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15 “‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो असत्य देवता बनाता है और उसे अपने गुप्त स्थान में रखता है। असत्य देवता केवल वे मूर्तियाँ हैं जिसे कोई कारीगर लकड़ी, पत्थर या धातु की बनाता है। यहोवा उन चीजों से घृणा करता है!’

“तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’

16 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो ऐसा कार्य करता है जिससे पता चलता है कि वह अपने माता—पिता का अपमान करता है!’

“तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’

17 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपने पड़ोसी के सीमा चिन्ह को हटाता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

18 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अन्धे को कुमार्ग पर चलाता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

19 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के साथ न्याय नहीं करता!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

20 “लेवीवंशी कहेंगेः ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपने पिता की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध रखता है क्योंकि वह अपने पिता को नंगा सा करता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

21 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिश्प्त है जो किसी प्रकार के जानवर के साथ शारीरिक सम्पर्क करता है!’

“तब सभी लगो कहेंगे, ‘आमीन!’

22 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपनी माता या अपने पिता की पुत्री, अपनी बहन के साथ शारीरिक सम्पर्क रखता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

23 “लेवीवंशी कहेंगेः ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपनी सास के साथ शारिरिक सम्पर्क रखता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

24 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो दूसरे व्यक्ति की गुप्त रूप से हत्या करता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

25 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो निर्दोष की हत्या के लिये धन लेता है!’

“तब सभी कहेंगे, ‘आमीन!’

26 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो इन नियमों का समर्थन नहीं करता और पालन करना स्वीकार नहीं करता!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

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