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以试炼为喜乐

 神和主耶稣基督的仆人雅各,向散居各地的十二支派问安。 我的弟兄们,你们遭遇各种试炼的时候,都要看为喜乐; 因为知道你们的信心经过考验,就产生忍耐。 但忍耐要坚持到底(“坚持到底”原文作“有完全的功效”),使你们可以完全,毫无缺乏。 你们中间若有人缺少智慧,就当向那厚赐众人,而且不斥责人的 神祈求,他就必得着。 可是,他应该凭着信心祈求,不要有疑惑;因为疑惑的人,就像被风吹荡翻腾的海浪。 那样的人,不要想从主得到甚么; 因为三心两意的人,在他的一切道路上,都摇摆不定。

富贵荣华转眼消逝

卑微的弟兄应当以高升为荣; 10 富足的也不应该以降卑为辱;因为他如同草上的花,必要过去。 11 太阳一出,热风一吹,草必枯干,花必凋谢,它的美容就消失了;富足的人也必在他的奔波经营中这样衰落。

忍受试炼的人有福了

12 能忍受试炼的人,是有福的;因为他经过考验之后,必得着生命的冠冕,这冠冕是主应许给爱他的人的。 13 人被试探,不可说“我被 神试探”;因为 神不能被恶试探,他也不试探任何人。 14 每一个人受试探,都是被自己的私欲所勾引诱惑的。 15 私欲怀了胎,就生出罪;罪长成了,就产生死亡。

16 我亲爱的弟兄们,不要看错了。 17 各样美好的赏赐,各样完备的恩赐,都是从上面、从众光之父降下来的,他本身并没有改变,也没有转动的影子。 18 他凭着自己的旨意,借着真理的道生了我们,使我们作他所造的万物中初熟的果子。

要作行道的人

19 我亲爱的弟兄们,你们要知道,人人都应该快快地听,慢慢地说,慢一点动怒; 20 因为人的忿怒并不能成全 神的义。 21 所以你们应当摆脱一切污秽和所有的邪恶,以温柔的心领受 神栽种的道;这道能救你们的灵魂。

22 你们应该作行道的人,不要单作听道的人,自己欺骗自己; 23 因为人若只作听道的人,不作行道的人,他就像一个人对着镜子看自己本来的面貌, 24 看过走开以后,马上就忘记自己的样子。 25 唯有详细察看那使人自由的全备的律法,并且时常遵守的人,他不是听了就忘记,而是实行出来,就必因自己所作的蒙福。

26 如果有人自以为虔诚,却不约束他的舌头,反而自己欺骗自己,这人的虔诚是没有用的。 27 在父 神看来,纯洁无玷污的虔诚,就是照顾患难中的孤儿寡妇,并且保守自己不被世俗所污染。

याकूब का, जो परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह का दास है, संतों के बारहों कुलों को नमस्कार पहुँचे जो समूचे संसार में फैले हुए हैं।

विश्वास और विवेक

हे मेरे भाईयों, जब कभी तुम तरह तरह की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे बड़े आनन्द की बात समझो। क्योंकि तुम यह जानते हो कि तुम्हारा विश्वास जब परीक्षा में सफल होता है तो उससे धैर्यपूर्ण सहन शक्ति उत्पन्न होती है। और वह धैर्यपूर्ण सहन शक्ति एक ऐसी पूर्णता को जन्म देती है जिससे तुम ऐसे सिद्ध बन सकते हो जिनमें कोई कमी नहीं रह जाती है।

सो यदि तुममें से किसी में विवेक की कमी है तो वह उसे परमेश्वर से माँग सकता है। वह सभी को प्रसन्नता पूर्वक उदारता के साथ देता है। बस विश्वास के साथ माँगा जाए। थोड़ा सा भी संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिसको संदेह होता है, वह सागर की उस लहर के समान है जो हवा से उठती है और थरथराती है। ऐसे मनुष्य को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसे प्रभु से कुछ भी मिल पायेगा। ऐसे मनुष्य का मन तो दुविधा से ग्रस्त है। वह अपने सभी कर्मो में अस्थिर रहता है।

सच्चा धन

साधारण परिस्थितियों वाले भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे आत्मा का धन दिया है। 10 और धनी भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे नम्रता दी है। क्योंकि उसे तो घास पर खिलने वाले फूल के समान झड़ जाना है। 11 सूरज कड़कड़ाती धूप लिए उगता है और पौधों को सुखा डालता है। उनकी फूल पत्तियाँ झड़ जाती हैं और सुन्दरता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार धनी व्यक्ति भी अपनी भाग दौड़ के साथ समाप्त हो जाता है।

परमेश्वर परीक्षा नहीं लेता

12 वह व्यक्ति धन्य है जो परीक्षा में अटल रहता है क्योंकि परीक्षा में खरा उतरने के बाद वह जीवन के उस विजय मुकुट को धारण करेगा, जिसे परमेश्वर ने अपने प्रेम करने वालों को देने का वचन दिया है। 13 परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है। वह किसी की परीक्षा नहीं लेता। 14 हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है। 15 फिर जब वह इच्छा गर्भवती होती है तो पाप पूरा बढ़ जाता है और वह मृत्यु को जन्म देता है।

16 सो मेरे प्रिय भाइयों, धोखा मत खाओ। 17 प्रत्येक उत्तम दान और परिपूर्ण उपहार ऊपर से ही मिलते हैं। और वे उस परम पिता के द्वारा जिसने स्वर्गीय प्रकाश को जन्म दिया है, नीचे लाए जाते हैं। वह नक्षत्रों की गतिविधि से उप्तन्न छाया से कभी बदलता नहीं है। 18 सत्य के सुसंदेश के द्वारा अपनी संतान बनाने के लिए उसने हमें चुना। ताकि हम सभी प्राणियों के बीच उसकी फ़सल के पहले फल सिद्ध हों।

सुनना और उस पर चलना

19 हे मेरे प्रिय भाईयों, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो। 20 क्योंकि मनुष्य के क्रोध से परमेश्वर की धार्मिकता नहीं उपजती। 21 हर घिनौने आचरण और चारो ओर फैली दुष्टता से दूर रहो। तथा नम्रता के साथ तुम्हारे हृदयों में रोपे गए परमेश्वर के वचन को ग्रहण करो जो तुम्हारी आत्माओं को उद्धार दिला सकता है।

22 परमेश्वर की शिक्षा पर चलने वाले बनो, न कि केवल उसे सुनने वाले। यदि तुम केवल उसे सुनते भर हो तो तुम अपने आपको छल रहे हो। 23 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर की शिक्षा को सुनता तो है और उस पर चलता नहीं है, तो वह उस पुरुष के समान ही है जो अपने भौतिक मुख को दर्पण में देखता भर है। 24 वह स्वयं को अच्छी तरह देखता है, पर जब वहाँ से चला जाता है तो तुरंत भूल जाता है कि वह कैसा दिख रहा था। 25 किन्तु जो परमेश्वर की उस सम्पूर्ण व्यवस्था को निकटता से देखता है, जिससे स्वतन्त्रता प्राप्त होती है और उसी पर आचरण भी करता रहता है, और सुन कर उसे भूले बिना अपने आचरण में उतारता रहता है, वही अपने कर्मों के लिए धन्य होगा।

भक्ति का सच्चा मार्ग

26 यदि कोई सोचता है कि वह भक्त है और अपनी जीभ पर कस कर लगाम नहीं लगाता तो वह धोखे में है। उसकी भक्ति निरर्थक है। 27 परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए।

我是做上帝和主耶稣基督奴仆的雅各,问候散居各地的十二支派的人。

信心和忍耐

我的弟兄姊妹,当你们遭遇各种磨炼的时候,都要认为是喜乐的事。 要知道你们的信心经过考验会产生坚忍。 你们要坚忍到底,使你们纯全、完备、毫无缺欠。

如果你们谁缺少智慧,就当求慷慨施恩、不责备人的上帝,上帝必赐给他智慧。 6-8 但他要凭信心毫不疑惑地祈求,因为疑惑的人三心二意,行事为人没有定见,就像海上随风翻腾的波涛,这种人从主那里什么也得不到。

卑微的弟兄高升,应当快乐。 10 富有的弟兄降卑,也要快乐,因为他会像花草一样衰残。 11 骄阳升起,草就干枯,花也凋谢,美丽就消失了。富有的人在忙忙碌碌中也会如此衰残。

12 在试炼中能够忍耐到底的人有福了,因为他若经得起考验,就会得到主应许赐给爱祂之人的生命冠冕。 13 当人受到诱惑时,不可说:“是上帝在诱惑我。”因为上帝不受邪恶的诱惑,也不诱惑人。 14 其实每个受到诱惑的人都是受自己的私欲怂恿和诱惑。 15 私欲怀了胎,便生出罪,罪一旦长成,便带来死亡。

16 我亲爱的弟兄姊妹,不要上当受骗。 17 一切良善的施予和完美的恩赐都是从天上,从众光之父那里来的。祂不像转动的影子变幻无常。 18 祂按照自己的旨意,借着真道重生了我们,使我们在祂所造的万物之中好像初熟的果实。

听道与行道

19 我亲爱的弟兄姊妹,请记住:每个人都要快快地听,慢慢地说,慢慢地动怒。 20 因为人的愤怒不能成就上帝的公义。 21 所以你们要除去所有的污秽和一切的恶习,谦卑地领受那已经栽种在你们心里、能救你们灵魂的真道。

22 你们要行道,不要只是听道,自己欺骗自己。 23 因为人听道而不行道,就像照镜子一样, 24 看过后就走了,随即忘记了自己的容貌。 25 但详细查考那使人得自由的全备律法并且持之以恒的人,不是听了就忘,而是身体力行,这样的人必在他所行的事上蒙福。

26 如果有人自以为虔诚,却不勒住自己的舌头,就等于是自己欺骗自己,他的所谓虔诚也毫无价值。 27 在父上帝看来,纯洁无暇的虔诚是指照顾患难中的孤儿寡妇,并且不让自己被世俗玷污。