रदान करूँगा। सो तुम मुझे मेरे सपने के बारे में बताओ और बताओ कि उसका अर्थ क्या है।”

उन बुद्धिमान पुरूषों ने राजा से फिर कहा, “हे राजन, कृपा करके हमें सपने के बारे में बताओ और हम तुम्हें यह बतायेंगे कि उस सपने का फल क्या है।”

इस पर राजा नबूकदनेस्सर ने कहा, “मैं जानता हूँ, तुम लोग और अधिक समय लेने का जतन कर रहे हो। तुम जानते हो कि मैंने जो कहा, वही मेरा अभिप्राय है। तुम यह जानते हो कि यदि तुमने मुझे मेरे सपने के बारे में नहीं बताया तो तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। सो तुम सब एक मत हो कर मुझसे बातें बना रहे हो। तुम और अधिक समय लेना चाहते हो। तुम्हें यह आशा है कि मैं जो कुछ करना चाहता हूँ उसे तुम्हारी बातों में आकर भूल जाऊँगा। अच्छा अब तुम मुझे मेरा सपना बताओ। यदि तुम मुझे मेरा सपना बता पाओगे तभी मैं यह जान पाऊँगा कि वास्तव में उस सपने का अर्थ क्या है। यह तुम मुझे बता पाओगे!”

10 कसदियों ने राजा को उत्तर देते हुए कहा, “हे राजन, धरती पर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जैसा, आप करने को कह रहे हैं, जो वैसा कर सके। बुद्धिमान पुरूषों अथवा जादूगरों या कसदियों से किसी भी राजा ने कभी भी ऐसा करने को नहीं कहा। यहाँ तक कि महानतम और सबसे अधिक शक्तिशाली किसी भी राजा ने कभी अपने बुद्धिमान पुरूषों से ऐसा करने को नहीं कहा। 11 महाराज, आप वह काम करने को कह रहे हैं, जे असम्भव है। बस राजा को उसके सपने के बारे में और उसके फल के बारे में देवता ही बता सकते हैं। किन्तु देवता तो लोगों के बीच नहीं रहते।”

12 जब राजा ने यह सुना तो उसे बहुत क्रोध आया और उसने बाबुल के सभी विवेकी पुरूषों को मरवा डालने की आज्ञा दे दी। 13 राजा नबूकदनेस्सर के आज्ञा का ढ़िढोरा पिटवा दिया गया। सभी बुद्धिमान पुरूषों को मारा जाना था, इसलिये दानिय्येल और उसके मित्रों को भी मरवा डालने के लिये उनकी खोज में राज—पुरूष भेज दिये गये।

14 अर्योक राजा के रक्षकों का नायक था। वह बाबुल के बुद्धिमान पुरूषों को मार डालने के लिये जा रहा था, किन्तु दानिय्येल ने उससे बातचीत की। दानिय्येल ने अर्योक से बुद्धिमानी के साथ नम्रतापूर्वक बात की। 15 दानिय्येल ने अर्योक से पूछा, “राजा ने इतना कठोर दण्ड देने की आज्ञा क्यों दी है”

इस पर अर्योक ने राजा के सपने वाली सारी कहानी कह सुनाई, दानिय्येल उसे समझ गया। 16 दानिय्येल ने जब यह कहानी सुन ली तो वह राजा नबूकदनेस्सर के पास गया। दानिय्येल ने राजा से विनती की कि वह उसे थोड़ा समय और दे। उसके बाद वह राजा को उसका स्वप्न और उस स्वप्न का फल बता देगा।

17 इसके बाद दानिय्येल अपने घर को चल दिया। उसने अपने मित्र हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को वह सारी बात कह सुनाई। 18 दानिय्येल ने अपने मित्रों से स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करने को कहा। दानिय्येल ने उनसे कहा कि वे परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह उन पर दयालु हो और इस रहस्य को समझने में उनकी सहायता करे जिससे बाबुल के दूसरे विवेकी पुरूषों के साथ दानिय्येल और उसके मित्र भी मौत के घाट न उतार दिये जायें।

19 रात के समय परमेश्वर ने एक दर्शनमें दानिय्येल को वह रहस्य समझा दिया। इस पर स्वर्ग के परमेश्वर की स्तुति करते हुए

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