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हे मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन,
    तुम मुझे उत्तेजित करती हो।
आँखों की चितवन मात्र से
    और अपने कंठहार के बस एक ही रत्न से
    तुमने मेरा मन मोह लिया है।
10 मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, तेरा प्रेम कितना सुन्दर है!
    तेरा प्रेम दाखमधु से अधिक उत्तम है;
तेरी इत्र की सुगन्ध
    किसी भी सुगन्ध से उत्तम है!
11 मेरी दुल्हिन, तेरे अधरों से मधु टपकता है।
    तेरी वाणी में शहद और दूध की खुशबू है।
तेरे वस्त्रों की गंध इत्र जैसी मोहक है।

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