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पास्टर अऊ डीकन

ए बात सही ए: कि कहूं कोनो मनखे पास्टर बने चाहथे, त ओह बहुंत बढ़िया काम करे के ईछा करथे। पास्टर ला बिलकुल निरदोस होना चाही। ओकर सिरिप एकेच घरवाली होवय। ओह संयमी, सुसील, सभ्य, पहुनई करइया अऊ बने गुरू होवय। ओह पियक्‍कड़ या मारपीट करइया झन होवय, पर नरम सुभाव के होवय। ओह न झगरा करइया अऊ न रूपिया-पईसा के लोभी होवय। ओह अपन परिवार के सुघर परबंध करइया होवय, अऊ ओह ए देखय कि ओकर लइकामन पूरा आदर-मान के संग ओकर बात मानंय। (कहूं कोनो अपन खुद के परिवार के परबंध नइं कर सकय, त फेर ओह परमेसर के कलीसिया के खियाल कइसने रख सकथे?) ओह नवां मसीही झन होवय, नइं तो ओला घमंड हो सकथे अऊ सैतान के सहीं दंड पा सकथे। कलीसिया के बाहिर के मनखेमन म घलो ओकर बने नांव होना चाही, ताकि ओकर निन्दा झन होवय अऊ ओह सैतान के फांदा म झन फंसय।

एही किसम ले, डीकनमन ला घलो आदर के लइक होना चाही। ओमन ईमानदार होवंय अऊ पियक्‍कड़ अऊ नीच कमई के लोभी झन होवंय। ओमन बिसवास के गहिरा सच ला सही बिवेक के संग थामे रहंय। 10 ओमन पहिली जरूर परखे जावंय अऊ यदि निरदोस निकरंय, त ओमन डीकन के काम करंय।

11 ओही किसम ले, डीकनमन के घरवालीमन ला घलो आदर के लइक होना चाही। ओमन बकबक करइया झन होवंय, पर संयमी अऊ जम्मो बात म बिसवास के लइक होवंय[a]

12 डीकन के सिरिप एक घरवाली होवय अऊ ओह अपन लइकामन के अऊ घर के सुघर परबंध करय। 13 जऊन मन बने सेवा करे हवंय, ओमन बने आदरमान पाथें अऊ मसीह यीसू म अपन बिसवास के दुवारा भरोसा के लइक समझे जाथें।

14 हालाकि मेंह तोर करा जल्दी आय के आसा करत हंव, तभो ले तोला ए बात लिखत हवंव, 15 ताकि कहूं मोर आय म देरी होवय, त तोला जानकारी होना चाही कि मनखेमन परमेसर के परिवार म कइसने बरताव करंय अऊ ए परिवार ह जीयत परमेसर के कलीसिया ए, जऊन ह परमेसर के सच के आधार ए अऊ एह सच ला थामे रहिथे। 16 ए बात म कोनो संका नइं ए कि परमेसर के भक्ति के भेद ह महान ए:

ओह (मसीह) मनखे के रूप म परगट होईस,
    पबितर आतमा के दुवारा साबित करे गीस,
स्वरगदूतमन ला दिखाई दीस,
    जाति-जाति म ओकर परचार होईस,
जम्मो संसार म मनखेमन ओकर ऊपर बिसवास करिन,
    अऊ ओह महिमा म स्‍वरग ऊपर उठा लिये गीस।

Footnotes

  1. 3:11 यूनानी भासा के सबद “गुनाइका” (डीकन के घरवाली) के मतलब “माईलोगन” या “घरवाली” हो सकथे।