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घरवाली अऊ घरवाला,

हे घरवालीमन हो, तुमन अपन-अपन घरवाला के अधीन रहव, ताकि कहूं ओमन ले कोनो परमेसर के बचन ऊपर बिसवास नइं करय, त ओमन घरवाली के सुघर बरताव के दुवारा जीते जा सकंय; जब ओमन तुमन के सुधता अऊ बने चाल-चलन ला देखंय। तुमन के सुघरता बाहिरी सिंगार के दुवारा झन होवय, जइसने कि बाल गुंथई, अऊ सोन के गहना अऊ आने-आने किसम के कपड़ा पहिरई। एकर बदले, तुमन म भीतरी मनखे के गुन, नमरता अऊ सांत सुभाव के सुघरता होना चाही, जऊन ह नइं मुरझावय अऊ अइसने बातमन परमेसर के नजर म बहुंत कीमती होथें। एही किसम ले, पहिली जमाना के पबितर माईलोगनमन, जऊन मन अपन आसा परमेसर के ऊपर रखत रिहिन, अपन-आप ला सुघर बनाय करत रिहिन। ओमन अपन घरवालामन के अधीन रहत रिहिन। जइसने कि सारा ह अब्राहम के बात मानय अऊ ओला अपन सु‍वामी कहय। कहूं तुमन भलई करव अऊ कोनो चीज ले झन डर्रावव, त तुमन ओकर बेटी अव।

हे घरवालामन हो, ओही किसम ले अपन-अपन घरवाली के संग रहत समझदार बनव अऊ ओला निरबल संगी जानके अऊ अपन संग ओला जिनगी के बरदान के वारिस जानके ओकर आदर करव, ताकि तुम्‍हर पराथना म कोनो बाधा झन पड़य।

भलई करे म दुःख सहई

आखिरी म, तुमन जम्मो एक मन होके रहव; सहानुभूति रखव; भाईमन सहीं मया करव; दयालु अऊ नम्र बनव। बुरई के बदले बुरई या बेजत्ती के बदले बेजत्ती झन करव, पर बदले म आसिस देवव काबरकि तुमन एकरे बर बलाय गे हवव, ताकि तुमन ला आसिस मिलय। 10 जइसने कि परमेसर के बचन ह कहिथे,

“जऊन कोनो, जिनगी ले मया करे चाहथे
    अऊ सुघर दिन देखे के ईछा करथे,
ओकर बर जरूरी अय कि ओह अपन जीभ ला बुरई ले
    अऊ अपन होंठ ला छल-कपट के बात ले दूरिहा रखय।
11 ए जरूरी अय कि ओह बुरई ला छोंड़के भलई करय;
    अऊ ए घलो जरूरी अय कि ओह सांति के खोज करय अऊ ओकर पाछू लगे रहय।
12 काबरकि परभू के नजर धरमीमन ऊपर लगे रहिथे,
    अऊ ओकर कान ह ओमन के पराथना ला सुनथे,
पर परभू ह बुरई करइयामन के बिरोध करथे।”[a]

13 यदि तुमन भलई करे बर उत्सुक हवव, त तुम्‍हर हानि कोन करही? 14 पर कहूं तुमन बने काम करे के कारन दुःख उठाथव, त तुमन आसिस पाहू। मनखेमन ले झन डरव अऊ न घबरावव।[b] 15 पर अपन हिरदय म मसीह ला पबितर परभू के रूप म जानव। जऊन कोनो तुमन ला तुम्‍हर आसा के बिसय म कुछू पुछय, त ओला जबाब देय बर हमेसा तियार रहव। 16 पर ए काम ला सुध बिवेक म, नमरता अऊ आदर के संग करव ताकि मसीह म तुम्‍हर बने चाल-चलन के बिरोध म, जऊन मन खराप बात कहिथें, ओमन अपन बात ले सरमिन्‍दा होवंय। 17 कहूं ए परमेसर के ईछा अय, त बुरई करके दुःख भोगे के बदले, भलई करके दुःख भोगे ह बने अय। 18 काबरकि मसीह ह याने धरमी ह अधरमीमन खातिर या तुम्‍हर पाप खातिर जम्मो के सेति एकेच बार मरिस कि ओह तुमन ला परमेसर करा लानय। ओह देहें म मारे गीस, पर आतमा के दुवारा जीयाय गीस, 19 अऊ आतमिक दसा म, ओह जाके कैदी आतमामन ला परचार करिस, 20 जऊन मन बहुंत पहिली परमेसर के हुकूम नइं मानिन, जब परमेसर ह नूह के दिन म धीर धरके इंतजार करत रहय, अऊ पानी जहाज ह बनत रहय। जहाज म सिरिप थोरकन मनखे याने जम्मो मिलाके आठ झन पानी ले बंचिन[c]; 21 अऊ ए पानी ह बतिसमा के चिन्‍हां अय, जऊन ह अब तुमन ला घलो बचाथे। एह देहें के मइल धोवई नो हय, पर एह सुध बिवेक म परमेसर ले एक वायदा करई अय। यीसू मसीह के फेर जी उठे के दुवारा, ए बतिसमा ह तुमन ला बचाथे। 22 यीसू मसीह ह स्‍वरग चले गीस, अऊ ओह परमेसर के जेवनी हांथ कोति हवय अऊ जम्मो स्‍वरगदूत, अधिकार अऊ सामरथ ओकर अधीन म हवंय।

Footnotes

  1. 3:12 भजन-संहिता 34:12-16
  2. 3:14 यसायाह 8:12
  3. 3:20 “नूह” – देखव इबरानीमन 11:7