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हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें 10 क्योंकि यह अवश्य है कि हम सब मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित हों कि हर एक को शारीरिक देह में किए गए उचित या अनुचित के अनुसार फल प्राप्त हो.

मेल-मिलाप-सेवकाई

11 हमें यह अहसास है कि परमेश्वर का भय क्या है, इसलिए हम सभी को समझाने का प्रयत्न करते हैं. परमेश्वर के सामने यह स्पष्ट है कि हम क्या हैं और मैं आशा करता हूँ कि तुम्हारे विवेक ने भी इसे पहचान लिया है.

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