Add parallel Print Page Options

सम्पन्न अत्याचारी

अब तुम, जो धनी हो, सुनो! तुम लोग अपने पास आ रही विपत्तियों पर रोओ और करुण आवाज़ में सहायता की पुकार करो. तुम्हारी सम्पत्ति गल चुकीं तथा तुम्हारे वस्त्रों में कीड़े पड़ गए हैं. तुम्हारे सोने और चांदी के आभूषण के रंग उड़ गए हैं. यही उड़ी रंगत तुम्हारे विरुद्ध गवाह होगी और तुम्हारे शरीर को आग के समान राख कर देगी. यह युग का अन्त है और तुम धन पर धन इकट्ठा कर रहे हो! वे मज़दूर, जिन्होंने तुम्हारे खेत काटे थे, उनका रोका गया वेतन तुम्हारे विरुद्ध पुकार-पुकार कर गवाही दे रहा है. उन मज़दूरों की दोहाई, जिन्होंने तुम्हारी उपज इकट्ठा की, स्वर्गीय सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुँच चुकी है. पृथ्वी पर तुम्हारा जीवन बहुत आरामदायक रहा है तथा यहाँ तुमने भोग-विलास का जीवन जिया है और हृदय की अभिलाषाओं की निरन्तर पूर्ति से तुम ऐसे मोटे-ताज़े हो गए हो, जैसे बलि-पशु. तुमने धर्मी व्यक्ति को तिरस्कार कर उसकी हत्या कर दी, जबकि वह तुम्हारा सामना नहीं कर रहा था.

अन्तिम उपदेश

इसलिए प्रियजन, प्रभु के दोबारा आगमन तक धीरज रखो. एक किसान, जब तक प्रारम्भिक और अन्तिम वृष्टि न हो जाए, अपनी कीमती उपज के लिए कैसे धीरज के साथ प्रतीक्षा करता रहता है! तुम भी धीरज रखो, अपने हृदय को दृढ़ बनाए रखो क्योंकि प्रभु का दूसरा आगमन नज़दीक है. प्रियजन, एक-दूसरे पर दोष न लगाओ कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए. वास्तव में न्यायाध्यक्ष द्वार पर आ पहुँचे हैं.

10 प्रियजन, उन भविष्यद्वक्ताओं को अपना आदर्श समझो, जिन्होंने प्रभु के नाम में बातें करते हुए कष्ट सहे है और धीरज बनाए रहे. 11 वे सब, जो धीरज के साथ सहते हैं, हमारी दृष्टि में प्रशंसनीय हैं. तुमने अय्योब की सहनशीलता के विषय में सुना ही है और इस विषय में प्रभु के उद्धेश्य की पूर्ति से परिचित भी हो कि प्रभु करुणामय और दया के भण्ड़ार हैं.

12 प्रियजन, इन सब से अधिक महत्वपूर्ण है कि तुम सौगन्ध ही न खाओ, न तो स्वर्ग की और न ही पृथ्वी की और न ही कोई अन्य सौगन्ध. इसके विपरीत तुम्हारी “हाँ” का मतलब हाँ हो तथा “न” का न, जिससे तुम दण्ड के भागी न बनो.

विश्वास से भरी विनती

13 यदि तुममें से कोई मुसीबत में है, तो वह प्रार्थना करे; यदि आनन्दित है, तो वह स्तुति गीत गाए. 14 यदि तुम में कोई दुर्बल है, तो वह कलीसिया के पुरनियों को बुलाए और वे प्रभु के नाम में उस पर तेल मलते हुए उसके लिए प्रार्थना करें. 15 विश्वास से भरी विनती के द्वारा रोगी दोबारा स्वस्थ हो जाएगा—प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेंगे. यदि उसने पाप किए हैं, वे भी क्षमा कर दिए जाएँगे. 16 सही है कि तुम सब एक-दूसरे के सामने अपने पाप स्वीकार करो तथा एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो, जिससे तुम दोबारा स्वस्थ हो जाओ. धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना प्रभावशाली तथा परिणाममूलक होती है. 17 भविष्यद्वक्ता एलिय्याह हमारे ही समान मनुष्य थे. उन्होंने भक्ति के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और पृथ्वी पर तीन वर्ष छः महीने तक वर्षा नहीं हुई. 18 तब उन्होंने वर्षा के लिए प्रार्थना की और आकाश से मूसलाधार वृष्टि हुई तथा पृथ्वी से उपज उत्पन्न हुई.

19 मेरे प्रियजन, याद रखो, यदि तुम में से कोई भी सच्चाई से भटक जाए और तुम में से कोई उसे दोबारा वापस ले आए 20 तब वह, जो भटके हुए पापी को फेर लाता है, उसके प्राण को मृत्यु से बचाता और उसके अनेक पापों पर पर्दा डाल देता है.

स्वार्थी धनी दण्ड के भागी होंगे

हे धनवानो सुनो, जो विपत्तियाँ तुम पर आने वाली हैं, उनके लिए रोओ और ऊँचे स्वर में विलाप करो। तुम्हारा धन सड़ चुका है। तुम्हारी पोशाकें कीड़ों द्वारा खा ली गई हैं। तुम्हारा सोना चाँदी जंग लगने से बिगड़ गया है। उन पर लगी जंग तुम्हारे विरोध में गवाही देगी और तुम्हारे मांस को अग्नि की तरह चट कर जाएगी। तुमने अपना खज़ाना उस आयु में एक ओर उठा कर रख दिया है जिसका अंत आने को है। देखो, तुम्हारे खेतों में जिन मज़दूरों ने काम किया, तुमने उनका मेहनताना रोक रखा है। वही मेहनताना चीख पुकार कर रहा है और खेतों में काम करने वालों की वे चीख पुकारें सर्वशक्तिमान प्रभु के कानों तक जा पहुँची हैं।

धरती पर तुमने विलासपूर्ण जीवन जीया है और अपने आपको भोग-विलासों में डुबोये रखा है। इस प्रकार तुमने अपने आपको वध किए जाने के दिन के लिए पाल-पोसकर हृष्ट-पुष्ट कर लिया है। तुमने भोले लोगों को दोषी ठहराकर उनके किसी प्रतिरोध के अभाव में ही उनकी हत्याएँ कर डाली।

धैर्य रखो

सो भाईयों, प्रभु के फिर से आने तक धीरज धरो। उस किसान का ध्यान धरो जो अपनी धरती की मूल्यवान उपज के लिए बाट जोहता रहता है। इसके लिए वह आरम्भिक वर्षा से लेकर बाद की वर्षा तक निरन्तर धैर्य के साथ बाट जोहता रहता है। तुम्हें भी धैर्य के साथ बाट जोहनी होगी। अपने हृदयों को दृढ़ बनाए रखो क्योंकि प्रभु का दुबारा आना निकट ही है। हे भाईयों, आपस में एक दूसरे की शिकायतें मत करो ताकि तुम्हें अपराधी न ठहराया जाए। देखो, न्यायकर्त्ता तो भीतर आने के लिए द्वार पर ही खड़ा है।

10 हे भाईयों, उन भविष्यवक्ताओं को याद रखो जिन्होंने प्रभु के लिए बोला। वे हमारे लिए यातनाएँ झेलने और धैर्यपूर्ण सहनशीलता के उदाहरण हैं। 11 ध्यान रखना, हम उनकी सहनशीलता के कारण उनको धन्य मानते हैं। तुमने अय्यूब के धीरज के बारे में सुना ही है और प्रभु ने उसे उसका जो परिणाम प्रदान किया, उसे भी तुम जानते ही हो कि प्रभु कितना दयालु और करुणापूर्ण है।

सोच समझ कर बोलो

12 हे मेरे भाईयों, सबसे बड़ी बात यह है कि स्वर्ग की अथवा धरती की या किसी भी प्रकार की कसमें खाना छोड़ो। तुम्हारी “हाँ”, हाँ होनी चाहिए, और “ना” ना होनी चाहिए। ताकि तुम पर परमेश्वर का दण्ड न पड़े।

प्रार्थना की शक्ति

13 यदि तुम में से कोई विपत्ति में पड़ा है तो उसे प्रार्थना करनी चाहिए और यदि कोई प्रसन्न है तो उसे स्तुति-गीत गाने चाहिए। 14 यदि तुम्हारे बीच कोई रोगी है तो उसे कलीसिया के अगुवाओं को बुलाना चाहिए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और उस पर प्रभु के नाम में तेल मलें। 15 विश्वास के साथ की गई प्रार्थना से रोगी निरोग होता है। और प्रभु उसे उठाकर खड़ा कर देता है। यदि उसने पाप किए हैं तो प्रभु उसे क्षमा कर देगा।

16 इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है। 17 नबी एलिय्याह एक मनुष्य ही था ठीक हमारे जैसा। उसने तीव्रता के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और साढ़े तीन साल तक धरती पर वर्षा नहीं हुई। 18 उसने फिर प्रार्थना की और आकाश में वर्षा उमड़ पड़ी तथा धरती ने अपनी फसलें उपजायीं।

एक आत्मा की रक्षा

19 हे मेरे भाईयों, तुम में से कोई यदि सत्य से भटक जाए और उसे कोई फिर लौटा लाए तो उसे यह पता होना चाहिए कि 20 जो किसी पापी को पाप के मार्ग से लौटा लाता है वह उस पापी की आत्मा को अनन्त मृत्यु से बचाता है और उसके अनेक पापों को क्षमा किए जाने का कारण बनता है।