Add parallel Print Page Options

35 सिरिफ मइँ ही देइवाला दण्ड अहउँ मइँ ही लोगन क अपराधन क बदला देत हउँ,
    जब अपराधन मँ ओनकइ गोड़वा फिसल जाइ,
काहेकि विपत्तिकाल ओनके निअरे अहइ
    अउर दण्ड समइ ओनका दौड़ि आइ।’

Read full chapter

35 सिरिफ मइँ ही देइवाला दण्ड अहउँ मइँ ही लोगन क अपराधन क बदला देत हउँ,
    जब अपराधन मँ ओनकइ गोड़वा फिसल जाइ,
काहेकि विपत्तिकाल ओनके निअरे अहइ
    अउर दण्ड समइ ओनका दौड़ि आइ।’

Read full chapter