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मेरी प्रिये, तू पूरी की पूरी सुन्दर हो।
    तुझ पर कहीं कोई धब्बा नहीं है!
ओ मेरी दुल्हिन, लबानोन से आ, मेरे साथ आजा।
    लबानोन से मेरे साथ आजा,
अमाना की चोटी से,
    शनीर की ऊँचाई से,
    सिंह की गुफाओं से
    और चीतों के पहाड़ों से आ!
हे मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन,
    तुम मुझे उत्तेजित करती हो।
आँखों की चितवन मात्र से
    और अपने कंठहार के बस एक ही रत्न से
    तुमने मेरा मन मोह लिया है।

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