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मसीह के विश्वासियों में एकता का अभाव

तुम्हारे बीच लड़ाई व झगड़े का कारण क्या है? क्या तुम्हारे सुख-विलास ही नहीं, जो तुम्हारे अंगों से लड़ते रहते हैं? तुम इच्छा तो करते हो किन्तु प्राप्त नहीं कर पाते इसलिए हत्या कर देते हो. जलन के कारण तुम लड़ाई व झगड़े करते हो क्योंकि तुम प्राप्त नहीं कर पाते. तुम्हें प्राप्त नहीं होता क्योंकि तुम माँगते नहीं. तुम माँगते हो फिर भी तुम्हें प्राप्त नहीं होता क्योंकि माँगने के पीछे तुम्हारा उद्धेश्य ही बुरी इच्छा से होता है—कि तुम उसे भोग-विलास में उड़ा दो.

अरे विश्वासघातियो! क्या तुम्हें यह मालूम नहीं कि संसार से मित्रता परमेश्वर से शत्रुता है? इसलिए उसने, जो संसार की मित्रता से बंधा हुआ है, अपने आप को परमेश्वर का शत्रु बना लिया है. कहीं तुम यह तो नहीं सोच रहे कि पवित्रशास्त्र का यह कथन अर्थहीन है: वह आत्मा, जिनको उन्होंने हमारे भीतर बसाया है, बड़ी लालसा से हमारे लिए कामना करते हैं? वह और अधिक अनुग्रह देते हैं, इसलिए लिखा है:

परमेश्वर घमण्ड़ियों के विरुद्ध रहते
    और दीनों को अनुग्रह देते हैं.

इसलिए परमेश्वर के आधीन रहो, शैतान का विरोध करो तो वह तुम्हारे सामने से भाग खड़ा होगा. परमेश्वर के पास आओ तो वह तुम्हारे पास आएंगे. पापियो! अपने हाथ स्वच्छ करो. तुम, जो दुचित्ते हो, अपने हृदय शुद्ध करो. आँसू बहाते हुए शोक तथा विलाप करो कि तुम्हारी हँसी रोने में तथा तुम्हारा आनन्द उदासी में बदल जाए. 10 स्वयं को प्रभु के सामने दीन बनाओ तो वह तुमको शिरोमणि करेंगे.

11 प्रियजन, एक-दूसरे की निन्दा मत करो. जो साथी विश्वासी की निन्दा करता फिरता या उस पर दोष लगाता फिरता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है. यदि तुम व्यवस्था का विरोध करते हो, तुम व्यवस्था के पालन करने वाले नहीं, सिर्फ उसके आलोचक बन जाते हो. 12 व्यवस्था देनेवाला और न्यायाध्यक्ष एक ही हैं—वह, जिनमें रक्षा करने का सामर्थ्य है और नाश करने का भी. तुम कौन होते हो जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाते हो?

धनवानों तथा घमण्ड़ियों के लिए चेतावनी

13 अब तुम, सुनो, जो यह कहते हो, “आज या कल हम अमुक नगर को जाएँगे और वहाँ एक वर्ष रहकर धन कमाएंगे”, 14 जबकि सच तो यह है कि तुम्हें तो अपने आनेवाले कल के जीवन के विषय में भी कुछ मालूम नहीं है, तुम तो सिर्फ वह भाप हो, जो क्षण भर के लिए दिखाई देती है और फिर लुप्त हो जाती है. सुनो! 15 तुम्हारा इस प्रकार कहना सही होगा: “यदि प्रभु की इच्छा हो, तो हम जीवित रहेंगे तथा यह या वह काम करेंगे.” 16 परन्तु तुम अपने अहंकार में घमण्ड़ कर रहे हो. यह घमण्ड़ पाप से भरा है. 17 भलाई करना जानते हुए उसको न करना पाप है.

与世俗为友就是与 神为敌

你们中间的争执和打斗是从哪里来的呢?不是从你们肢体中好斗的私欲来的吗? 你们放纵贪欲,如果得不到,就杀人;你们嫉妒,如果一无所得,就打斗争执。你们得不到,因为你们不求; 你们求也得不到,因为你们的动机不良,要把所得的耗费在你们的私欲上。 淫乱的人哪,你们不知道与世俗为友,就是与 神为敌吗?所以与世俗为友的,就成了 神的仇敌。 圣经说:“ 神爱他那安置在我们里面的灵,爱到嫉妒的地步”(或译:“ 神安置在我们里面的灵,爱到嫉妒的地步”),你们想这话是徒然的吗? 但 神所赐的恩更大;所以圣经上说:

“ 神抵挡骄傲的人,

赐恩给谦卑的人。”

你们应当顺服 神,抵挡魔鬼,魔鬼就逃避你们。 你们应当亲近 神, 神就亲近你们。罪人啊,要洁净你们的手;三心两意的人哪,要清洁你们的心。 你们要愁苦、悲哀、哭泣,把欢笑变为伤痛,把快乐变为忧愁。 10 你们务要在主面前谦卑,他就使你们高升。

不可彼此批评

11 弟兄们,不要互相毁谤;人若毁谤弟兄,或判断弟兄,就是毁谤律法、判断律法了。如果你判断律法,就不是实行律法的人,而是审判官了。 12 立法的,审判的,只有一位,就是那能拯救人,也能毁灭人的 神;你这判断邻舍的,你是谁呢?

不可自夸自恃

13 你们说:“今天或明天,我们要到某城去,在那里住一年,作生意赚钱。” 14 其实明天怎样,你们并不知道。你们的生命是甚么呢?你们本来是过眼云烟,转瞬之间就消逝了。 15 你们倒不如说:“主若愿意,我们就可以活着,作这事或作那事。” 16 但现在你们竟然张狂自夸;这一切自夸,都是邪恶的。 17 人若知道该行善事,却不去行,这就是他的罪了。

不要与世俗为友

你们彼此冲突、互相斗殴的起因是什么呢?不就是你们身体中不断交战的欲望吗? 你们贪心,得不到就去杀人。你们嫉妒,得不到就争吵、打斗。你们得不到是因为你们不向上帝祈求。 你们求也得不到是因为你们动机不纯,只求享乐和满足自己的欲望。 你们这些对主不忠的人啊,难道还不明白与世俗为友就是与上帝为敌吗?所以,凡是与世俗为友的,都是上帝的敌人。 圣经上说:“上帝所赐、住在我们心里的圣灵深愿我们完全属于祂。”你们以为这是空谈吗? 但上帝赐给我们更大的恩典,所以圣经上说:“上帝阻挡骄傲的人,恩待谦卑的人。”

因此,你们要服从上帝,抵挡魔鬼,魔鬼必逃离你们。 你们亲近上帝,上帝就必亲近你们。有罪的人啊,洗净你们的手吧!三心二意的人啊,洁净你们的心吧! 你们要悲伤、忧愁、痛哭,转欢笑为悲哀,变欢乐为愁苦。 10 你们要在主面前谦卑,祂必擢升你们。

不要论断

11 弟兄姊妹,不要彼此批评。批评、论断弟兄姊妹就等于是批评、论断律法。如果你论断律法,你就不是遵行律法的人,而是以审判者自居。 12 设立律法和审判人的只有一位,就是能拯救人也能毁灭人的上帝。你是谁,竟然论断别人呢?

警戒自夸

13 你们有些人说:“今天或是明天,我们要往某某城去,在那里逗留一年半载,做生意赚钱。” 14 其实你们根本不知道明天会发生什么事。你们的生命是什么呢?你们只不过像一阵雾气,出现片刻,就无影无踪了。 15 你们只当说:“如果主许可,我们就可以活着,可以做这事或做那事。” 16 现在,你们竟敢傲慢自夸,这实属邪恶。 17 所以人若知道善而不去行,就是犯罪。