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13 तब प्राणियों के पंख हिलने आरम्भ हुए। पंखों ने, जब एक दूसरे को छुआ, तो उन्होंने बड़ी तेज आवाज की और उनके सामने के चक्र बिजली की कड़क की तरह प्रचण्ड घोष करने लगे! 14 आत्मा ने मुझे उठाया और दूर ले गई। मैंने वह स्थान छोड़ा। मैं बहुत दुःखी था और मेरी आत्मा बहुत अशान्त थी किन्तु यहोवा की शक्ति मेरे भीतर बहुत प्रबल थी! 15 मैं इस्राएल के उन लोगों के पास गया जो तेलाबीब में रहने को विवश किये गए थे। ये लोग कबार नदी के सहारे रहते थे। मैंने वहाँ के निवासियों को अभिवादन किया। मैं वहाँ सात दिन ठहरा और उन्हें यहोवा की कही गई बातों को बताया।

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