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धरम-महासभा के आघू म स्तिफनुस

तब महा पुरोहित ह स्तिफनुस ले पुछिस, “का तोर ऊपर लगाय गे दोसमन सच अंय?” स्तिफनुस ह जबाब दीस, “हे भाई अऊ ददा मन हो, सुनव! हमर पुरखा अब्राहम ह हारान देस म रहे के पहिली मिसुपुतामिया म रहत रिहिस, तब महिमामय परमेसर ह ओला दरसन दीस, अऊ अब्राहम ला कहिस, ‘तें अपन देस अऊ अपन कुटुम्ब ला छोंड़के ओ देस म चले जा, जऊन ला मेंह तोला देखाहूं।’[a]

तब ओह कसदीमन के देस ले निकरके हारान म जाके बस गीस। ओकर ददा के मरे के बाद, परमेसर ह ओला उहां ले लानके ए देस म बसाईस, जिहां अब तुमन रहत हव[b] परमेसर ह इहां अब्राहम ला कुछू जायदाद नइं दीस। इहां तक कि गोड़ मढ़ाय के ठऊर घलो नइं। पर परमेसर ह ओकर ले वायदा करिस, ‘मेंह ए देस ला, तोर अऊ तोर पाछू तोर बंस के अधिकार म कर दूहूं।’ जबकि ओ समय अब्राहम के कोनो लइका नइं रिहिस। परमेसर ह ओला ए घलो कहिस, ‘तोर संतानमन आने देस म परदेसी होहीं। ओमन गुलाम बनाय जाहीं अऊ चार सौ साल तक ओमन के ऊपर अतियाचार करे जाही।’ फेर परमेसर ह कहिस, ‘जऊन देस के ओमन गुलाम होहीं, ओ देस ला मेंह सजा दूहूं, अऊ एकर बाद ओमन ओ देस ले निकरके इही ठऊर म मोर सेवा करहीं।’[c]

तब परमेसर ह अब्राहम ले खतना कराय के वाचा (करार) बांधिस। अऊ अब्राहम के बेटा इसहाक पैदा होईस। ओकर जनम के आठ दिन के पाछू ओकर खतना करे गीस। इसहाक ले याकूब अऊ याकूब ले बारह कुल के मुखियामन पैदा होईन।

याकूब के बड़े बेटामन छोटे बेटा यूसुफ ले जलन रखे लगिन अऊ ओला मिसर देस जवइयामन के हांथ म गुलाम के रूप में बेंच दीन। पर परमेसर ह यूसुफ के संग रहय। 10 अऊ परमेसर ह ओला, ओकर जम्मो दुःख-तकलीफ ले छुड़ाके, बुद्धि दीस अऊ मिसर के राजा फिरौन के मन जीते के काबिल बनाईस। फिरौन राजा ह ओला मिसर देस अऊ अपन जम्मो महल ऊपर सासन करइया ठहराईस।

11 तब जम्मो मिसर अऊ कनान देस म अकाल पड़िस, जेकर खातिर मनखेमन के ऊपर भारी संकट आ गीस, अऊ हमर पुरखामन ला खाय बर अन्न नइं मिलिस। 12 जब याकूब ह ए सुनिस कि मिसर देस म अनाज हवय, त ओह हमर पुरखामन ला पहिली बार पठोईस। 13 जब ओमन दूसर बार आईन, त यूसुफ ह अपन भाईमन ला बताईस कि ओह कोन ए अऊ फिरौन राजा ह यूसुफ के कुटुम्ब के बारे म जानिस। 14 तब यूसुफ ह अपन ददा याकूब अऊ अपन जम्मो कुटुम्ब ला, जऊन मन पचहत्तर मनखे रिहिन, अपन करा मिसर देस म बलाईस। 15 तब याकूब ह मिसर देस गीस, जिहां ओह अऊ हमर पुरखामन मर गीन। 16 ओमन के लासमन ला सेकेम सहर म वापिस लाने गीस अऊ ओ कबर म रखे गीस, जऊन ला अब्राहम ह सेकेम म हमोर के बेटामन ले पईसा देके बिसोय रिहिस।

17 जब ओ परतिगियां के पूरा होय के समय लकठा आईस, जऊन ला परमेसर ह अब्राहम ले करे रिहिस, त ओ समय मिसर देस म हमर मनखेमन के संख्‍या बहुंत बढ़ गे रहय। 18 तब मिसर देस म एक आने झन राजा होईस, जऊन ह यूसुफ के बारे म कुछू नइं जानत रिहिस। 19 ओह हमर मनखेमन ले छल-कपट करिस अऊ हमर पुरखामन के ऊपर बहुंत अतियाचार करिस अऊ दबाव डालिस कि ओमन अपन नवां जनमे लइकामन ला मरे बर बाहिर फटिक देवंय।

20 ओही समय म मूसा के जनम होईस अऊ ओह बहुंत सुघर रिहिस। ओह तीन महिना तक ले अपन ददा के घर म पाले-पोसे गीस। 21 पर जब ओह फटिक दिये गीस, त फिरौन के बेटी ह ओला ले लीस, अऊ अपन बेटा बनाके ओला पालिस-पोसिस। 22 मूसा ला मिसर देस के जम्मो गियान सिखाय-पढ़ाय गीस। ओह बात अऊ काम करे म सामरथी रिहिस।

23 जब मूसा ह चालीस साल के होईस, त अपन मन म कहिस कि मेंह अपन इसरायली भाईमन ले मुलाकात करंव। 24 मूसा ह अपन एक जाति-भाई के ऊपर अनियाय होवत देखके ओला बंचाईस अऊ ओ मिसरी मनखे ला मारके बदला लीस, जऊन ह अनियाय करत रहय। 25 मूसा ह सोचिस कि मोर जाति-भाईमन समझहीं कि परमेसर ह मोर दुवारा ओमन के जान बंचाही, पर ओमन नइं समझिन। 26 दूसर दिन जब दू झन इसरायलीमन आपस म लड़त रिहिन, त मूसा ह उहां आईस अऊ ए कहिके ओमन म मेल कराय के कोसिस करिस, ‘ए मनखेमन! तुमन त भाई-भाई अव; एक दूसर के संग काबर लड़त हवव?’

27 पर जऊन इसरायली ह दूसर ऊपर अनियाय करत रिहिस, ओह ए कहिके मूसा ला हटा दीस कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय। 28 का तेंह जइसने कल एक झन मिसरी मनखे ला मार डारे, वइसने मोला घलो मार डारे चाहत हवस। 29 ए बात ला सुनके मूसा ह उहां ले भाग गीस अऊ मिदयान देस म आके परदेसी सहीं रहे लगिस। उहां ओकर दू झन बेटा पैदा होईन।

30 जब चालीस साल बीत गे, तब एक स्‍वरगदूत ह सीनै पहाड़ के लकठा म निरजन प्रदेस म मूसा ला बरत झाड़ी के आगी म दरसन दीस। 31 मूसा ह ओ दरसन ला देखके अचम्भो करिस। जब ओह ओला देखे बर अऊ लकठा म गीस, तब ओह परभू के ए अवाज सुनिस, 32 ‘मेंह तोर पुरखा – अब्राहम, इसहाक अऊ याकूब के परमेसर अंव।’[d] एला सुनके मूसा ह डर के मारे कांपे लगिस, अऊ ओह ऊपर देखे के घलो हिम्मत नइं करिस।

33 तब परभू ह मूसा ला कहिस, ‘अपन पांव के पनही ला उतार, काबरकि जऊन ठऊर म तेंह ठाढ़े हवस, ओह पबितर भुइयां ए। 34 मेंह सही म मिसर देस म अपन मनखेमन के दुरदसा ला देखे हवंव। मेंह ओमन के दुःख अऊ रोवई सुने हवंव। एकरसेति, मेंह ओमन ला छोंड़ाय बर उतरे हवंव। अब तेंह आ, मेंह तोला मिसर देस वापिस पठोहूं।’[e]

35 जऊन मूसा ला ओमन ए कहिके नकारे रिहिन कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय? ओही मूसा ला परमेसर ह हाकिम अऊ उबार करइया ठहराके, ओ स्‍वरगदूत के दुवारा ओला पठोईस, जऊन ह ओला झाड़ी म दरसन दे रिहिस, 36 एही मनखे मूसा ह मिसर देस म अऊ लाल समुंदर अऊ निरजन प्रदेस म चालीस साल तक अचरज के काम अऊ चमतकार के चिन्‍हां देखा-देखाके ओमन ला गुलामी ले निकारके ले आईस। 37 एह ओही मूसा ए, जऊन ह इसरायलीमन ले कहे रिहिस, ‘परमेसर ह तुम्‍हर मनखे म ले तुम्‍हर खातिर मोर सहीं एक अगमजानी ला पठोही।’[f] 38 एह ओही मूसा ए, जऊन ह निरजन प्रदेस म सभा के बीच म ओ स्‍वरगदूत के संग सीनै पहाड़ ऊपर ओकर ले गोठियाईस। ओह हमर पुरखामन के संग रिहिस। ओही मूसा ला परमेसर के जीयत बचन मिलिस कि ओह ओ जीयत बचन ला हमर करा पहुंचावय।

39 पर हमर पुरखामन मूसा के बात ला नइं मानिन। ओमन मूसा ला नकारके अपन हिरदय ला फेर मिसर देस कोति लगाईन। 40 ओमन हारून ला कहिन, ‘हमर बर कुछू देवता बना, जऊन ह हमर आघू-आघू चलय, काबरकि ए मूसा जऊन ह हमन ला मिसर देस ले निकारके लानिस, हमन नइं जानन कि ओला का होईस?’[g] 41 ओ दिन म ओमन एक ठन बछवा के मूरती बनाईन अऊ ओ मूरती के आघू म बलि चघाईन। अइसने किसम ले ओमन अपन हांथ के काम म खुस होय लगिन। 42 तब परमेसर ह मुहूं मोड़के ओमन ला छोंड़ दीस कि ओमन अकास के तारामन के पूजा करंय, जइसने कि अगमजानीमन के किताब म लिखे हवय:

‘हे इसरायल के मनखेमन, का तुमन निरजन प्रदेस म चालीस साल तक बलिदान
    अऊ दान मोला ही चघावत रहेव?
43 नइं, तुमन ह मोलेक के तम्‍बू
    अऊ अपन रिफान देवता के तारा ला लेके फिरत रहेव,
    याने कि ओ मूरतीमन जऊन ला तुमन पूजा करे बर बनाय रहेव।
    एकरसेति, मेंह तुमन ला बाबूल के बाहिर ले जाके बहुंत दूरिहा म बसाहूं।’

44 गवाही के तम्‍बू ह निरजन प्रदेस म हमर पुरखामन के संग रिहिस। परमेसर ह मूसा ला कहे रिहिस, ‘जऊन नमूना ला तेंह देखे हवस, ओकरे मुताबिक ओला बना[h]।’ 45 ओह ओही नमूना के मुताबिक बनाय गीस। ओहीच तम्‍बू ला हमर पुरखामन पाछू यहोसू के संग ए ठऊर म लानिन जब ओमन आनजातमन के देस म अधिकार पाईन, जऊन मन ला परमेसर ह हमर पुरखामन के आघू ले निकार दीस। अऊ ओह दाऊद के समय तक रिहिस। 46 दाऊद के ऊपर परमेसर के दया रिहिस अऊ दाऊद ह बिनती करिस, ‘मेंह याकूब के परमेसर बर रहे के ठऊर बनाहूं।’ 47 पर सुलेमान ह परमेसर खातिर घर बनाईस। 48 पर परम परधान परमेसर ह मनखे के बनाय घरमन म नइं रहय, जइसने कि अगमजानी ह कहिथे:

49 ‘परभू ह कहिथे – स्‍वरग ह मोर सिंघासन अऊ धरती ह मोर गोड़ रखे के चौकी अय।
    मोर बर तुमन कइसने घर बनाहू?
    या मोर बिसराम के ठऊर कहां होही?
50 का ए जम्मो चीजमन मोर हांथ के बनाय नो हंय?’[i]

51 हे ढीठ मनखेमन! तुमन परमेसर के संदेस ला सुने नइं चाहत हव। तुमन हमेसा पबितर आतमा के बिरोध करथव, जइसने तुम्‍हर पुरखामन करत रिहिन। 52 अगमजानीमन ले कोन ला तुम्‍हर पुरखामन नइं सताय हवंय? ओमन ओ संदेसियामन ला मार डारिन, जऊन मन ओ धरमी जन के आय के खबर बहुंत पहिली दे रिहिन। अऊ अब तुमन घलो ओला धोखा दे हवव अऊ मार डारे हवव। 53 तुमन स्‍वरगदूत के दुवारा लाने कानून ला त पाय हवव, पर ओकर पालन नइं करेव।”

स्तिफनुस के ऊपर पत्थरवाह

54 ए बात ला सुनके ओमन अब्‍बड़ गुस्सा करिन अऊ ओकर ऊपर दांत पिसन लगिन। 55 पर स्तिफनुस ह पबितर आतमा ले भरके, स्‍वरग कोति देखिस अऊ ओह परमेसर के महिमा अऊ यीसू ला परमेसर के जेवनी कोति ठाढ़े देखिस। 56 अऊ ओह कहिस, “देखव! मेंह स्‍वरग ला खुला, अऊ मनखे के बेटा ला परमेसर के जेवनी कोति ठाढ़े देखत हवंव।” 57 तब ओमन अब्‍बड़ चिचियाके अपन कान ला बंद कर लीन, अऊ ओ जम्मो झन ओकर ऊपर लपकिन, 58 अऊ ओला घसीटत नगर के बाहिर ले गीन, अऊ उहां ओला पत्थरवाह करे लगिन। अऊ गवाहमन अपन-अपन ओन्ढा ला साऊल नांव के एक जवान के जिम्मा म उतारके रख दीन।

59 जब ओमन स्तिफनुस ला पत्थरवाह करत रहंय, त ओह ए कहिके पराथना करिस, “हे परभू यीसू! मोर आतमा ला गरहन कर।” 60 तब ओह माड़ी टेकके चिचियाके कहिस, “हे परभू! ए पाप ला ओमन ऊपर झन लगा।” ए कहिके ओह मर गीस अऊ साऊल के ओकर हतिया म सहमती रिहिस।

कलीसिया ऊपर अतियाचार अऊ कलीसिया के बिखराव

ओहीच दिन यरूसलेम म कलीसिया ऊपर भारी अतियाचार होईस, अऊ प्रेरितमन ला छोंड़के जम्मो बिसवासीमन, यहूदिया अऊ सामरिया प्रदेस म तितिर-बितिर हो गीन। परमेसर के भक्तमन स्तिफनुस के लास ला माटी दीन अऊ ओकर बर अब्‍बड़ बिलाप करिन। पर साऊल ह कलीसिया ला उजारत रिहिस। ओह घर-घर घूसरके मनखे अऊ माईलोगनमन ला घसीट-घसीटके लानय अऊ जेल म डाल देवय।

फिलिप्पुस ह सामरिया प्रदेस म

जऊन बिसवासीमन तितिर-बितिर हो गे रिहिन, ओमन जिहां-जिहां भी गीन, उहां सुघर संदेस के परचार करिन। फिलिप्पुस ह सामरिया के एक सहर म गीस अऊ उहां मनखेमन ला यीसू मसीह के परचार करे लगिस। जब भीड़ के मनखेमन फिलिप्पुस के बात ला सुनिन अऊ ओकर चमतकार के काममन ला देखिन, त ओकर बात म धियान लगाईन। काबरकि कतको झन म ले असुध आतमामन अब्‍बड़ चिचियावत निकर गीन, अऊ कतको लकवा के मारे अऊ खोरवामन बने हो गीन। एकरसेति ओ सहर के मनखेमन अब्‍बड़ खुस होईन।

सिमोन जादूगर

ओ सहर म सिमोन नांव के एक झन मनखे रहय। ओह जादू-टोना करके सामरी मनखेमन ला चकित करय, अऊ अपन-आप ला बहुंत बड़े मनखे बतावय। 10 अऊ जम्मो – छोटे ले लेके बड़े तक ओकर बात ऊपर धियान देवंय अऊ ए कहंय, “ए मनखे ह परमेसर के ओ सक्ति ए, जऊन ला महान सक्ति कहे जाथे।” 11 ओह अब्‍बड़ दिन तक ओमन ला अपन जादू-टोना के काम ले चकित करके रखे रिहिस। एकरसेति, ओमन ओला अब्‍बड़ मानत रिहिन। 12 पर जब ओमन फिलिप्पुस के बात ला बिसवास करिन, जऊन ह परमेसर के राज के सुघर-संदेस अऊ यीसू मसीह के नांव के परचार करत रिहिस, तब ओमन – का मनखे, का माईलोगन, जम्मो झन बतिसमा लेय लगिन। 13 तब सिमोन ह खुदे बिसवास करिस अऊ बतिसमा लेके फिलिप्पुस के पाछू चले लगिस। ओह चिन्‍हां अऊ चमतकार के काममन ला देखके चकित होवत रिहिस।

14 जऊन प्रेरितमन यरूसलेम म रिहिन, जब ओमन सुनिन कि सामरिया के मनखेमन परमेसर के बचन ला मान ले हवंय, त ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला ओमन करा पठोईन। 15 पतरस अऊ यूहन्ना उहां गीन अऊ ओ मनखेमन बर पराथना करिन कि ओमन पबितर आतमा पावंय, 16 काबरकि पबितर आतमा अभी तक ले ओमन म के काकरो ऊपर नइं आय रिहिस। ओमन सिरिप परभू यीसू के नांव म बतिसमा ले रिहिन। 17 तब पतरस अऊ यूहन्ना ओमन ऊपर अपन हांथ रखिन अऊ ओमन पबितर आतमा पाईन।

18 जब सिमोन ह देखिस कि प्रेरितमन के हांथ रखे ले पबितर आतमा मिलथे, त ओह ओमन करा रूपिया लानके कहिस, 19 “ए अधिकार मोला घलो देवव ताकि जेकर ऊपर मेंह हांथ रखंव, ओह पबितर आतमा पावय।”

20 पतरस ह ओला कहिस, “तोर रूपिया ह तोर संग नास होवय, काबरकि तेंह परमेसर के दान ला रूपिया म बिसोय के सोचे हवस। 21 हमर काम म, न तोर हिस्सा हवय अऊ न बांटा, काबरकि तोर मन ह परमेसर के आघू म सही नइं ए। 22 एकरसेति अपन ए बुरई ले पछताप करके परभू ले पराथना कर। हो सकथे ओह तोर मन के अइसने बिचार ला माफ कर दिही। 23 मेंह देखत हंव कि तेंह कड़वाहट ले भरे अऊ पाप के बंधना म पड़े हवस।”

24 सिमोन ह जबाब दीस, “तेंह मोर बर परभू ले पराथना कर कि जऊन बात तेंह कहे हवस, ओम ले कोनो भी बात मोर ऊपर झन होवय।”

25 पतरस अऊ यूहन्ना गवाही देके अऊ परभू के बचन सुनाके यरूसलेम वापिस लहुंट गीन। ओमन लहुंटत बेरा सामरिया के कतको गांव म सुघर संदेस सुनावत गीन।

फिलिप्पुस अऊ इथोपिया के खजांची

26 परभू के एक स्‍वरगदूत ह फिलिप्पुस ला कहिस, “उठ, अऊ दक्खिन कोति ओ रसता म जा, जऊन ह यरूसलेम ले गाजा ला जाथे, अऊ जऊन ह निरजन जगह म हवय।” 27 ओह उठके चल दीस अऊ देखिस कि इथोपिया (कुस) देस के एक झन मनखे आवत रहय। ओह एक खोजा रिहिस अऊ इथोपिया देस के रानी कन्दाके के एक खास अधिकारी अऊ खजांची रिहिस। ओह अराधना करे बर यरूसलेम गे रिहिस। 28 अऊ ओह अपन रथ म बईठके, यसायाह अगमजानी के किताब ला पढ़त अपन घर लहुंटत रहय। 29 तब पबितर आतमा ह फिलिप्पुस ला कहिस, “लकठा म जाके ओ रथ के संग हो ले।”

30 फिलिप्पुस ह खोजा कोति दऊड़के गीस अऊ ओह ओला यसायाह अगमजानी के किताब ला पढ़त सुनिस, त ओकर ले पुछिस, “तेंह जऊन ला पढ़त हवस, का ओला समझत घलो हवस?”

31 खोजा ह कहिस, “जब तक कोनो मोला नइं समझाहीं, तब तक मेंह कइसने समझहूं?” ओह फिलिप्पुस ले बिनती करिस, “रथ म चघके मोर करा बईठ।”

32 परमेसर के बचन के जऊन पाठ ला ओह पढ़त रिहिस, ओह ए रिहिस:

“ओह भेड़ के सहीं बध होय बर पहुंचाय गीस,
    जइसने मेढ़ा-पीला ह अपन ऊन कतरइया के आघू म चुपेचाप रहिथे, वइसने ओह घलो अपन मुहूं ला नइं खोलिस।
33 ओकर बेजत्ती करे गीस अऊ ओकर नियाय नइं होईस।
    ओकर बंस के मनखेमन के बखान कोन कर सकथे?
    काबरकि धरती ले ओकर जीव ला ले लिये गीस।”[j]

34 खोजा ह फिलिप्पुस ले पुछिस, “मेंह तोर ले बिनती करत हंव, मोला बता कि अगमजानी ह एला काकर बारे म कहे हवय, अपन बारे म या कोनो आने के बारे म?” 35 तब फिलिप्पुस ह कहे के सुरू करिस – अऊ परमेसर के बचन के ए पाठ ले सुरू करके ओला यीसू के सुघर संदेस सुनाईस।

36 रसता म चलत-चलत ओमन एक ठन पानी के ठऊर म हबरिन, त खोजा ह कहिस, “देख, इहां पानी हवय, अब मोला बतिसमा लेय म का अड़चन हवय?” 37 फिलिप्पुस ह कहिस, “कहूं तेंह पूरा हिरदय ले बिसवास करत हवस, त एह हो सकथे।” ओह जबाब दीस, “मेंह बिसवास करत हंव कि यीसू मसीह ह परमेसर के बेटा ए।” 38 अऊ ओह रथ ठाढ़ करे के हुकूम दीस। तब फिलिप्पुस अऊ खोजा दूनों पानी म उतर गीन अऊ फिलिप्पुस ह ओला बतिसमा दीस। 39 जब ओमन पानी ले बाहिर निकरके ऊपर आईन, तब परभू के आतमा ह अचानक फिलिप्पुस ला कहीं ले गीस अऊ खोजा ह ओला फेर नइं देखिस, पर ओह आनंद मनावत अपन रसता म चल दीस। 40 फिलिप्पुस ह असदोद म परगट होईस अऊ कैसरिया ला हबरत तक, ओह नगर-नगर सुघर संदेस सुनावत गीस।

साऊल ह यीसू ला परभू स्वीकार करथे

साऊल अब तक परभू के चेलामन ला डराय-धमकाय अऊ ओमन ला मार डारे के धुन म रहय। ओह महा पुरोहित करा गीस, अऊ दमिस्क के सभा घरमन के नांव म ए खातिर चिट्ठी मांगिस कि आदमी या माईलोगन जऊन ला घलो, ओह मसीह के बिसवास म पावय, त ओला बंदी बनाके यरूसलेम म ले आवय। जब ओह चलते-चलत दमिस्क के लकठा म हबरिस, त अचानक अकास म ले ओकर चारों कोति एक अंजोर चमकिस। ओह भुइयां म गिर पड़िस अऊ ए अवाज सुनिस, “हे साऊल! हे साऊल! तेंह मोला काबर सतावत हस।”

साऊल ह पुछिस, “हे परभू! तेंह कोन अस?”

ओह कहिस, “मेंह यीसू अंव, जऊन ला तेंह सतावत हस। पर अब उठ अऊ सहर म जा। जऊन काम तोला करना हवय, ओला उहां तोला बताय जाही।”

जऊन मनखेमन ओकर संग म रिहिन, ओमन ह हक्का-बक्का हो गीन, काबरकि ओमन अवाज ला तो सुनिन, पर कोनो ला नइं देखिन। साऊल भुइयां ले उठिस, फेर जब ओह अपन आंखी ला खोलिस, त ओला कुछू दिखाई नइं दीस। एकर खातिर ओकर संगीमन ओकर हांथ ला धरके दमिस्क सहर ले गीन। ओह तीन दिन तक नइं देखे सकिस अऊ ओह न कुछू खाईस न पीईस।

10 दमिस्क म हनन्याह नांव के एक झन चेला रहय। परभू ह ओला दरसन म कहिस, “हे हनन्याह!”

ओह कहिस, “हां, परभू।”

11 त परभू ह ओला कहिस, “उठ, अऊ ओ गली म जा, जऊन ला ‘सीधा’ कहे जाथे। उहां यहूदा के घर म साऊल नांव के एक झन तरसुस के रहइया मनखे के बारे पुछबे। देख, ओह पराथना करत हवय। 12 ओह दरसन म हनन्याह नांव के एक मनखे ला घर के भीतर आवत अऊ अपन ऊपर हांथ रखत देखे हवय कि ओह फेर देखे लगय।”

13 हनन्याह ह कहिस, “हे परभू! मेंह ए मनखे के बारे म बहुंते झन ले सुने हवंव कि एह यरूसलेम म तोर ऊपर बिसवास करइयामन के ऊपर भारी अतियाचार करे हवय। 14 अऊ इहां दमिस्क म घलो ओह महा पुरोहित ले अधिकार लेके आय हवय कि जऊन मनखेमन तोर नांव लेथें, ओ जम्मो झन ला बंदी बनाके यरूसलेम ले जावय।”

15 पर परभू ह हनन्याह ला कहिस, “तेंह उहां जा, काबरकि ओह आनजातमन के अऊ ओमन के राजामन के अऊ इसरायली मनखेमन के आघू म मोर नांव के परचार करे बर मोर दुवारा चुने गे हवय। 16 अऊ मेंह ओला देखाहूं कि मोर नांव के खातिर ओला कतेक दुःख उठाय बर पड़ही।”

17 तब हनन्याह ह उठके ओ घर म गीस। उहां ओह साऊल ऊपर अपन हांथ ला रखके कहिस, “हे भाई साऊल! परभू याने यीसू, जऊन ह तोला ओ रसता म आवत बेरा दिखाई दे रिहिस, ओही ह मोला पठोय हवय कि तेंह फेर देखे लग अऊ पबितर आतमा ले भर जा।” 18 तुरते साऊल के आंखीमन ले कुछू छिलका सहीं गिरिस अऊ ओह फेर देखे लगिस। ओह उठके बतिसमा लीस अऊ खाना खाके फेर बल पाईस।

दमिस्क अऊ यरूसलेम सहर म साऊल

19 साऊल ह कुछू दिन तक चेलामन के संग दमिस्क म रिहिस। 20 ओह तुरते सभा घरमन म यीसू के बारे परचार करे लगिस कि ओह परमेसर के बेटा अय। 21 जम्मो सुनइयामन चकित होके कहे लगिन, “का एह ओही मनखे नो हय, जऊन ह यरूसलेम म यीसू के नांव लेवइयामन ला नास करत रिहिस? ओह इहां घलो एकर बर आय रिहिस कि यीसू के नांव लेवइयामन ला बंदी बनाके मुखिया पुरोहितमन करा ले जावय।” 22 पर साऊल अऊ सामरथी होवत गीस। ओह ए बात के सबूत दे देके कि यीसू ही मसीह अय, दमिस्क म रहइया यहूदीमन के मुहूं बंद कर दीस।

23 जब बहुंत दिन बीत गे, तब यहूदीमन मिलके साऊल ला मार डारे के उपाय करिन। 24 पर ओमन के उपाय ला साऊल जान डारिस। यहूदीमन साऊल ला मार डारे खातिर रात-दिन दमिस्क के दुवारी म घात लगाके बईठे रहंय। 25 पर रतिहा साऊल के चेलामन ओला टोकना म बइठाईन अऊ भिथी के छेदा ले लटकाके ओला सहर के बाहिर उतार दीन[k]

26 जब साऊल ह यरूसलेम म आईस, त ओह चेलामन संग मिले के कोसिस करिस, पर ओ जम्मो झन ओकर ले डर्रावत रिहिन, काबरकि ओमन ला बिसवास नइं होवत रहय कि ओह घलो यीसू के चेला बन गे हवय। 27 पर बरनबास ह ओला अपन संग प्रेरितमन करा ले गीस अऊ ओमन ला बताईस कि साऊल ह कइसने रसता म परभू ला देखिस अऊ परभू ह ओकर ले बात करिस अऊ दमिस्क म ओह कइसने हिम्मत के संग यीसू के नांव के परचार करिस। 28 तब साऊल ह ओमन के संग रहिके यरूसलेम म जम्मो जगह आवत-जावत रिहिस। ओह निडर होके परभू के नांव के परचार करत रिहिस। 29 ओह यूनानी भासा बोलइया यहूदीमन के संग बातचीत अऊ बाद-बिवाद करय, पर ओमन ओला मार डारे के कोसिस करिन। 30 जब बिसवासी भाईमन ला ए बात के पता चलिस, त ओमन ओला कैसरिया ले गीन अऊ उहां ले ओला तरसुस पठो दीन।

31 तब जम्मो यहूदिया, गलील अऊ सामरिया प्रदेस म कलीसिया ला सांति मिलिस अऊ कलीसिया ह मजबूत होवत गीस अऊ पबितर आतमा के मदद ले परभू के डर म रहत गनती म बढ़त गीस।

एनियास अऊ दोरकास

32 पतरस ह जम्मो जगह होवत, ओ परमेसर के मनखेमन करा गीस, जऊन मन लुद्दा नगर म रहत रिहिन। 33 उहां पतरस ला एनियास नांव के लकवा के मारे एक झन मनखे मिलिस। ओह आठ साल ले खटिया म पड़े रहय। 34 पतरस ह ओला कहिस, “हे एनियास! यीसू मसीह ह तोला बने करत हवय। उठ, अपन बिछौना ला ठीक कर।” एनियास तुरते उठके ठाढ़ हो गीस। 35 लुद्दा अऊ सारोन के जम्मो रहइयामन ओला चंगा देखके परभू करा आईन।

36 याफा म तबीता नांव के बिसवासी माईलोगन रहय (तबीता ला यूनानी म दोरकास कहे जाथे, जेकर मतलब हिरन होथे)। ओह हमेसा भलई करय अऊ गरीबमन के मदद करय। 37 ओही दिन म, ओह बेमार पड़िस अऊ मर गीस। मनखेमन ओकर लास ला नहवाके ऊपर के कमरा म रख दीन। 38 लुद्दा नगर याफा के लकठा म रिहिस। चेलामन जब ए सुनिन कि पतरस ह लुद्दा म हवय, त ओमन दू झन ला पठोके ओकर ले बिनती करिन, “हमर करा तुरते आ।”

39 तब पतरस ह उठके ओमन के संग याफा गीस अऊ जब ओह उहां हबरिस, त मनखेमन ओला ऊपर के कमरा म ले गीन। जम्मो बिधवामन रोवत पतरस करा आके ठाढ़ हो गीन अऊ जऊन कुरता अऊ आने कपड़ामन ला दोरकास ह ओमन के संग रहत बनाय रहय, ओ जम्मो ला पतरस ला देखाय लगिन।

40 तब पतरस ह जम्मो झन ला कमरा ले बाहिर कर दीस अऊ माड़ी टेकके पराथना करिस अऊ लास कोति देखके कहिस, “हे तबीता, उठ।” ओह अपन आंखी ला उघारिस अऊ पतरस ला देखके उठ बईठिस। 41 पतरस ह ओकर हांथ ला सहारा देके ओला उठाईस। तब पतरस ह बिसवासी मनखे अऊ बिधवा मन ला बलाईस अऊ ओला जीयत-जागत देखाईस। 42 ए बात ह जम्मो याफा सहर म फइल गीस अऊ बहुंते मनखेमन परभू ऊपर बिसवास करिन। 43 पतरस ह याफा म सिमोन नांव के चमड़ा के धंधा करइया एक मनखे के इहां कुछू दिन रिहिस।

Footnotes

  1. 7:3 उतपत्ती 12:1
  2. 7:4 कसदी के आने नांव मिसुपुतामिया रिहिस।
  3. 7:7 उतपत्ती 15:13-14
  4. 7:32 निरगमन 3:6
  5. 7:34 निरगमन 3:5, 7, 8, 10
  6. 7:37 ब्यवस्था 18:15
  7. 7:40 निरगमन 32:1
  8. 7:44 परमेसर ह दस हुकूम ला पथरा के दू ठन पटिया म लिखिस अऊ एला मूसा ला दे दीस ताकि इसरायली मनखेमन ए हुकूममन मानंय। ए पथरा के पटियामन ला “गवाही” कहे जावय (देखव – निरगमन 25:16, 21)। ए पटियामन तम्‍बू म संदूक के भीतर रखाय रिहिन।
  9. 7:50 यसायाह 66:1-2
  10. 8:33 यसायाह 53:7, 8
  11. 9:25 दमिस्क सहर ह पथरा के भिथी ले चारों कोति घेराय रहय अऊ ओम कपाट घलो रहय। ओ समय सहरमन के चारों कोति सुरछा बर दिवाल रहय।